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लातेहार के किसान दे रहे सुखाड़ को मात, केले की खेती कर कमाएंगे चौगुणा मुनाफा - 3 एकड़ में 2500 केले के पौधे

लातेहार में किसानों ने सुखाड़ को मात देने के लिए नया रास्ता अपनाया है. सदर प्रखंड के हेसलबार गांव के ग्रामीण सामूहिक रूप से 3 एकड़ में केले की खेती कर रहे हैं. इससे किसानों को चौगुना फायदा मिलेगा.

केले की खेती
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Published : Aug 21, 2019, 2:29 PM IST

लातेहार: जिले के किसान मुख्य रूप से पारंपरिक खेती पर ही निर्भर रहते हैं. जिससे सुखाड़ पड़ने पर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन इस बार सदर प्रखंड के हेसलबार गांव के ग्रामीण सामूहिक रूप से केला की खेती कर सुखाड़ को मात देने की तैयारी कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

सुखाड़ से किसानों को नुकसान
दरअसल, सिंचाईं के अभाव और सुखाड़ के कारण लगभग हर साल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इस परिस्थिति पर विजय पाने के लिए लातेहार सदर प्रखंड के हेसलवार गांव के किसानों ने सामूहिक खेती का रास्ता अपनाया है. लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक की पहल पर किसानों ने गांव के 3 एकड़ भूमि पर सामूहिक रूप से केला की खेती शुरू की है.


3 एकड़ में 2500 केले के पौधे
3 एकड़ में लगभग पच्चीस सौ केले के पौधे लगाए गए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले वर्ष इन पौधों में फल आ जाएंगे. इस खेती से किसानों को पारंपरिक खेती की अपेक्षा 4 गुना अधिक मुनाफा होगा. इस संबंध में किसान कुंवर सिंह ने बताया कि सुखाड़ आदि के कारण उन्हें हर साल खेती में नुकसान होता है. इसीलिए इस बार गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से गांव के 3 एकड़ परती जमीन पर केले की खेती शुरू की है. एक साल में केला में फल आएगा. इस खेती में उन्हें 4 गुना अधिक मुनाफा होगा.

ये भी पढ़ें: आजसू का चुनावी हथकंडा, आजसू लिखी कुर्सी बांट रहे हैं सुदेश
3 साल तक होगी आमदनी
वहीं किसान मोहन सिंह ने कहा कि मौसम की मार के कारण किसान हर साल नुकसान में रहते हैं, लेकिन केले की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होगी. यह 3 साल तक फल देते रहेंगे. इधर, लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने कहा कि जिले के किसान मुख्य रूप से पारंपरिक खेती ही करते हैं. जिसमें उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हो पाता. ऐसे में यह प्रयास किया गया है कि केला की खेती आरंभ कर किसानों की आय बढ़ाई जाए.

लातेहार: जिले के किसान मुख्य रूप से पारंपरिक खेती पर ही निर्भर रहते हैं. जिससे सुखाड़ पड़ने पर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन इस बार सदर प्रखंड के हेसलबार गांव के ग्रामीण सामूहिक रूप से केला की खेती कर सुखाड़ को मात देने की तैयारी कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

सुखाड़ से किसानों को नुकसान
दरअसल, सिंचाईं के अभाव और सुखाड़ के कारण लगभग हर साल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इस परिस्थिति पर विजय पाने के लिए लातेहार सदर प्रखंड के हेसलवार गांव के किसानों ने सामूहिक खेती का रास्ता अपनाया है. लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक की पहल पर किसानों ने गांव के 3 एकड़ भूमि पर सामूहिक रूप से केला की खेती शुरू की है.


3 एकड़ में 2500 केले के पौधे
3 एकड़ में लगभग पच्चीस सौ केले के पौधे लगाए गए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले वर्ष इन पौधों में फल आ जाएंगे. इस खेती से किसानों को पारंपरिक खेती की अपेक्षा 4 गुना अधिक मुनाफा होगा. इस संबंध में किसान कुंवर सिंह ने बताया कि सुखाड़ आदि के कारण उन्हें हर साल खेती में नुकसान होता है. इसीलिए इस बार गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से गांव के 3 एकड़ परती जमीन पर केले की खेती शुरू की है. एक साल में केला में फल आएगा. इस खेती में उन्हें 4 गुना अधिक मुनाफा होगा.

ये भी पढ़ें: आजसू का चुनावी हथकंडा, आजसू लिखी कुर्सी बांट रहे हैं सुदेश
3 साल तक होगी आमदनी
वहीं किसान मोहन सिंह ने कहा कि मौसम की मार के कारण किसान हर साल नुकसान में रहते हैं, लेकिन केले की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होगी. यह 3 साल तक फल देते रहेंगे. इधर, लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने कहा कि जिले के किसान मुख्य रूप से पारंपरिक खेती ही करते हैं. जिसमें उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हो पाता. ऐसे में यह प्रयास किया गया है कि केला की खेती आरंभ कर किसानों की आय बढ़ाई जाए.

Intro:लातेहार के किसान केला की खेती से देंगे सुखाड़ को मात

लातेहार. लातेहार जिले के किसान मुख्य रूप से पारंपरिक खेती पर ही निर्भर रहते हैं. जिससे सुखाड़ पड़ने पर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है. परंतु इस बार सदर प्रखंड के हेसलबार गांव के ग्रामीण सामूहिक रूप से केला की खेती कर सुखाड़ को मात देने की तैयारी कर लिए हैं.


Body:दरअसल सिंचाई के अभाव और सुखाड़ के कारण लगभग हर साल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इस परिस्थिति पर विजय पाने के लिए लातेहार सदर प्रखंड के हेसलवार गांव के किसान सामूहिक खेती का रास्ता अपना लिए हैं.
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प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कराई पहल

लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक की पहल पर किसान गांव के 3 एकड़ भूमि में सामूहिक रूप से केला की खेती आरंभ किए हैं. 3 एकड़ में लगभग पच्चीस सौ केले के पौधे लगाए गए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले वर्ष इन पौधों में फल आ जाएंगे. इस खेती से किसानों को पारंपरिक खेती की अपेक्षा 4 गुना अधिक मुनाफा होगा.
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सुखाड़ से हर साल होता है नुकसान
इस संबंध में किसान कुंवर सिंह ने बताया कि सुखाड़ आदि के कारण उन्हें हर साल खेती में नुकसान होता है. इसीलिए इस बार गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से गांव के 3 एकड़ परती जमीन में केला की खेती आरंभ किए हैं. 1 साल में केला में फल आएंगे. इस खेती में उन्हें 4 गुना अधिक मुनाफा होगा. वहीं किसान मोहन सिंह ने कहा कि मौसम की मार के कारण किसान हर साल नुकसान में रहते हैं. परंतु केले की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होगी. यह 3 साल तक फल देते रहेंगे. इधर लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने कहा कि जिले के किसान मुख्य रूप से पारंपरिक खेती ही करते हैं. जिसमें उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हो पाता. ऐसे में यह प्रयास किया गया है कि केला की खेती आरंभ कर किसानों की आय बढ़ाई जाए.
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byte- किसान कुंवर सिंह....... सफेद गंजी पहने हैं
byte- किसान मोहन सिंह
byte- प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक


Conclusion:किसानों के द्वारा पारंपरिक खेती के साथ वैकल्पिक खेती के रूप में केला की खेती आरंभ करना लातेहार जैसे जिले के किसानों के लिए एक प्रेरणा है. यदि यह कदम सफल रहा तो आने वाले दिनों में लातेहार वैकल्पिक खेती के जिले के रूप में अलग पहचान बना लेगा.
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