लातेहारः झारखंड की रानी के रूप में प्रचलित नेतरहाट अपनी नैसर्गिक सौंदर्यता के लिए पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है. इस पहचान के अलावा नेतरहाट की वादियों में होने वाले नाशपाती की खेती भी पूरे देश में विख्यात है. नेतरहाट की नाशपाती की मिठास देश के कोने-कोने में पहुंचकर लोगों को तरोताजा करती है.
इसके अलावा कृषि विभाग ने 2 वर्ष पूर्व लगभग 30 एकड़ भूमि में नाशपाती के पौधे लगाए हैं जो 3 वर्ष के अंतराल में फल देने लगेंगे. इतना ही नहीं नेतरहाट के रहने वाले अधिकांश लोगों के घरों में नाशपाती का पेड़ लगाया गया है. सरकारी बागान के केयर टेकर मोहन ने बताया कि सरकारी बागान में प्रतिवर्ष लगभग 4,500 क्विंटल नाशपाती का उत्पादन हो जाता है, जो देश के लगभग सभी बड़े शहरों के अलावा छोटे शहरों तक भी पहुंचता है.
10 हजार क्विंटल से अधिक होता है उत्पादन
नेतरहाट में सरकारी और निजी दोनों स्तर की खेती मिलाकर कुल 10,000 क्विंटल नाशपाती का उत्पादन हो जाता है. इस कारण नाशपाती की खेती पूरे नेतरहाट क्षेत्र के लिए आर्थिक स्रोत का सशक्त माध्यम बना हुआ है. स्थानीय निवासी अजय प्रसाद ने कहा कि नाशपाती की खेती से लोगों को काफी अच्छा मुनाफा होता है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष उत्पादन में थोड़ी कमी आई है, लेकिन लोगों को फिर भी मुनाफा होगा.
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सेहत के लिए है लाभदायक
अंचलाधिकारी जुल्फिकार अंसारी ने कहा कि नाशपाती की खेती से सरकार को जहां अच्छा राजस्व मिलता है, वहीं ग्रामीणों को भी अच्छा मुनाफा हो जाता है. उन्होंने कहा कि नाशपाती में विभिन्न प्रकार के विटामिन के अलावा अन्य पोषक तत्व भी रहते हैं, जो मनुष्य के शारीरिक और मानसिक विकास में काफी सहायक होते हैं. इस प्रकार नेतरहाट की नाशपाती आर्थिक, मानसिक और शारीरिक विकास में सहायक साबित हो रहा है.
20 रुपए प्रति किलो है भाव
नाशपाती का भाव स्थानीय बाजार में लगभग 20 रुपए प्रति किलो होता है. बड़े शहरों में जाने पर इसकी कीमत 40 से 60 रुपए प्रति किलो हो जाती है. प्रकृति ने नेतरहाट को जितनी सुंदरता दी है उतना ही गुण यहां की मिट्टी में भी दिया है. नेतरहाट की नाशपाती आज पूरे देश में जाकर लोगों के बीच मिठास फैला रही है. जरूरत इस बात की है कि इस खेती को सरकारी स्तर पर और अधिक बढ़ावा दिया जाए.