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तालिबानी फैसला! आदिवासी युवक को जूते की माला पहनाकर गांव में घुमाया, मामले में प्राथमिकी दर्ज

लातेहार में एक आदिवासी युवक को जूते की माला पहनाकर ग्रामीणों ने पूरे गांव में घुमाया है. इसको लेकर पीड़ित के बयान के आधार पर प्राथमिक दर्ज कर ली गयी है. ये पूरा मामला हेरहंज थाना क्षेत्र का है.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 12, 2023, 1:58 PM IST

लातेहारः जिले में हेरहंज थाना क्षेत्र के आदिवासी परिवार के एक व्यक्ति को यहां के ग्रामीणों के द्वारा जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया गया. मामला प्रकाश में आने के बाद पुलिस के द्वारा पीड़ित के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.

इसे भी पढ़ें- Jharkhand News: धनबाद के एक गांव में सामाजिक बहिष्कार का चिपकाया पोस्टर, पीड़ित परिवार लगा रहे हैं न्याय की गुहार, जानें क्या है पूरा मामला

क्या है मामलाः हेरहंज थाना क्षेत्र के रहने वाले एक आदिवासी परिवार का एक साल पहले सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था. इस परिवार को दोबारा समाज में जोड़ने के लिए रविवार को ग्रामीणों की एक बैठक बुलाई गयी. पीड़ित युवक का आरोप है कि इस बैठक में ग्राम प्रधान नासिर मियां के द्वारा यह निर्णय सुनाया गया कि सामाजिक बहिष्कार को खत्म करने से पहले उनपर दंड लगाया जाएगा और दंड स्वरूप जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में उन्हें घुमाया जाएगा, जहां युवक सभी से माफी मांगेगा. इसी निर्णय के तहत पीड़ित आदिवासी युवक को जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया गया.

डेढ़ वर्ष पहले हुआ था विवादः इस संबंध में पीड़ित की पत्नी ने बताया कि लगभग डेढ़ वर्ष पहले गांव की एक लड़की किसी के साथ भाग गई थी. इस घटना के लिए कुछ ग्रामीणों के द्वारा उनके परिवार को ही दोषी ठहराते हुए दंड स्वरूप खस्सी (बकरा) और चावल पूरे गांव को खिलाने का दंड सुनाया गया था. ग्रामीणों के द्वारा लगाए गए दंड को स्वीकार करते हुए उन्होंने खस्सी दे दी थी.

पीड़ित की पत्नी ने बताया कि उनके घर मांसाहार नहीं बनता है, इस कारण उन लोगों ने ग्रामीण से अनुरोध किया कि उनके घर से दूर जाकर खस्सी बनाएं. लेकिन गांव के कुछ लोग और ग्राम प्रधान का बेटा बाबर मियां जबरन उनके घर के चापानल पर खस्सी धोने लगा. महिला ने जब इसका विरोध किया तो बाबर मियां और अन्य ग्रामीणों के द्वारा पूरे परिवार को जमकर गाली दी गई और परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया.

क्या हुआ था रविवार कोः रविवार को समाज से बहिष्कृत आदिवासी परिवार को फिर से समाज में शामिल करने के लिए गांव में एक बैठक बुलाई गयी. जिसमें सभी लोगों ने आर्थिक दंड लगाकर उनके परिवार को समाज में दोबारा शामिल करने पर सहमति जताई. लेकिन ग्राम प्रधान नासिर मियां ने यह फैसला सुनाया कि युवक को आर्थिक दंड के साथ-साथ जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में भी घुमाया जाएगा, जहां वो सभी से माफी मांगेगा. इसी निर्णय के तहत रविवार को आदिवासी युवक को जूते की माला पहनाकर गांव में घुमाया गया. वहीं पीड़ित ने कहा कि समाज के द्वारा उन पर दंड लगाया गया, इसी कारण बिना कोई विरोध के उसने दंड स्वीकार कर लिया.

झूठा आरोप लगाया गयाः इस संबंध में ग्राम प्रधान नासिर मियां का कहना है कि आदिवासी परिवार के द्वारा उनपर लगाया गया आरोप पूरी तरह झूठा है. ग्राम प्रधान ने कहा कि किसी भी प्रकार के सामाजिक बैठक में उन्होंने भाग नहीं लिया है.

मामले की छानबीन जारीः इधर हेरहंज थाना प्रभारी शुभम कुमार ने बताया कि पुलिस को इस मामले का आवेदन प्राप्त हुआ है. पीड़ित के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है. जिसकी छानबीन की जा रही है जल्द ही आरोपी पुलिस की हिरासत में होंगे. बता दें कि इस घटना के बाद कई ग्रामीणों ने इस बात की पुष्टि की है कि ग्राम प्रधान के कहने पर ही युवक को पूरे गांव में जूते की माला पहनाकर घुमाया गया है.

लातेहारः जिले में हेरहंज थाना क्षेत्र के आदिवासी परिवार के एक व्यक्ति को यहां के ग्रामीणों के द्वारा जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया गया. मामला प्रकाश में आने के बाद पुलिस के द्वारा पीड़ित के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.

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क्या है मामलाः हेरहंज थाना क्षेत्र के रहने वाले एक आदिवासी परिवार का एक साल पहले सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था. इस परिवार को दोबारा समाज में जोड़ने के लिए रविवार को ग्रामीणों की एक बैठक बुलाई गयी. पीड़ित युवक का आरोप है कि इस बैठक में ग्राम प्रधान नासिर मियां के द्वारा यह निर्णय सुनाया गया कि सामाजिक बहिष्कार को खत्म करने से पहले उनपर दंड लगाया जाएगा और दंड स्वरूप जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में उन्हें घुमाया जाएगा, जहां युवक सभी से माफी मांगेगा. इसी निर्णय के तहत पीड़ित आदिवासी युवक को जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया गया.

डेढ़ वर्ष पहले हुआ था विवादः इस संबंध में पीड़ित की पत्नी ने बताया कि लगभग डेढ़ वर्ष पहले गांव की एक लड़की किसी के साथ भाग गई थी. इस घटना के लिए कुछ ग्रामीणों के द्वारा उनके परिवार को ही दोषी ठहराते हुए दंड स्वरूप खस्सी (बकरा) और चावल पूरे गांव को खिलाने का दंड सुनाया गया था. ग्रामीणों के द्वारा लगाए गए दंड को स्वीकार करते हुए उन्होंने खस्सी दे दी थी.

पीड़ित की पत्नी ने बताया कि उनके घर मांसाहार नहीं बनता है, इस कारण उन लोगों ने ग्रामीण से अनुरोध किया कि उनके घर से दूर जाकर खस्सी बनाएं. लेकिन गांव के कुछ लोग और ग्राम प्रधान का बेटा बाबर मियां जबरन उनके घर के चापानल पर खस्सी धोने लगा. महिला ने जब इसका विरोध किया तो बाबर मियां और अन्य ग्रामीणों के द्वारा पूरे परिवार को जमकर गाली दी गई और परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया.

क्या हुआ था रविवार कोः रविवार को समाज से बहिष्कृत आदिवासी परिवार को फिर से समाज में शामिल करने के लिए गांव में एक बैठक बुलाई गयी. जिसमें सभी लोगों ने आर्थिक दंड लगाकर उनके परिवार को समाज में दोबारा शामिल करने पर सहमति जताई. लेकिन ग्राम प्रधान नासिर मियां ने यह फैसला सुनाया कि युवक को आर्थिक दंड के साथ-साथ जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में भी घुमाया जाएगा, जहां वो सभी से माफी मांगेगा. इसी निर्णय के तहत रविवार को आदिवासी युवक को जूते की माला पहनाकर गांव में घुमाया गया. वहीं पीड़ित ने कहा कि समाज के द्वारा उन पर दंड लगाया गया, इसी कारण बिना कोई विरोध के उसने दंड स्वीकार कर लिया.

झूठा आरोप लगाया गयाः इस संबंध में ग्राम प्रधान नासिर मियां का कहना है कि आदिवासी परिवार के द्वारा उनपर लगाया गया आरोप पूरी तरह झूठा है. ग्राम प्रधान ने कहा कि किसी भी प्रकार के सामाजिक बैठक में उन्होंने भाग नहीं लिया है.

मामले की छानबीन जारीः इधर हेरहंज थाना प्रभारी शुभम कुमार ने बताया कि पुलिस को इस मामले का आवेदन प्राप्त हुआ है. पीड़ित के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है. जिसकी छानबीन की जा रही है जल्द ही आरोपी पुलिस की हिरासत में होंगे. बता दें कि इस घटना के बाद कई ग्रामीणों ने इस बात की पुष्टि की है कि ग्राम प्रधान के कहने पर ही युवक को पूरे गांव में जूते की माला पहनाकर घुमाया गया है.

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