लातेहार: पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश की वजह से भले ही जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया हो, परंतु बारिश के कारण लातेहार जिले का प्रसिद्ध लोध फॉल का नजारा विहंगम हो गया है. महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय स्थित प्रसिद्ध लोध फॉल की खूबसूरती को देखने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. पर्यटक घंटों रुक कर यहां की खूबसूरती का लुत्फ उठाते हैं. बारिश से झरने की रफ्तार और भी तेज हो गई है. लोगों की भीड़ को देखते हुए यहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है.
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143 मीटर की ऊंचाई से गिरता है पानी: लोध फॉल बूढ़ा नदी पर स्थित है. छत्तीसगढ़ से निकलकर बूढ़ा नदी झारखंड और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर स्थित लगभग 143 मीटर ऊंची पहाड़ियों से सीधे झारखंड के महुआडांड़ प्रखंड के लोध गांव में पहाड़ी की तलहटी में गिरती है. 143 मीटर ऊंची पहाड़ी से सीधे जमीन पर पानी गिरने का नजारा काफी अद्भुत होता है. इसी के कारण पर्यटकों की भीड़ हमेशा लगी रहती है. बताया जाता है कि जुलाई के महीने में जब बारिश शुरू होती है तो यहां का नजारा देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ उमड़नी शुरू हो जाती है. फरवरी के महीने तक लोगों का आना जारी रहता है. इस वर्ष जुलाई महीने में बारिश नहीं होने के कारण पर्यटक काफी कम आ रहे थे. सितंबर के अंतिम सप्ताह में बारिश होने के बाद पर्यटकों का आना फिर से तेज हो गया है.
सुरक्षा के रहते हैं कड़े इंतजाम: लोध फॉल का नजारा जितना खूबसूरत है. उतना ही खतरनाक भी है. यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को कुछ सावधानी भी बरतनी पड़ती है. हालांकि वन विभाग के द्वारा यहां एक लकड़ी का पुल बनाया गया है. वहीं लोगों के बैठने की व्यवस्था भी की गई है. लकड़ी के पुल से लोध फॉल का नजारा काफी खूबसूरत दिखता है. यहां से झरने को देखना सुरक्षित भी होता है. पर्यटकों को यह हिदायत दी जाती है कि किसी भी सूरत में लोध फॉल के पानी में न उतरें. इधर पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर यहां बड़ी संख्या में लोकल स्तर पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती भी होती है. वहीं फॉल के पास गोताखोर भी तैनात रहते हैं.
सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं लोध फॉल: लोध फॉल लातेहार के महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लोध गांव के बगल के जंगल में अवस्थित है. यहां सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है. रांची से यहां की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है. जबकि लातेहार जिला मुख्यालय से 110 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थित है. महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय पहुंचने के बाद यहां से पक्की सड़क लोध फॉल से 1 किलोमीटर पहले तक जाती है. लोध फॉल पहुंचने के लिए लोगों को लगभग 700 मीटर तक पैदल भी चलना पड़ता है.