लातेहारः अमूमन सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव होता है. कई स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर होती है इसके साथ ब्लैक बोर्ड और बेंच-डेस्क तक ठीक नहीं होते. सरकारी स्कूल में अच्छी सुविधाएं नहीं होने की वजह से अभिभावक भी अपने बच्चों की प्राइवेट स्कूल में दाखिला करवाते हैं. लेकिन लातेहार के चंदवा प्रखंड के सासंग गांव में स्थित राजकीयकृत मध्य विद्यालय एक ऐसा उदाहरण है, जो प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहा है.
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लातेहार के अधिकतर सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहतर नहीं हैं. स्कूल भवन के साथ-साथ शिक्षकों की भी कमी है. इस स्थिति में सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है. हालांकि, विपरित परिस्थिति में भी कुछ विद्यालय हैं, जो बच्चों को बेहतर सुविधा के साथ-साथ अच्छी शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं. सासंग मध्य विद्यालय में पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होती हैं और 400 से अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित हैं.
चंदवा प्रखंड के सासंग गांव में स्थित सरकारी मध्य विद्यालय बेहतर शिक्षा के मामले में प्राइवेट स्कूलों को भी टक्कर दे रहा है. स्कूल में जहां बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल रही है. वहीं, सर्वांगीण विकास के लिए अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध है. स्कूल में पुस्तकालय के अलावे लैबोरेट्री, शौचालय, खेल का मैदान, स्कूल भवन सहित अन्य सुविधाएं मौजूद हैं. इसके साथ ही स्कूल परिसर की बेहतर साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. स्कूल के छात्र प्रांजल कुमार और छात्रा प्रियांशु कुमारी कहती हैं कि स्कूल में वह सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो किसी अच्छे प्राइवेट स्कूल में होती हैं. शिक्षक उन्हें अच्छी शिक्षा देने के साथ-साथ होमवर्क भी देते हैं और प्रतिदिन होमवर्क चेक भी करते हैं.
स्कूल को बेहतर बनाने में स्कूल के शिक्षकों का बड़ा योगदान है. स्कूल के प्रधानाध्यापक शंकर भगत कहते हैं कि लगभग 3 वर्ष पहले इस स्कूल में योगदान दिया था. उसी समय से यह संकल्प लिया था कि इस स्कूल को बेहतर सुविधा युक्त बनाएंगे. उन्होंने कहा कि स्कूल के शिक्षकों के साथ साथ स्थानीय लोगों का पूरा सहयोग मिला, जिससे बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवा रहे हैं. विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार ने बताया कि किसी भी काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए मेहनत करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि बच्चों के अभिभावकों के साथ प्रत्येक सप्ताह मीटिंग करते हैं और इस मीटिंग में विद्यालय को बेहतर बनाने के लिए विचार-विमर्श किया जाता था.