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गुहार लगाने के बाद भी नहीं सुनी गई पुकार, सरकार के पारागमन योजना के बावजूद पैदल घर लौटने को मजबूर

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Published : May 8, 2020, 6:35 PM IST

कई दिनों से सरकारी सिस्टम से घर पहुंचाने की गुहार लगाने के बाद जब किसी ने नहीं सुनी तो मजदूर गढ़वा से पैदल ही निकल पड़े. ऐसे में लातेहार में समाजसेवी मुरली प्रसाद की नजर इन पर पड़ी तो उन्होंने मजदूरों की पहले जांच करायी फिर उन्हें भोजन कराकर उनके लौटने की व्यवस्था भी की.

Laborers on foot from Garhwa for their hometown
पैदल लौट रहे प्रवासी मजदूर

लातेहार: झारखंड सरकार प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए भले ही पारागमन योजना चला रही है. लेकिन अपने ही राज्य के विभिन्न जिलों में फंसे मजदूरों को पैदल ही घर लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है. शुक्रवार को गढ़वा से पैदल ही सरायकेला खरसावां और पाकुड़ लौट रहे 21 मजदूर लातेहार पहुंचे.

देखें पूरी खबर

दरअसल, पैदल घर लौट रहे मजदूरों का कहना था कि वह लोग गत कई दिनों से विभिन्न सरकारी सिस्टम से घर पहुंचाने की गुहार लगाते आ रहे थे. परंतु कहीं से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. ऐसे में मजबूर होकर उन्होंने पैदल ही अपने घर लौटने की योजना बना ली. मजदूरों ने कहा कि लॉकडाउन के कारण गढ़वा के रेहला में उन्हें काम भी मिलना बंद हो गया था. ऐसे में बिना कमाए परदेस में गुजारा करना असंभव था.

400 किलोमीटर की यात्रा में लगेंगे 15 दिन

गढ़वा से पाकुड़ लौट रहे मजदूरों ने कहा कि लगभग 400 किलोमीटर की यात्रा तय करने में उन्हें अभी और 15 दिन का समय लगेगा. उनका कहना है कि अगर इतने दिनों तक सही सलामत रहे तो 15 दिनों में अपने घर पहुंच जाएंगे.

ये भी पढ़ें-रांची: नशा का कारोबारी गिरफ्तार, डोरंडा में कुएं से मिला एक युवक का शव

समाजसेवियों ने खिलाया खाना

इधर गढ़वा से पैदल लौट रहे 21 मजदूरों को भूखा प्यासा देखकर समाजसेवी मुरली प्रसाद और मदन प्रसाद ने सभी मजदूरों कि सदर अस्पताल में प्राथमिक जांच करवायी. जहां सभी मजदूरों को स्वस्थ घोषित किया गया. इसके बाद समाजसेवियों ने सभी मजदूरों को खाना खिलाया. समाजसेवी मुरली प्रसाद ने कहा कि उन्होंने जिला प्रशासन से मांग किया है कि मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए.

बहरहाल सरकार की पारागमन योजना के बावजूद मजदूरों को पैदल ही घर लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है. जरूरत इस बात की है कि राज्य के विभिन्न जिलों में फंसे मजदूरों को भी उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए.

लातेहार: झारखंड सरकार प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए भले ही पारागमन योजना चला रही है. लेकिन अपने ही राज्य के विभिन्न जिलों में फंसे मजदूरों को पैदल ही घर लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है. शुक्रवार को गढ़वा से पैदल ही सरायकेला खरसावां और पाकुड़ लौट रहे 21 मजदूर लातेहार पहुंचे.

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दरअसल, पैदल घर लौट रहे मजदूरों का कहना था कि वह लोग गत कई दिनों से विभिन्न सरकारी सिस्टम से घर पहुंचाने की गुहार लगाते आ रहे थे. परंतु कहीं से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. ऐसे में मजबूर होकर उन्होंने पैदल ही अपने घर लौटने की योजना बना ली. मजदूरों ने कहा कि लॉकडाउन के कारण गढ़वा के रेहला में उन्हें काम भी मिलना बंद हो गया था. ऐसे में बिना कमाए परदेस में गुजारा करना असंभव था.

400 किलोमीटर की यात्रा में लगेंगे 15 दिन

गढ़वा से पाकुड़ लौट रहे मजदूरों ने कहा कि लगभग 400 किलोमीटर की यात्रा तय करने में उन्हें अभी और 15 दिन का समय लगेगा. उनका कहना है कि अगर इतने दिनों तक सही सलामत रहे तो 15 दिनों में अपने घर पहुंच जाएंगे.

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समाजसेवियों ने खिलाया खाना

इधर गढ़वा से पैदल लौट रहे 21 मजदूरों को भूखा प्यासा देखकर समाजसेवी मुरली प्रसाद और मदन प्रसाद ने सभी मजदूरों कि सदर अस्पताल में प्राथमिक जांच करवायी. जहां सभी मजदूरों को स्वस्थ घोषित किया गया. इसके बाद समाजसेवियों ने सभी मजदूरों को खाना खिलाया. समाजसेवी मुरली प्रसाद ने कहा कि उन्होंने जिला प्रशासन से मांग किया है कि मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए.

बहरहाल सरकार की पारागमन योजना के बावजूद मजदूरों को पैदल ही घर लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है. जरूरत इस बात की है कि राज्य के विभिन्न जिलों में फंसे मजदूरों को भी उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए.

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