लातेहार: जिले के सेमरहट गांव से लापता दो बच्चों की सिरकटी लाश बरामद हुई है. दोनों बच्चे अलग-अलग परिवार के हैं और दो दिन से लापता थे. इसमें से एक बच्चा निर्मल उरांव 10 साल का था जबकि दूसरी बच्ची शीला कुमारी की उम्र 6 साल थी. वहीं सुनील उरांव ओझा गुनी का काम करता है. आशंका है कि सुनील उरांव ने जादू-टोना के चक्कर में दोनों बच्चों की बलि दे दी. बच्चे के पिता विरेंद्र उरांव ने कहा कि ये नरबलि का ही मामला है. दिल दहला देने वाली इस घटना के बाद से बच्चों के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है.
इस घटना से गांव में सनसनी फैल गई है और ग्रामीणों में गुस्सा है. ग्रामीणों के गुस्से को देखते हुए पूरा गांव छावनी में तब्दील कर दिया गया है. मौके पर जांच करने पहुंचे एसडीएम जयप्रकाश झा ने कहा कि ये मामला हत्या का है या नरबलि का, ये जांच के बाद पता चलेगा. फिलहाल पुलिस फरार आरोपी सुनील उरांव को गिरफ्तार करने की कोशिश में जुटी है. एफएसएल की टीम ने भी घटनास्थल का मुआयना किया है. लातेहार एसपी प्रशांत आनंद ने बताया कि पुलिस हर एंगल को ध्यान में रखकर जांच कर रही है.
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इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है. प्रदेश कांग्रेस ने इसे सरकार की विफलता करार दिया है. कांग्रेस मानती है कि बीजेपी के विकास के दावों को मनिका की इस घटना ने खोखला साबित कर दिया है. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक दुबे ने आरोप लगाया कि ये सरकार की विफलता का ही नतीजा है कि आज भी ओझा गुनी और डायन बिसाही के नाम पर हत्याएं हो रही हैं. उन्होंने कहा है कि अगर सही मायनों में ग्रामीण इलाकों में सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को मिलता तो ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सकता था. वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने दुख जताते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक हैं. उन्होंने कहा कि जागरूकता के अभाव में अंधविश्वास की वजह से ऐसी घटनाएं हो जाती हैं. राज्य सरकार निश्चित रूप से ऐसी घटनाओं पर संज्ञान लेगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
बहरहाल, एसडीएम जयप्रकाश झा, एसडीपीओ वीरेंद्र राम, मनिका थाना प्रभारी प्रभाकर मुंडा, हेरहंज थाना प्रभारी नित्यानंद कुमार और बालूमाथ थाना प्रभारी सुभाष पासवान सहित कई पदाधिकारी गांव में कैंप कर रहे हैं. वैसे, दो बच्चों के लापता होने और फिर उनकी लाश इस हालत में मिलना ही कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है. मामला नरबलि का है या कत्ल का, ये तो जांच के बाद साफ हो जाएगा. पुलिस ने मुस्तैदी दिखाई तो आरोपी भी सलाखों के पीछे होगा लेकिन इससे क्या इन दोनों मासूम बच्चों को इंसाफ मिल जाएगा? क्या इनकी माताओं के आंसूओं का हिसाब कोई दे सकेगा? क्या अंधविश्वास का अंधेरा कभी छंट पाएगा?