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...और गुम हो गई जायत्री नदी! माना जाता था वरदान - गुम हुई जायत्री नदी

लातेहार की जायत्री नदी अब यादों में ही रह गई है. जिले के बुजुर्ग जिस नदी के किनारे खेले और नदी के आंचल में पले-बढ़े वो नई पीढ़ी की यादों में बस समाई है. जमीन पर वह कहीं नजर नहीं आती.

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जायत्री नदी में अतिक्रमण
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Published : Jul 14, 2021, 2:41 PM IST

Updated : Jul 14, 2021, 3:20 PM IST

लातेहारः एक थी नदी, हो सकता है लातेहार के लोगों को जल्द ही यह किताबों में पढ़ना पड़ जाय. क्योंकि लालमठिया डैम से औरंगा नदी के बीच के क्षेत्र में आज जहां घास ही घास हैं, घासों के बीच कहीं-कहीं पानी दिखाई दे रहा है, कभी यहां कल-कल जायत्री नदी बहा करती थी.

ये भी पढ़ें-हिनू नदी अतिक्रमण मामले पर झारखंड हाई कोर्ट का सरकार को आदेश, कहा- हर हाल में मुक्त कराएं जमीन

स्थानीय निवासी साजन कुमार बताते हैं कि बुजुर्ग यहां बहने वाली जायत्री नदी के बारे में कई बातें बताते हैं, लेकिन अब नदी का पता ही नहीं चलता. कहीं यह गड्ढे में तब्दील हो गई है तो कहीं यह मामूली नाला नजर आती है. बुजुर्ग जहां नदी बहने की बात बताते हैं, वहां तो मकान ही मकान खड़े दिखाई देते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

जायत्री नदी के रकबे में बन गए मकान

लातेहार जिला मुख्यालय के बीचों-बीच बहने वाली जायत्री नदी कभी लातेहार के लिए वरदान मानी जाती थी. इस नदी के पानी से लातेहार के 2,000 एकड़ से अधिक भूमि सिंचित होती थी. लेकिन संरक्षण के अभाव और अतिक्रमण के चलते यह अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच गई है. यह नदी नाला के रूप में बदल गई. इसकी बड़ी वजह थी कि नदी के पाट क्षेत्र (jayatri river catchment area)में धड़ाधड़ मकान बनते रहे और लोग अतिक्रमण करते रहे, लेकिन अफसरों ने इस जलस्रोत की रक्षा में दिलचस्पी नहीं दिखाई.


नदी में बना था डैम

स्थानीय निवासी सुरेंद्र उरांव बताते हैं कि, बुजुर्गों ने बताया है कि वर्ष 1966 में जब देशभर में अकाल पड़ा तो सरकार ने बड़े पैमाने पर चेक डैम बनवाए थे. इसी दौरान जायत्री नदी को बांधकर लालमठिया डैम का निर्माण किया गया था. डैम से जायत्री नदी आगे निकल कर लातेहार शहर में घूमते हुए लगभग लगभग 10 किलोमीटर की दूरी तय करती है और बाद में औरंगा नदी में मिल जाती थी. इस 10 किलोमीटर के बीच जितनी भी खेती योग्य भूमि थी उसे किसान इसी नदी के पानी से सींचते थे.

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जायत्री नदी में अतिक्रमण

ये भी पढ़ें-नदी प्रदूषण को लेकर एनजीटी सतर्क, स्पेशल सर्विलांस टास्क फोर्स का हुआ गठन

यादों में बसी है नदी


स्थानीय निवासी साजन कुमार और सुरेंद्र उरांव ने बताया कि इस नदी का पानी काफी स्वच्छ और निर्मल होता था. लोग सिंचाई तो करते ही थे, नदी में नहाने का भी काम करते थे. परंतु नदी में लगातार हो रहे अतिक्रमण और संरक्षण के अभाव के कारण नदी अब नाले में बदल गई है. लोगों ने सरकार से इसके पुनर्जीवन के प्रयास करने की अपील की है.


प्रशासन का दावा, वो जलस्रोतों के संरक्षण के लिए गंभीर

जायत्री नदी में अतिक्रमण के बार में पूछने पर लातेहार के एसडीएम सह नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी शेखर कुमार ने कहा कि पूरे मामले की जानकारी लेकर और अतिक्रमण से संबंधित रिपोर्ट प्राप्त कर उचित कार्रवाई की जाएगी.

लातेहारः एक थी नदी, हो सकता है लातेहार के लोगों को जल्द ही यह किताबों में पढ़ना पड़ जाय. क्योंकि लालमठिया डैम से औरंगा नदी के बीच के क्षेत्र में आज जहां घास ही घास हैं, घासों के बीच कहीं-कहीं पानी दिखाई दे रहा है, कभी यहां कल-कल जायत्री नदी बहा करती थी.

ये भी पढ़ें-हिनू नदी अतिक्रमण मामले पर झारखंड हाई कोर्ट का सरकार को आदेश, कहा- हर हाल में मुक्त कराएं जमीन

स्थानीय निवासी साजन कुमार बताते हैं कि बुजुर्ग यहां बहने वाली जायत्री नदी के बारे में कई बातें बताते हैं, लेकिन अब नदी का पता ही नहीं चलता. कहीं यह गड्ढे में तब्दील हो गई है तो कहीं यह मामूली नाला नजर आती है. बुजुर्ग जहां नदी बहने की बात बताते हैं, वहां तो मकान ही मकान खड़े दिखाई देते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

जायत्री नदी के रकबे में बन गए मकान

लातेहार जिला मुख्यालय के बीचों-बीच बहने वाली जायत्री नदी कभी लातेहार के लिए वरदान मानी जाती थी. इस नदी के पानी से लातेहार के 2,000 एकड़ से अधिक भूमि सिंचित होती थी. लेकिन संरक्षण के अभाव और अतिक्रमण के चलते यह अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच गई है. यह नदी नाला के रूप में बदल गई. इसकी बड़ी वजह थी कि नदी के पाट क्षेत्र (jayatri river catchment area)में धड़ाधड़ मकान बनते रहे और लोग अतिक्रमण करते रहे, लेकिन अफसरों ने इस जलस्रोत की रक्षा में दिलचस्पी नहीं दिखाई.


नदी में बना था डैम

स्थानीय निवासी सुरेंद्र उरांव बताते हैं कि, बुजुर्गों ने बताया है कि वर्ष 1966 में जब देशभर में अकाल पड़ा तो सरकार ने बड़े पैमाने पर चेक डैम बनवाए थे. इसी दौरान जायत्री नदी को बांधकर लालमठिया डैम का निर्माण किया गया था. डैम से जायत्री नदी आगे निकल कर लातेहार शहर में घूमते हुए लगभग लगभग 10 किलोमीटर की दूरी तय करती है और बाद में औरंगा नदी में मिल जाती थी. इस 10 किलोमीटर के बीच जितनी भी खेती योग्य भूमि थी उसे किसान इसी नदी के पानी से सींचते थे.

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जायत्री नदी में अतिक्रमण

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यादों में बसी है नदी


स्थानीय निवासी साजन कुमार और सुरेंद्र उरांव ने बताया कि इस नदी का पानी काफी स्वच्छ और निर्मल होता था. लोग सिंचाई तो करते ही थे, नदी में नहाने का भी काम करते थे. परंतु नदी में लगातार हो रहे अतिक्रमण और संरक्षण के अभाव के कारण नदी अब नाले में बदल गई है. लोगों ने सरकार से इसके पुनर्जीवन के प्रयास करने की अपील की है.


प्रशासन का दावा, वो जलस्रोतों के संरक्षण के लिए गंभीर

जायत्री नदी में अतिक्रमण के बार में पूछने पर लातेहार के एसडीएम सह नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी शेखर कुमार ने कहा कि पूरे मामले की जानकारी लेकर और अतिक्रमण से संबंधित रिपोर्ट प्राप्त कर उचित कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Jul 14, 2021, 3:20 PM IST
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