लातेहारः झारखंड राज्य का गठन भले ही आदिवासी हित के नाम पर हुआ हो. लेकिन आदिवासियों के हित में बनी इस राज्य में भी सबसे कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करने वाले विलुप्त प्राय बिरहोर आदिम जनजातियों तक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में सरकारी महकमा फेल साबित हुआ है. लातेहार सदर प्रखंड के धनकारा पंचायत के इचाबार गांव में स्थित बिरहोर टोला इसका एक उदाहरण (Latehar Bad situation of Birhor) मात्र है. यहां निवास करने वाले बिरहोर आदिम जनजाति के लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.
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लातेहार सदर प्रखंड के इचाबार गांव में आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोग निवास करते हैं. यह बिरहोर समुदाय विलुप्त प्राय आदिम जनजातियों की श्रेणी में आता है. इन्हें संरक्षण देने के साथ-साथ सरकारी सुविधा देने के लिए सरकार के द्वारा कई प्रकार की योजनाएं संचालित की जा रही हैं. लेकिन लाभुकों तक योजना पहुंचने से पहले ही दम तोड़ती नजर आ रही (Bad situation of Birhor in Ichabar village) है. कागजों में तो आदिम जनजातियों को सभी प्रकार की योजनाओं से आच्छादित करते हुए उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है, पर धरातल पर योजनाओं का लाभ सिर्फ हाथी का दांत साबित हो रहा है.
बूंद-बूंद पानी के लिए भी तरस रहे लोगः इस गांव में रहने वाले बिरहोर परिवार बूंद-बूंद पानी के लिए भी तरस रहे हैं. आदिम जनजातियों को लगभग 1 किलोमीटर दूर एक नाले से पानी लाना पड़ रहा है. ग्रामीण महिला सरस्वती बिरहोर और राधिका बिरहोर बताती हैं कि लगभग 1 साल पहले गांव में एक सोलर आधारित जलमीनार लगाया गया था. कुछ दिन पानी भी मिला पर उसके बाद जलमीनार खराब हो गया. इसकी शिकायत कई बार उन्होंने स्थानीय मुखिया के अलावे अधिकारियों से भी की, पर किसी ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया. ऐसे में 1 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जलमीनार खराब ही पड़ा है. मजबूरी में उन लोगों को पीने का पानी भी लगभग 1 किलोमीटर दूर एक नाले से लाना पड़ रहा है.
परिवार बढ़ता गया पर नहीं मिला आवासः ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 10 वर्ष से इस गांव के किसी भी आदिम जनजातियों को सरकारी आवास योजना का लाभ नहीं मिला है जबकि उनके परिवार लगातार बढ़ते जा रहे हैं. बच्चों की शादी होने के बाद भी उन्हें आवास की सुविधा नहीं मिल रही है, जिस कारण पुराने और एक कमरे के जर्जर आवास में ही सभी लोगों को रहना पड़ रहा है. आवास के लिए भी कई बार मुखिया और अधिकारियों से गुहार लगाई गई पर किसी ने उनकी बात नहीं सुनी.
मात्र 250 लोगों को भी सुविधा देने में प्रशासनिक तंत्र फेलः जिला में आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोगों की संख्या मात्र 250 के करीब है. इनमें 60 लोग इचाबार गांव में निवास करते हैं. लेकिन इतने कम लोगों को भी सुविधा बहाल कराने में सरकारी महकमा फेल है. जबकि सरकार की ओर से इन विलुप्त प्राय समुदायों को संरक्षित करने के लिए कई प्रकार की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं.
प्रखंड विकास पदाधिकारी ने दिया समाधान का आश्वासनः इस मुद्दे को लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी मेघनाथ उरांव ने कहा कि आदिम जनजातियों के प्रत्येक गांव तक पेयजल सुविधा बहाल कर दी गई है. यदि किसी गांव में इस प्रकार की समस्या है तो उसे अविलंब ठीक कराया जाएगा. झारखंड में बिरहोर (Birhor community in Jharkhand in dire straits) समेत कई आदिम जनजातियों को संरक्षित करने के लिए सरकार की जो योजनाएं चलाई जा रही है. सिर्फ उन योजनाओं को ही लाभुकों तक पहुंचा दिया जाए तो उनकी स्थिति में काफी सुधार हो सकती है.