लातेहारः आदिवासी युवक को प्रताड़ित करने के मामले में पुलिस ने कार्रवाई की है. मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान समेत चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. बता दें ये घटना रविवार (10 सिंतबर) की है, जहां बैठक कर ग्राम प्रधान के निर्णय पर युवक को जूते की माला पहनाकर गांव में घुमाया गया था.
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हेरहंज थाना क्षेत्र में आदिवासी युवक को जूते की माला पहनाकर गांव में घूमाने का मामला प्रकाश में आने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की है. मंगलवार को पुलिस ने इस घटना में शामिल ग्राम प्रधान समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. डीएसपी दिलू लोहरा ने बताया कि हेरहंज थाना क्षेत्र के रहने वाले आदिवासी परिवार को लगभग डेढ़ साल से सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था, उन्हें गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा था.
इस परिवार को फिर से समाज में जोड़ने के लिए रविवार को ग्रामीणों की एक बैठक बुलाई गयी. जिसमें ग्राम प्रधान नासिर मियां के द्वारा यह निर्णय सुनाया गया कि सामाजिक बहिष्कार को खत्म करने से पहले युवक पर दंड लगाया जाएगा और उसे दंड स्वरूप जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया जाएगा. इसी निर्णय के तहत आदिवासी युवक को जूते की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया गया. इस मामले में युवक की पत्नी के द्वारा हेरहंज थाना में एक आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की गई.
लातेहार पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर स्थानीय पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की. जिसके बाद इस घटना में शामिल ग्राम प्रधान नासिर मियां, बाबर अंसारी, विनोद सिंह और बृजमोहन भुइयां को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. उन्होंने बताया कि वहीं अन्य लोगों की भी पहचान की जा रही है, वो भी जल्द पुलिस की गिरफ्त में होंगे. आरोपियों की गिरफ्तारी में डीएसपी दिलू लोहार के अलावा पुलिस इंस्पेक्टर शशि रंजन कुमार, थाना प्रभारी शुभम कुमार, सब इंस्पेक्टर कैलाश मंडल, विश्वजीत तिवारी और अन्य पुलिस अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही.
डेढ़ वर्ष पहले हुआ था विवादः इस घटना के संबंध में बताया जाता है कि लगभग डेढ़ वर्ष पहले गांव की एक लड़की किसी के साथ भाग गई थी. इसके लिए कुछ ग्रामीणों के द्वारा उनके परिवार को ही दोषी ठहराते हुए दंड स्वरूप खस्सी (बकरा) और भात पूरे गांव को खिलाने का दंड लगाया गया. इस दंड को स्वीकार करते हुए आदिवासी परिवार द्वारा खस्सी दे दिया गया पर गांव के कुछ लोग पीड़ित के घर पर ही खस्सी बनाने लगे.
जिस पर पीड़ित की पत्नी ने विरोध किया था और कहा कि उनके घर मांसाहार भोजन नहीं बनता है, इसलिए घर से दूर जाकर पकाएं. इसी बात को लेकर कुछ ग्रामीणों ने मामले को तूल देते हुए आदिवासी युवक के पूरे परिवार को बहिष्कृत कर दिया था. लगभग 1 वर्ष तक समाज से बहिष्कृत रहने के बाद समाज के ही कुछ लोगों के समझाने पर उनके परिवार को फिर से समाज में शामिल करने के लिए रविवार को बैठक बुलाई गई थी. जहां ग्राम प्रधान नासिर मियां के द्वारा आदिवासी युवक को जूते की माला पहनाकर गांव में घूमाने का निर्णय सुनाया गया था.