लातेहार: जिले के किसान मुख्य रूप से पारंपरिक खेती पर ही निर्भर रहते हैं. जिससे सुखाड़ पड़ने पर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन इस बार सदर प्रखंड के हेसलबार गांव के ग्रामीण सामूहिक रूप से केला की खेती कर सुखाड़ को मात देने की तैयारी कर रहे हैं.
सुखाड़ से किसानों को नुकसान
दरअसल, सिंचाईं के अभाव और सुखाड़ के कारण लगभग हर साल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इस परिस्थिति पर विजय पाने के लिए लातेहार सदर प्रखंड के हेसलवार गांव के किसानों ने सामूहिक खेती का रास्ता अपनाया है. लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक की पहल पर किसानों ने गांव के 3 एकड़ भूमि पर सामूहिक रूप से केला की खेती शुरू की है.
3 एकड़ में 2500 केले के पौधे
3 एकड़ में लगभग पच्चीस सौ केले के पौधे लगाए गए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले वर्ष इन पौधों में फल आ जाएंगे. इस खेती से किसानों को पारंपरिक खेती की अपेक्षा 4 गुना अधिक मुनाफा होगा. इस संबंध में किसान कुंवर सिंह ने बताया कि सुखाड़ आदि के कारण उन्हें हर साल खेती में नुकसान होता है. इसीलिए इस बार गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से गांव के 3 एकड़ परती जमीन पर केले की खेती शुरू की है. एक साल में केला में फल आएगा. इस खेती में उन्हें 4 गुना अधिक मुनाफा होगा.
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3 साल तक होगी आमदनी
वहीं किसान मोहन सिंह ने कहा कि मौसम की मार के कारण किसान हर साल नुकसान में रहते हैं, लेकिन केले की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होगी. यह 3 साल तक फल देते रहेंगे. इधर, लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने कहा कि जिले के किसान मुख्य रूप से पारंपरिक खेती ही करते हैं. जिसमें उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हो पाता. ऐसे में यह प्रयास किया गया है कि केला की खेती आरंभ कर किसानों की आय बढ़ाई जाए.