लातेहारः केले की खेती से जुड़े ग्रामीण 1 साल में मालामाल होंगे. खेती के मामले में काफी पिछड़ा जिला लातेहार के किसान अब पारंपरिक खेती के बदले वैकल्पिक खेती की ओर से जुड़ने लगे हैं. इसके लिए किसानों ने केले की खेती को चुना है. केले की खेती से किसानों को पारंपरिक खेती की अपेक्षा 4 गुना अधिक मुनाफा होने की संभावना है.
दरअसल, सिंचाई के अभाव और सुखाड़ के कारण लगभग हर साल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इस परिस्थिति में विजय पाने के लिए लातेहार सदर प्रखंड के हेसलवार गांव के किसान सामूहिक खेती का रास्ता अपना लिए हैं. लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक की पहल पर किसान गांव के 3 एकड़ भूमि में सामूहिक रूप से केला की खेती आरंभ किए हैं.
किसानों को चार गुना अधिक मुनाफा
3 एकड़ में लगभग पच्चीस सौ केले के पौधे लगाए गए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले वर्ष इन पौधों में फल आ जाएंगे. इस खेती से किसानों को पारंपरिक खेती की अपेक्षा 4 गुना अधिक मुनाफा होगा. इस संबंध में किसान कुंवर सिंह ने बताया कि सुखाड़ आदि के कारण उन्हें हर साल खेती में नुकसान होता है. इसीलिए इस बार गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से गांव के 3 एकड़ परती जमीन में केला की खेती आरंभ किए हैं. 1 साल में केला में फल आएंगे. इस खेती में किसानों को 4 गुना अधिक मुनाफा होगा.
केले की खेती से अच्छी आमदनी
वहीं, किसान मोहन सिंह ने कहा कि मौसम की मार के कारण किसान हर साल नुकसान में रहते हैं, लेकिन केले की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होगी. यह 3 साल तक फल देते रहेंगे. इधर लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने कहा कि जिले के किसान मुख्य रूप से पारंपरिक खेती ही करते हैं. जिसमें उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हो पाता. ऐसे में यह प्रयास किया गया है कि केला की खेती आरंभ कर किसानों की आय बढ़ाई जाए.
गांव वालों के लिए बना प्रेरणा का स्त्रोत
किसानों के द्वारा पारंपरिक खेती के साथ वैकल्पिक खेती के रूप में केला की खेती आरंभ करना लातेहार जैसे जिले के किसानों के लिए एक प्रेरणा है. यदि यह कदम सफल रहा तो आने वाले दिनों में लातेहार वैकल्पिक खेती के जिले के रूप में अलग पहचान बना लेगी.