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नचना गांव में भूमि सर्वे नहीं हो पाया ऑनलाइन, 3 साल से ठप पड़ा विकास कार्य - लातेहार के नचना गांव में नहीं हो पाया भूमि सर्वे ऑनलाइन

लातेहार के नचना गांव के ग्रामीणों के लिए डिजिटल इंडिया अभिशाप बन गया है. सरकारी उदासीनता के कारण इस गांव का भूमि सर्वे ऑनलाइन नहीं हो पाया. जिसके कारण 3 सालों से ग्रामीणों का विकास नहीं हो पाया है.

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Published : Apr 11, 2021, 3:51 PM IST

Updated : Apr 11, 2021, 7:59 PM IST

लातेहार: आम लोगों की सुविधा के लिए सरकार की ओर से भूमि सर्वे की रिपोर्ट को ऑनलाइन किया गया है. लेकिन डिजिटल इंडिया का यह रूप लातेहार जिले के नचना गांव के ग्रामीणों के लिए अभिशाप बन गया है. सरकारी उदासीनता के कारण जिले के इस गांव का भूमि सर्वे ऑनलाइन नहीं हो पाया. ऐसे में विगत 3 सालों से ग्रामीणों का जीवन ठप पड़ गया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- लातेहार में बिना पूंजी लगाए अच्छी कमाई कर रहे ग्रामीण, महुआ के सहारे कट रही जिंदगी

सरकारी सहायता से वंचित
जिला के लगभग सभी गांव का सर्वे कर 3 साल पहले ही भूमि सर्वे को ऑनलाइन कर दिया गया. जिसके बाद सरकारी गाइडलाइन जारी की गई कि अब ग्रामीणों को किसी भी प्रकार के सरकारी लाभ के लिए भूमि की ऑनलाइन रसीद जमा करनी होगी. लेकिन जिला के बरियातू प्रखंड अंतर्गत नचना गांव का सर्वे आज तक ऑनलाइन नहीं किया गया. ऐसे में सरकारी गाइडलाइन के कारण इस गांव के ग्रामीणों को लगभग सभी प्रकार की सरकारी सहायता से वंचित होना पड़ रहा है.

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नचना गांव

नहीं बन रहा है किसी प्रकार का प्रमाण पत्र

नचना गांव के ग्रामीणों के भूमि का ऑनलाइन रसीद नहीं करने के कारण उनका किसी भी प्रकार का प्रमाण पत्र भी नहीं बन पा रहा है. सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए कई स्थान पर जाति, आय और आवासीय प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है. इन प्रमाण-पत्रों को बनाने के लिए भूमि की रसीद की जरूरत होती है. लेकिन सर्वे ऑनलाइन नहीं होने के कारण यहां के ग्रामीणों को ना तो रसीद मिल पा रहा है और ना ही किसी प्रकार का कोई प्रमाण पत्र बन पा रहा है. ग्रामीण अमित भुइयां, राजमुनि देवी ने कहा कि प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण उन लोगों का विकास पूरी तरह से रूक गया है.

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ठप पड़ा है नचना गांव का विकास

आदिवासी और दलित बहुल है नचना गांव

नचना गांव में लगभग 50 परिवार निवास करते हैं. कुल 400 आबादी वाले इस गांव में अधिकांश लोग आदिवासी और अनुसूचित जाति से आते हैं. इन दोनों जातियों को सरकारी योजना के लाभ के लिए जाति प्रमाण पत्र की अनिवार्यता होती है. बच्चों की शिक्षा भी हो रही है बाधित प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण गांव के बच्चों की शिक्षा भी बाधित हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि पढ़ाई के लिए प्रमाण पत्र की सबसे अधिक आवश्यकता होती है. लेकिन जब वह प्रमाण पत्र बनवाने जाते हैं तो उनसे ऑनलाइन रसीद की मांग की जाती है. बिना रसीद के प्रमाण पत्र नहीं बनता है. जिससे बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है.

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नचना गांव में विकास की कमी

समाजसेवी से लगाई गुहार

ग्रामीणों ने सूचना अधिकार रक्षा मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सह समाजसेवी रविकांत पासवान के समक्ष भी गुहार लगाई और सूचना के अधिकार से पूरे मामले की जानकारी लेने की मांग की. रविकांत पासवान ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि वह इस मुद्दे को लेकर प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ सरकार तक मामला उठाएंगे.

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ग्रामीण

क्या कहते हैं प्रतिनिधि

इस संबंध में गांव के वार्ड सदस्य सरदूल उरांव ने कहा कि मामले की जानकारी प्रशासन को दे दी गई है. लेकिन वहां से भी सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी

इस संबंध में पूछने पर अंचल निरीक्षक मनोज कुमार ने कहा कि गांव की समस्या को लेकर पत्राचार किया गया है. सर्वे की सीडी बना कर विभाग को भेज दी गई है. जल्द ही सर्वे रिपोर्ट ऑनलाइन होगी.

लातेहार: आम लोगों की सुविधा के लिए सरकार की ओर से भूमि सर्वे की रिपोर्ट को ऑनलाइन किया गया है. लेकिन डिजिटल इंडिया का यह रूप लातेहार जिले के नचना गांव के ग्रामीणों के लिए अभिशाप बन गया है. सरकारी उदासीनता के कारण जिले के इस गांव का भूमि सर्वे ऑनलाइन नहीं हो पाया. ऐसे में विगत 3 सालों से ग्रामीणों का जीवन ठप पड़ गया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

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सरकारी सहायता से वंचित
जिला के लगभग सभी गांव का सर्वे कर 3 साल पहले ही भूमि सर्वे को ऑनलाइन कर दिया गया. जिसके बाद सरकारी गाइडलाइन जारी की गई कि अब ग्रामीणों को किसी भी प्रकार के सरकारी लाभ के लिए भूमि की ऑनलाइन रसीद जमा करनी होगी. लेकिन जिला के बरियातू प्रखंड अंतर्गत नचना गांव का सर्वे आज तक ऑनलाइन नहीं किया गया. ऐसे में सरकारी गाइडलाइन के कारण इस गांव के ग्रामीणों को लगभग सभी प्रकार की सरकारी सहायता से वंचित होना पड़ रहा है.

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नचना गांव

नहीं बन रहा है किसी प्रकार का प्रमाण पत्र

नचना गांव के ग्रामीणों के भूमि का ऑनलाइन रसीद नहीं करने के कारण उनका किसी भी प्रकार का प्रमाण पत्र भी नहीं बन पा रहा है. सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए कई स्थान पर जाति, आय और आवासीय प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है. इन प्रमाण-पत्रों को बनाने के लिए भूमि की रसीद की जरूरत होती है. लेकिन सर्वे ऑनलाइन नहीं होने के कारण यहां के ग्रामीणों को ना तो रसीद मिल पा रहा है और ना ही किसी प्रकार का कोई प्रमाण पत्र बन पा रहा है. ग्रामीण अमित भुइयां, राजमुनि देवी ने कहा कि प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण उन लोगों का विकास पूरी तरह से रूक गया है.

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ठप पड़ा है नचना गांव का विकास

आदिवासी और दलित बहुल है नचना गांव

नचना गांव में लगभग 50 परिवार निवास करते हैं. कुल 400 आबादी वाले इस गांव में अधिकांश लोग आदिवासी और अनुसूचित जाति से आते हैं. इन दोनों जातियों को सरकारी योजना के लाभ के लिए जाति प्रमाण पत्र की अनिवार्यता होती है. बच्चों की शिक्षा भी हो रही है बाधित प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण गांव के बच्चों की शिक्षा भी बाधित हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि पढ़ाई के लिए प्रमाण पत्र की सबसे अधिक आवश्यकता होती है. लेकिन जब वह प्रमाण पत्र बनवाने जाते हैं तो उनसे ऑनलाइन रसीद की मांग की जाती है. बिना रसीद के प्रमाण पत्र नहीं बनता है. जिससे बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है.

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नचना गांव में विकास की कमी

समाजसेवी से लगाई गुहार

ग्रामीणों ने सूचना अधिकार रक्षा मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सह समाजसेवी रविकांत पासवान के समक्ष भी गुहार लगाई और सूचना के अधिकार से पूरे मामले की जानकारी लेने की मांग की. रविकांत पासवान ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि वह इस मुद्दे को लेकर प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ सरकार तक मामला उठाएंगे.

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ग्रामीण

क्या कहते हैं प्रतिनिधि

इस संबंध में गांव के वार्ड सदस्य सरदूल उरांव ने कहा कि मामले की जानकारी प्रशासन को दे दी गई है. लेकिन वहां से भी सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी

इस संबंध में पूछने पर अंचल निरीक्षक मनोज कुमार ने कहा कि गांव की समस्या को लेकर पत्राचार किया गया है. सर्वे की सीडी बना कर विभाग को भेज दी गई है. जल्द ही सर्वे रिपोर्ट ऑनलाइन होगी.

Last Updated : Apr 11, 2021, 7:59 PM IST
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