लातेहार: भाकपा माओवादियों का दो दिवसीय बंद लातेहार जिले में पूरी तरह असफल साबित हुआ.बंद का किसी प्रकार का कोई असर नहीं दिखा. दरअसल, चतरा जिले में पांच माओवादियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना के बाद माओवादियों ने दो दिवसीय झारखंड बंद की घोषणा की थी. माओवादियों ने 20 और 21 अप्रैल को बंद की घोषणा कर रखी थी. हालांकि इस बंद का कोई भी असर जिले में नहीं दिखा. इस दौरान जिला मुख्यालय समेत सभी प्रखंडों में जनजीवन पूरी तरह सामान्य रहा. सभी सरकारी और निजी कार्यालय खुले रहे. वाहनों का परिचालन भी पूरी तरह सामान्य रहा. रेलवे के परिचालन पर भी किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं देखा गया. कुल मिलाकर दोनों दिन माओवादियों का बंद पूरी तरह असफल साबित हुई.
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बंद के मद्देनजर पुलिस दिखी तत्परः हालांकि बंद को लेकर पुलिस-प्रशासन पूरी तरह से तत्पर दिखा. पुलिस के द्वारा हाईवे पर लगातार पेट्रोलिंग की जा रही थी. इस कारण भय का माहौल बिल्कुल नहीं दिखा. एसपी अंजनी अंजन खुद भी स्थिति का जायजा लेते रहे. वहीं संवेदनशील स्थानों पर पुलिस फोर्स की तैनाती की गई थी.
सात साल बाद बदल गई परिस्थितिः नक्सल प्रभावित इलाके में भी अब परिस्थिति काफी हद तक बदल गई है. आज से लगभग सात वर्ष पूर्व तक जब कभी नक्सलियों के द्वारा बंद बुलाया जाता था तो पूरे इलाके में सन्नाटा फैल जाता था. सड़कें वीरान दिखती थीं और ट्रेनों का परिचालन भी प्रभावित हो जाता था. ऐसे में जरूरी पड़ने पर ही लोग नक्सली बंद के दिन अपने घरों से बाहर निकलना मुनासिब नहीं समझते थे, लेकिन अब परिस्थिति बिल्कुल बदल गई है.
अप्रैल में चार बार नक्सली बुला चुके हैं बंदः माओवादियों ने अप्रैल माह में ही चार दिनों तक बंदी की घोषणा की, परंतु इस बार बंदी का असर बिल्कुल नहीं रहा. ग्रामीण क्षेत्रों में जनजीवन पूरी तरह सामान्य दिखा और वाहनों का आवागमन भी पूरी तरह सामान्य रहा.बंद का असर इलाके में नहीं होने से दैनिक मजदूरी या छोटे रोजगार करने वाले लोगों को भी राहत मिली. क्योंकि बंद का सबसे अधिक प्रभाव दैनिक मजदूरी करने वाले लोगों पर ही पड़ता है.