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लातेहारः बाघ से लड़कर जीता शिवचरण, पर सरकारी सिस्टम से हार गया - लातेहार में बाघ से लड़ने वाले शिवचरण की मौत

लातेहार में पिछले महीने 10 फरवरी को जंगल में बाघ से लड़कर बचने वाला शिवचरण सिंह सरकारी सिस्टम का शिकार हो गया. इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई.

लातेहारः बाघ से लड़कर जीता शिवचरण, पर सरकारी सिस्टम से हार गया
परिजनों से मुलाकात करते भाजपा नेता
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Published : Mar 11, 2020, 7:22 PM IST

लातेहारः बाघ से लड़कर अपनी जिंदगी बचाने वाला बहादुर शिवचरण आखिरकार सरकारी सिस्टम से लड़ते-लड़ते हार गया और दम तोड़ दिया. जिले का बहादुर शिवचरण सिंह ने 10 फरवरी को भैंसमारा गांव के जंगल में एक बाघ से लड़कर अपनी जिंदगी बचा ली थी. परंतु उचित इलाज के अभाव में वह जिंदगी का जंग हार गया.

देखें पूरी खबर

और पढ़ें- होली के बाद बदला मौसम का मिजाज, राज्य के कई जिलों में हो रही है बारिश

बता दें, कि गत 10 फरवरी 2020 को भैंसमारा गांव निवासी शिवचरण सिंह जंगल में जानवर चराने गए थे, जहां उन पर एक बाघ ने हमला कर दिया था. शिवचरण लगभग 10 मिनट तक बाघ से लड़ते रहे और अंत में बाघ को भागने पर मजबूर कर दिया. इस घटना में शिवचरण गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें लातेहार सदर अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद रिम्स रेफर कर दिया गया था. घटना के बाद वन विभाग के अधिकारी अस्पताल पहुंचे थे और उन्हें रिम्स में इलाज के दौरान पूरी मदद करने का आश्वासन भी दिया था. परंतु वन विभाग अपने वादों को भूल गया. पैसे के अभाव में उचित इलाज नहीं हो पाया, जिससे शिवचरण आखिरकार दम तोड़ दिया.

इलाज में बिक गई संपत्ति

शिवचरण के इलाज के लिए सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण इलाज के लिए उसके परिवार वालों ने घर के गाय बकरी आदि बेच दी. सबसे दुखद बात तो यह है कि मरने के बाद उसे घर लाने तक की भी व्यवस्था सरकारी सिस्टम ने नहीं किया. घर में पाले गए बकरे को बेचकर शव को घर लाने का भाड़ा जुटाया गया.

भाजपा की टीम पहुंची पीड़ित परिवार से मिलने

घटना की जानकारी होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की टीम पीड़ित परिवार से मिलने उनके घर गए. मनिका विधानसभा से भाजपा के प्रत्याशी बनाए गए रघुपाल सिंह ने कहा कि जंगली जानवर के हमले से घायल होने के बाद इलाज का सारा खर्च विभाग की ओर से उठाए जाने का प्रावधान है. इसके बावजूद शिवचरण को किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया जाना काफी निंदनीय है. मामले में दोषियों पर कार्रवाई के लिए वे लोग आंदोलन करेंगे.

लातेहारः बाघ से लड़कर अपनी जिंदगी बचाने वाला बहादुर शिवचरण आखिरकार सरकारी सिस्टम से लड़ते-लड़ते हार गया और दम तोड़ दिया. जिले का बहादुर शिवचरण सिंह ने 10 फरवरी को भैंसमारा गांव के जंगल में एक बाघ से लड़कर अपनी जिंदगी बचा ली थी. परंतु उचित इलाज के अभाव में वह जिंदगी का जंग हार गया.

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बता दें, कि गत 10 फरवरी 2020 को भैंसमारा गांव निवासी शिवचरण सिंह जंगल में जानवर चराने गए थे, जहां उन पर एक बाघ ने हमला कर दिया था. शिवचरण लगभग 10 मिनट तक बाघ से लड़ते रहे और अंत में बाघ को भागने पर मजबूर कर दिया. इस घटना में शिवचरण गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें लातेहार सदर अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद रिम्स रेफर कर दिया गया था. घटना के बाद वन विभाग के अधिकारी अस्पताल पहुंचे थे और उन्हें रिम्स में इलाज के दौरान पूरी मदद करने का आश्वासन भी दिया था. परंतु वन विभाग अपने वादों को भूल गया. पैसे के अभाव में उचित इलाज नहीं हो पाया, जिससे शिवचरण आखिरकार दम तोड़ दिया.

इलाज में बिक गई संपत्ति

शिवचरण के इलाज के लिए सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण इलाज के लिए उसके परिवार वालों ने घर के गाय बकरी आदि बेच दी. सबसे दुखद बात तो यह है कि मरने के बाद उसे घर लाने तक की भी व्यवस्था सरकारी सिस्टम ने नहीं किया. घर में पाले गए बकरे को बेचकर शव को घर लाने का भाड़ा जुटाया गया.

भाजपा की टीम पहुंची पीड़ित परिवार से मिलने

घटना की जानकारी होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की टीम पीड़ित परिवार से मिलने उनके घर गए. मनिका विधानसभा से भाजपा के प्रत्याशी बनाए गए रघुपाल सिंह ने कहा कि जंगली जानवर के हमले से घायल होने के बाद इलाज का सारा खर्च विभाग की ओर से उठाए जाने का प्रावधान है. इसके बावजूद शिवचरण को किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया जाना काफी निंदनीय है. मामले में दोषियों पर कार्रवाई के लिए वे लोग आंदोलन करेंगे.

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