लातेहार: जिले का बड़ा भाग जंगलों से भरा पड़ा है. इस कारण यहां बड़े पैमाने पर बीड़ी पत्ता का कारोबार होता है. बीड़ी पत्ता की तुड़ाई के लिए सरकार के द्वारा चिन्हित किए गए वन क्षेत्रों के लिए टेंडर भी कराई जाती है. परंतु कई ऐसे जंगली इलाके भी होते हैं जहां बीड़ी पत्ता तोड़ना पूरी तरह प्रतिबंधित होता है. परंतु बीड़ी पत्ता का सीजन आते ही इस इलाके में तस्कर इतने सक्रिय हो जाते हैं कि प्रतिबंधित वन क्षेत्रों में भी धड़ल्ले से बीड़ी पत्ता की तुड़ाई होने लगती है. इसी प्रकार का नजारा इन दिनों लातेहार जिले के जंगलों में आसानी से देखा जा सकता है. जिले के लगभग सभी जंगली क्षेत्रों में इन दिनों बीड़ी पत्ते की तोड़ाई हो रही है. इनमें पलामू टाइगर रिजर्व के जंगल भी शामिल हैं.
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अपराधी और नक्सलियों से रहता है सांठगांठ: स्थानीय लोगों की मानें तो बीड़ी पत्ता तस्करों की सांठगांठ अपराधियों और नक्सलियों के साथ रहता है. दूसरे शब्दों में कहें तो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपराधी और नक्सली बीड़ी पत्ता के अवैध कारोबार में पार्टनर के रूप में काम करते हैं. नक्सलियों और अपराधियों की संलिप्तता के कारण आम लोग इसका विरोध भी नहीं कर पाते हैं. इसी का फायदा उठाकर बीड़ी पत्ता तस्कर करोड़ों रुपए के अवैध बीड़ी पत्ता की तुड़ाई करवाते हैं और उसकी तस्करी कर मोटी रकम कमाते हैं.
कई वन क्षेत्रों में नहीं हुआ टेंडर फिर भी टूट रहा है बीड़ी पत्ता: जानकारी के अनुसार जिले के कई वन क्षेत्रों में टेंडर नहीं हो पाया है. इसके बावजूद यहां धड़ल्ले से बीड़ी पत्ता की तुड़ाई हो रही है. जिले के सरयू, गणेशपुर, कुमंडीह समेत दर्जनों ऐसे क्षेत्र हैं जहां बीड़ी पत्ता तोड़ने का टेंडर नहीं हुआ है. परंतु एक भी ऐसा इलाका नहीं है जहां बीड़ी पता नहीं टूट रहा है. वहीं पलामू टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्र तो पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं और यहां किसी भी सूरत में बीड़ी पत्ता तोड़ना प्रतिबंधित होता है. परंतु पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके के शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जहां बीड़ी पत्ता तस्कर सक्रिय ना हो. हालांकि पलामू टाइगर रिजर्व के गारू पश्चिमी वन क्षेत्र के रेंजर तरुण कुमार का कहना है कि इस इलाके में बीड़ी पत्ता तस्करी करने वाले लोगों को छोड़ा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि अपने सूत्रों के माध्यम से विभाग ऐसे काम में लिप्त लोगों का पता लगा रहा है. पता चलते ही दोषियों पर कार्रवाई होगी.
मजदूरों का भी होता है शोषण: बीड़ी पत्ता के इस अवैध कारोबार में मजदूरों का भी जमकर शोषण होता है. बीड़ी पत्ता के तस्कर मजदूरों से औने-पौने दाम में बीड़ी पत्ता की खरीदारी करते हैं. उचित दाम मांगने वाले मजदूरों को पत्ता तोड़ने से मना कर दिया जाता है. तस्करों की इस मनमानी के कारण मजदूरों को उचित मेहनताना भी नहीं मिल पाता. ऊपर से प्रतिबंधित वन क्षेत्र में बीड़ी पत्ता तोड़ने के कारण हमेशा उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई का भय भी बना रहता है.
सुरक्षित वन क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाने वाले बीड़ी पत्ता तस्करों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि जंगल सुरक्षित रह सके और सरकार को भी राजस्व का नुकसान ना हो.