लातेहारः बूढ़ा पहाड़ में नक्सली अब नहीं हैं, नक्सलियों के खिलाफ अभियान के कारण इस इलाके में उनका वर्चस्व खत्म हो चुका है. लातेहार में नक्सली अब छिपते-छुपाते नए और पुराने ठिकानों की तलाश में है. लेकिन सुरक्षा बलों की पैनी नजर से वो बच नहीं पा रहे हैं.
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लातेहार जिला नक्सलियों के सुरक्षित इलाकों में से एक रहा है. एक समय ऐसा था जब लातेहार जिले के अधिकांश इलाके नक्सलियों के सुरक्षित स्थान समझे जाते थे. लेकिन पुलिस की सटीक कार्रवाई ने नक्सलियों के वर्चस्व को समेट दिया. नक्सलियों के अंतिम सुरक्षित पड़ाव बूढ़ा पहाड़ को भी जब नक्सलियों के चंगुल से मुक्त करा लिया गया तो नक्सली एक बार फिर से अपने नए गढ़ की तलाश कर रहे हैं. ऐसे में नक्सली अपने बरसो पुराने गढ़ की ओर नजर टिकाए हैं, परंतु पुलिस की सक्रियता नक्सलियों के मंसूबे को सफल नहीं होने दे रही है.
नक्सलियों की जद में था लातेहारः 10 वर्ष पूर्व तक लातेहार जिले के अधिकांश इलाके नक्सलियों के चंगुल में थे. क्षेत्र में नक्सलियों का वर्चस्व ऐसा था कि उनके आदेश के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था. दूसरे शब्दों में कहें तो लातेहार जिले के कई ऐसे इलाके थे जो नक्सलियों के राजधानी के रूप में चर्चित थे. यहां नक्सलियों के बड़े लीडर आकर कई कई दिनों तक कैंप करते थे और सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान तक भ्रमण करते थे. इन इलाकों में जिले के मनिका और हेरहंज प्रखंड के जंगली क्षेत्रों के साथ-साथ सदर थाना क्षेत्र के भी कई इलाके शामिल थे. गारू प्रखंड के लोगों की जीवन शैली तो नक्सलियों के रहमों करम पर ही चलता था.
पुलिस हुई सक्रिय तो उखड़े नक्सलियों के पांवः नक्सलियों के खात्मे के लिए सरकार के स्तर से योजना तैयार की गई और पुलिस को सक्रिय की गई. इस काम में स्थानीय पुलिस के अलावा बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया, धीरे-धीरे पुलिस और सुरक्षाबलों को सफलता भी मिलने लगी. नक्सलियों का वर्चस्व जैसे जैसे दम होता गया वैसे वैसे ग्रामीणों का विश्वास पुलिस और सुरक्षाबलों के प्रति बढ़ती गई.
इसके बाद धीरे-धीरे मनिका, हेरहंज, गारू, महुआडांड़, बरवाडीह, चंदवा बालूमाथ, बारियातू समेत सदर थाना क्षेत्र के भी उग्रवाद प्रभावित इलाकों में पुलिस और सुरक्षाबलों की सक्रियता बढ़ी जिससे नक्सलियों के पांव धीरे-धीरे इलाके से उखड़ने लगे. जगह जगह पुलिस और सुरक्षा बलों के कैंप स्थापित होने से नक्सलियों के आवाजाही पर भी काफी हद तक प्रतिबंध लग गया. ऐसे में नक्सली बूढ़ा पहाड़ के इलाके को जो काफी बीहड़ था, उसे अपना आशियाना बना लिया. लेकिन पुलिस और सुरक्षाबलों ने बूढ़ा पहाड़ से भी नक्सलियों को खदेड़ दिया.
नए और सुरक्षित स्थान की तलाश में नक्सलीः लातेहार के बूढ़ा पहाड़ से भागने के बाद नक्सली अब एक बार फिर से अपने लिए सुरक्षित स्थान की तलाश कर रहे हैं. इसके लिए नक्सली उन इलाकों पर नजर टिकाए हैं जो पूर्व में उनके गढ़ थे. गारू प्रखंड के इलाकों में तो पुलिस के द्वारा लगातार की जा रही नक्सलियों के खिलाफ अभियान के कारण वहां रुकना नक्सली मुनासिब नहीं समझ रहे. मनिका और हेरहंज के जंगली इलाकों पर नक्सलियों की उम्मीद टिकी है. बताया जाता है कि इस इलाके में टीएसपीसी नक्सली संगठन के उदय के बाद माओवादियों को क्षेत्र छोड़कर भागना पड़ा था. परंतु अब पीएसपीसी नक्सली संगठन काफी हद तक कमजोर हो गया है. ऐसे में माओवादी इस इलाके को एक बार फिर से चहलकदमी करने लगे हैं. लेकिन पुलिस की सटीक सूचना तंत्र तथा सटीक कार्रवाई के कारण नक्सलियों के मंसूबे सफल नहीं हो पा रहे हैं.
पुलिस की कार्रवाई में हार्डकोर नक्सली गिरफ्तारः कुछ दिन पूर्व गुप्त सूचना पर जिला एसपी अंजनी अंजन के निर्देश पर पुलिस ने छापेमारी अभियान चलाकर भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर चंदन खेरवार को गिरफ्तार किया था. पुलिस को सूचना दी कि मनिका के जंगलों में माओवादियों का एक दस्ता रुका हुआ है. हालांकि पुलिस जब तक छापामारी करती तब तक अन्य नक्सली वहां से फरार हो गए थे.
भ्रमणशील हैं नक्सली, करें सरेंडरः लातेहार एसपी अंजनी अंजन ने कहा कि बूढ़ा पहाड़ के इलाके में अभियान चलाए जाने के बाद से नक्सली वहां से भाग खड़े हुए हैं. एसपी ने कहा कि माओवादी वर्तमान समय में इधर-उधर भटक रहे हैं. उन्होंने कहा कि माओवादियों के लिए अभी भी समय है कि वह सरकार के सरेंडर नीति का फायदा उठाकर पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दें और समाज के मुख्यधारा में लौट जाएं. कमजोर हो रहे नक्सली अपने संगठन को फिर से मजबूत करने के लिए एक नए स्थान की तलाश में है. लेकिन जिले का अब शायद ही कोई ऐसा स्थान होगा जो पुलिस की पहुंच से दूर हो.