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फाइलों में विकास की बयार, जमीनी सच्चाई पर सिस्टम की मार! देखिए, लातेहार के पवही गांव का हाल

दावे तो बहुत हैं कि आदिम जनजातियों का विकास होगा, योजनाएं संचालित हो रही हैं, गांव के गांव को गोद लेकर सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है. फाइलों में विकास की बयार है लेकिन धरातल पर दिख रही सच्चाई पर सिस्टम की मार है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट से जानिए लातेहार के पवही गांव का हाल (Lack of basic facilities in Pawhi village of Latehar).

Lack of basic facilities in Pawhi village of Latehar
लातेहार
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Published : Dec 1, 2022, 9:55 AM IST

लातेहारः सरकार भले ही आदिम जनजातियों को सुविधा उपलब्ध कराकर उनके जीवन को आसान बनाने की बात कहती हो, पर धरातल पर सच्चाई बिल्कुल अलग है. लातेहार सदर प्रखंड का पवही गांव पूरी तरह आदिम जनजाति बहुल है. कागजों में भले ही इस गांव को सभी प्रकार की सुविधा से संपन्न करा दिया गया हो, पर गांव में जाने पर सरकारी दावे खोखले नजर आते हैं.


इसे भी पढ़ें- लातेहार में विवश है आदिम जनजातियां, जर्जर आवास में रहने को मजबूर

जिला के सदर प्रखंड के पोचरा पंचायत का पवही गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा (Lack of basic facilities in Pawhi village of Latehar) है. इस गांव तक पहुंचने के लिए आज तक एक सड़क का भी निर्माण नहीं किया जा सका है. ग्रामीण जर्जर रास्ते पर पैदल चलकर भगवान भरोसे गांव से आते जाते हैं. जर्जर सड़क होने के कारण गांव से पैदल लगभग 5 किलोमीटर दूरी तय करना पड़ता है. ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के कारण कोई भी चार पहिया वाहन यहां नहीं पहुंच पाता. बड़ी मुश्किल से कभी-कभार ट्रैक्टर या मोटरसाइकिल गांव पहुंचता है. ग्रामीण पिंटू परहिया और वीरू सिंह ने बताया कि सड़क की स्थिति इतनी जर्जर है कि पैदल चलना भी मुश्किल होता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

नहीं मिलता सरकारी योजनाओं का लाभः ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता. मात्र राशन ही सरकारी सुविधा के नाम पर उन्हें मुहैया कराई जाती है. गांव के शायद ही कोई ऐसा परिवार है जिन्हें पेंशन मिलता है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पिछले कई वर्षों से इस आदिम जनजाति परिवार को ना ही बिरसा आवास मिला है और ना ही अन्य सुविधा दी गई है.

2 साल से खराब है जल मीनारः आदिम जनजातियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लगभग 2 साल पहले गांव में जल मीनार लगाया गया था लेकिन निर्माण के कुछ ही दिन बाद जल मीनार खराब हो गया. पिछले 2 वर्ष में ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों के अलावा सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के पास जल मीनार को दुरुस्त कराने की गुहार लगाते रहे पर आज तक जल मीनार को ठीक नहीं कराया गया. ऐसे में यहां के ग्रामीणों को पेयजल की भी और कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण महिला मुन्नी देवी ने बताया कि गांव में पानी की भारी समस्या है.

सरकारी प्रावधान के अनुसार आदिम जनजातियों के लिए कई योजनाएंः सरकारी प्रावधानों की मानें तो आदिम जनजातियों के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रखी हैं. इसके तहत प्रत्येक विवाहित महिला को पेंशन की सुविधा दी जानी है. प्रत्येक परिवार को अंत्योदय कार्ड से आच्छादित करते हुए राशन उपलब्ध कराना है. प्रत्येक परिवार को बिरसा आवास योजना के तहत पक्का आवास दिया जाना है. आदिम जनजातियों के गांव में सड़क और पेयजल की सुविधा प्रमुखता से उपलब्ध कराना है. इसके अलावा सरकार के द्वारा संचालित अन्य सभी सुविधाओं का लाभ इस समुदाय के लोगों को प्राथमिकता से देना है. लेकिन ये सभी योजनाएं सरकारी फाइलों में ही सिमट कर रह गई है.

प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा समस्या का होगा समाधानः इस संबंध में लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी मेघनाथ उरांव आदिम जनजातियों के गांव तक सड़क और पेयजल की सुविधा प्रमुखता से उपलब्ध कराना प्रशासन की प्राथमिकता है. अगर गांव में ऐसी समस्या है तो इसका समाधान जल्द ही किया जाएगा. आदिम जनजातियों को संरक्षित करने के लिए सरकार ने जिन योजनाओं को लागू किया है उन्हें धरातल पर उतारने की जिम्मेवारी प्रशासन की है. जरूरत इस बात की है कि सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारा जाए ताकि विलुप्त हो रही आदिम जनजातियों को संरक्षित किया जा सके.

लातेहारः सरकार भले ही आदिम जनजातियों को सुविधा उपलब्ध कराकर उनके जीवन को आसान बनाने की बात कहती हो, पर धरातल पर सच्चाई बिल्कुल अलग है. लातेहार सदर प्रखंड का पवही गांव पूरी तरह आदिम जनजाति बहुल है. कागजों में भले ही इस गांव को सभी प्रकार की सुविधा से संपन्न करा दिया गया हो, पर गांव में जाने पर सरकारी दावे खोखले नजर आते हैं.


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जिला के सदर प्रखंड के पोचरा पंचायत का पवही गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा (Lack of basic facilities in Pawhi village of Latehar) है. इस गांव तक पहुंचने के लिए आज तक एक सड़क का भी निर्माण नहीं किया जा सका है. ग्रामीण जर्जर रास्ते पर पैदल चलकर भगवान भरोसे गांव से आते जाते हैं. जर्जर सड़क होने के कारण गांव से पैदल लगभग 5 किलोमीटर दूरी तय करना पड़ता है. ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के कारण कोई भी चार पहिया वाहन यहां नहीं पहुंच पाता. बड़ी मुश्किल से कभी-कभार ट्रैक्टर या मोटरसाइकिल गांव पहुंचता है. ग्रामीण पिंटू परहिया और वीरू सिंह ने बताया कि सड़क की स्थिति इतनी जर्जर है कि पैदल चलना भी मुश्किल होता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

नहीं मिलता सरकारी योजनाओं का लाभः ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता. मात्र राशन ही सरकारी सुविधा के नाम पर उन्हें मुहैया कराई जाती है. गांव के शायद ही कोई ऐसा परिवार है जिन्हें पेंशन मिलता है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पिछले कई वर्षों से इस आदिम जनजाति परिवार को ना ही बिरसा आवास मिला है और ना ही अन्य सुविधा दी गई है.

2 साल से खराब है जल मीनारः आदिम जनजातियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लगभग 2 साल पहले गांव में जल मीनार लगाया गया था लेकिन निर्माण के कुछ ही दिन बाद जल मीनार खराब हो गया. पिछले 2 वर्ष में ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों के अलावा सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के पास जल मीनार को दुरुस्त कराने की गुहार लगाते रहे पर आज तक जल मीनार को ठीक नहीं कराया गया. ऐसे में यहां के ग्रामीणों को पेयजल की भी और कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण महिला मुन्नी देवी ने बताया कि गांव में पानी की भारी समस्या है.

सरकारी प्रावधान के अनुसार आदिम जनजातियों के लिए कई योजनाएंः सरकारी प्रावधानों की मानें तो आदिम जनजातियों के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रखी हैं. इसके तहत प्रत्येक विवाहित महिला को पेंशन की सुविधा दी जानी है. प्रत्येक परिवार को अंत्योदय कार्ड से आच्छादित करते हुए राशन उपलब्ध कराना है. प्रत्येक परिवार को बिरसा आवास योजना के तहत पक्का आवास दिया जाना है. आदिम जनजातियों के गांव में सड़क और पेयजल की सुविधा प्रमुखता से उपलब्ध कराना है. इसके अलावा सरकार के द्वारा संचालित अन्य सभी सुविधाओं का लाभ इस समुदाय के लोगों को प्राथमिकता से देना है. लेकिन ये सभी योजनाएं सरकारी फाइलों में ही सिमट कर रह गई है.

प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा समस्या का होगा समाधानः इस संबंध में लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी मेघनाथ उरांव आदिम जनजातियों के गांव तक सड़क और पेयजल की सुविधा प्रमुखता से उपलब्ध कराना प्रशासन की प्राथमिकता है. अगर गांव में ऐसी समस्या है तो इसका समाधान जल्द ही किया जाएगा. आदिम जनजातियों को संरक्षित करने के लिए सरकार ने जिन योजनाओं को लागू किया है उन्हें धरातल पर उतारने की जिम्मेवारी प्रशासन की है. जरूरत इस बात की है कि सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारा जाए ताकि विलुप्त हो रही आदिम जनजातियों को संरक्षित किया जा सके.

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