लातेहारः कोरोना काल ने जहां लोगों के बीच सामाजिक दूरी बढ़ा दी है. वहीं दिल की दूरियां भी काफी बढ़ गई है. संवेदनहीनता का एक उदाहरण शुक्रवार को लातेहार के चंदवा में देखने को मिला. यहां अज्ञात बीमारी से मरे एक व्यक्ति की शव यात्रा में समाज का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं हुआ. मजबूरी में प्रशासनिक सहायता से मृतक की बेटी और उसकी पत्नी ने उसका अंतिम संस्कार किया.
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किसी ने नहीं लिया अंतिम संस्कार में भाग
चंदवा प्रखंड मुख्यालय में पिछले 15 वर्षों से मिस्त्री का काम करने वाले राजेंद्र मिस्त्री की मौत अज्ञात बीमारी से हो गई. घर में उसकी पत्नी, नाबालिग बेटी और एक 3 साल का बेटा ही था. राजेंद्र की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार करना परिवार के लिए एक समस्या बन गई. राजेद्र की पत्नी ने लोगों से अंतिम संस्कार में मदद मांगी. लेकिन कोरोना ने लोगों के मन में इस कदर डर बना दिया कि कोई भी अंतिम संस्कार में भाग लेने को तैयार नहीं था.
प्रखंड प्रशासन ने की मदद
काफी इंतजार के बाद मामले की जानकारी प्रखंड प्रशासन को दी गई. जानकारी मिलने के बाद प्रखंड प्रशासन के अधिकारी मृतक के घर पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली. अंतिम संस्कार के लिए भी प्रशासन ने ही पूरी व्यवस्था की और शव को एंबुलेंस के सहारे चंदवा स्थित श्मशान घाट पहुंचाया. प्रशासन की ओर से अंतिम संस्कार के लिए मृतक के परिजनों को आर्थिक मदद भी की गई.
नाबालिग बेटी ने दी मुखाग्नि
मृतक की नाबालिग बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी. अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट पर मृतक की पत्नी भी उपस्थित थी.