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एक ODF गांव जहां खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण, वजह जान कर रह जाएंगे हैरान - Jharkhand news

लातेहार के नेतरहाट की तराई में बसे नैना गांव को सरकार ने ओडीएफ (ODF Village) घोषित कर दिया है. हालांकि हैरान करने वाली बात ये है कि इस गांव में सरकारी स्तर पर एक भी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है.

Naina village in Latehar Netarhar
Naina village in Latehar Netarhar
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Published : Aug 9, 2022, 5:42 PM IST

Updated : Aug 9, 2022, 6:03 PM IST

लातेहार: जिले में स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) के साथ जमकर मजाक किया गया है. गांव में कुछ एक घरों में शौचालय नहीं रहने के बावजूद गांव को ओडीएफ घोषित (ODF Village) करने की बात तो समझ में आती है, लेकिन जिले के नैना गांव में आज तक एक भी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ. इसके बावजूद इस गांव को खुले में शौच मुक्त गांव (Open Defecation Free Village) घोषित कर दिया गया है. गांव से लगभग 5 किलोमीटर दूर लगा ओडीएफ का बोर्ड सरकार के संपूर्ण स्वच्छता मिशन (Swachh Bharat Abhiyan) पर सवाल खड़े कर रहा है.

ये भी पढ़ें: साहिबगंज में ओडीएफ का मजाक! महिलाएं खुले में शौच के लिए मजबूर


दरअसल नेतरहाट की तराई में बसे नैना गांव पूरी तरह से जंगलों से घिरा हुआ गांव है. नेतरहाट मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव को सरकार ने ओडीएफ घोषित कर दिया है. ओडीएफ का बोर्ड भी गांव से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर लगाया गया है. इस बोर्ड को देखने के बाद कोई भी यही समझता है कि नैना गांव पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त गांव है और यहां सभी ग्रामीणों के घर में शौचालय है, लेकिन सच्चाई इसके ठीक विपरीत है. कागज में ओडीएफ घोषित इस गांव के किसी भी ग्रामीण के घर में आज तक शौचालय का निर्माण नहीं हो सका है. ऐसे में यहां के लगभग सभी ग्रामीण खुले में शौच जाने को विवश हैं.

देखें वीडियो



कई बार ग्रामीणों ने लगाई शौचालय देने की गुहार: ग्रामीण अजय यादव, विनय उरांव ने बताया कि आज तक किसी भी ग्रामीण के घर में शौचालय का निर्माण सरकारी स्तर पर नहीं कराया गया है. शौचालय नहीं रहने के कारण गांव के अधिकांश लोग खुले में शौच जाने को विवश होते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उन लोगों के द्वारा कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के समक्ष शौचालय दिलवाने की मांग की गई है, परंतु आज तक सिर्फ उन्हें आश्वासन ही मिला.

बिचौलियों ने किया खेला: ग्रामीणों के अनुसार 4 साल पहले ही सरकारी कागजों में गांव के प्रत्येक घरों में शौचालय का निर्माण हो गया है. इसी कारण सरकारी स्तर पर गांव को ओडीएफ भी घोषित किया गया है. बताया जाता है कि यह गांव पहाड़ी की तलहटी में बसा हुआ है. ऐसे में यहां जाने के लिए कच्चे रास्ते ही हैं. बेहतर सड़क नहीं होने के कारण अधिकारियों का आना-जाना भी गांव में नहीं के बराबर ही होता है. इसी का फायदा उठाकर बिचौलियों ने खेला कर दिया और कागज में ही शौचालय का निर्माण पूरा कर गांव को ओडीएफ घोषित करवा दिया. ग्रामीणों को पता ना चले इसलिए गांव से 5 किलोमीटर दूर बोर्ड लगाकर गांव को ओडीएफ होने की घोषणा कर दी गई.

क्या थी सरकार की योजना: सरकार की योजना थी कि प्रत्येक ग्रामीण के घर में शौचालय हो ताकि गांव में फैलने वाली बीमारियों को कम किया जा सके. इसके अलावा महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा भी मिल सके. लेकिन सरकार की इस योजना को बिचौलियों ने भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया. इधर इस संबंध में पूछने पर स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता जितेंद्र कुजूर ने कहा कि अगर ऐसा है तो इसकी जांच कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीण आवेदन दें. उन्होंने कहा कि सरकार की स्पष्ट मंशा है कि प्रत्येक ग्रामीण के घर में शौचालय हो. सभी ग्रामीणों का घर में निश्चित रूप से शौचालय बनाया जाएगा.

लातेहार: जिले में स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) के साथ जमकर मजाक किया गया है. गांव में कुछ एक घरों में शौचालय नहीं रहने के बावजूद गांव को ओडीएफ घोषित (ODF Village) करने की बात तो समझ में आती है, लेकिन जिले के नैना गांव में आज तक एक भी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ. इसके बावजूद इस गांव को खुले में शौच मुक्त गांव (Open Defecation Free Village) घोषित कर दिया गया है. गांव से लगभग 5 किलोमीटर दूर लगा ओडीएफ का बोर्ड सरकार के संपूर्ण स्वच्छता मिशन (Swachh Bharat Abhiyan) पर सवाल खड़े कर रहा है.

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दरअसल नेतरहाट की तराई में बसे नैना गांव पूरी तरह से जंगलों से घिरा हुआ गांव है. नेतरहाट मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव को सरकार ने ओडीएफ घोषित कर दिया है. ओडीएफ का बोर्ड भी गांव से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर लगाया गया है. इस बोर्ड को देखने के बाद कोई भी यही समझता है कि नैना गांव पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त गांव है और यहां सभी ग्रामीणों के घर में शौचालय है, लेकिन सच्चाई इसके ठीक विपरीत है. कागज में ओडीएफ घोषित इस गांव के किसी भी ग्रामीण के घर में आज तक शौचालय का निर्माण नहीं हो सका है. ऐसे में यहां के लगभग सभी ग्रामीण खुले में शौच जाने को विवश हैं.

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कई बार ग्रामीणों ने लगाई शौचालय देने की गुहार: ग्रामीण अजय यादव, विनय उरांव ने बताया कि आज तक किसी भी ग्रामीण के घर में शौचालय का निर्माण सरकारी स्तर पर नहीं कराया गया है. शौचालय नहीं रहने के कारण गांव के अधिकांश लोग खुले में शौच जाने को विवश होते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उन लोगों के द्वारा कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के समक्ष शौचालय दिलवाने की मांग की गई है, परंतु आज तक सिर्फ उन्हें आश्वासन ही मिला.

बिचौलियों ने किया खेला: ग्रामीणों के अनुसार 4 साल पहले ही सरकारी कागजों में गांव के प्रत्येक घरों में शौचालय का निर्माण हो गया है. इसी कारण सरकारी स्तर पर गांव को ओडीएफ भी घोषित किया गया है. बताया जाता है कि यह गांव पहाड़ी की तलहटी में बसा हुआ है. ऐसे में यहां जाने के लिए कच्चे रास्ते ही हैं. बेहतर सड़क नहीं होने के कारण अधिकारियों का आना-जाना भी गांव में नहीं के बराबर ही होता है. इसी का फायदा उठाकर बिचौलियों ने खेला कर दिया और कागज में ही शौचालय का निर्माण पूरा कर गांव को ओडीएफ घोषित करवा दिया. ग्रामीणों को पता ना चले इसलिए गांव से 5 किलोमीटर दूर बोर्ड लगाकर गांव को ओडीएफ होने की घोषणा कर दी गई.

क्या थी सरकार की योजना: सरकार की योजना थी कि प्रत्येक ग्रामीण के घर में शौचालय हो ताकि गांव में फैलने वाली बीमारियों को कम किया जा सके. इसके अलावा महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा भी मिल सके. लेकिन सरकार की इस योजना को बिचौलियों ने भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया. इधर इस संबंध में पूछने पर स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता जितेंद्र कुजूर ने कहा कि अगर ऐसा है तो इसकी जांच कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीण आवेदन दें. उन्होंने कहा कि सरकार की स्पष्ट मंशा है कि प्रत्येक ग्रामीण के घर में शौचालय हो. सभी ग्रामीणों का घर में निश्चित रूप से शौचालय बनाया जाएगा.

Last Updated : Aug 9, 2022, 6:03 PM IST
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