लातेहार: हर गांव में बिजली पहुंचाने की सरकार की योजना भले ही कागज पर पूरी होती दिख रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. देश में आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां लोग बिजली के लिए तरस रहे हैं. इनमें से एक गांव लातेहार जिले के प्रख्यात पर्यटनस्थल नेतरहाट से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नैना गांव है, जहां कहने के लिए तो बिजली पहुंच गई है, लेकिन ग्रामीण आज तक बिजली के दर्शन के लिए तरस रहे हैं.
बिजली के खंभे बने शो-पीस
लातेहार के नैना गांव में पिछले साल ही बिजली के खंभे और तार पहुंचा दिए गए थे. यहीं नहीं गांव में ट्रांसफार्मर और ग्रामीणों के घर में मीटर भी लगा दिए गए, लेकिन ये सभी चीजें सिर्फ शोभा की वस्तु बनी हुईं हैं. ग्रामीण बिजली के इंतजार में टकटकी लगाए रहते हैं. ट्रांसफार्मर लगाने के वक्त एक-दो दिन विभाग की ओर से बिजली आई थी. उस दौरान ग्रामीणों से यह भी कहा गया था कि जल्द ही सभी ग्रामीणों के घर में बिजली के कनेक्शन दे दिए जाएंगे, लेकिन ट्रांसफार्मर लगाने के बाद बिजली विभाग के लोग लापता हो गए. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सिर्फ नाम के लिए बिजली के पोल और तार लगाए गए हैं. ये सभी व्यवस्था होने के बावजूद उन्हें बिजली के लिए तरसना पर रहा है.
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बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने का आश्वासन
200 लोगों की आबादी वाले इस गांव में रोजगार का एकमात्र साधन कृषि ही है, बिजली ना रहने के कारण उन्हें खेती करने में भी समस्या उत्पन्न हो रही है. अगर गांव में बिजली आती तो किसान अपने खेतों को सिंचित कर अच्छी खेती कर पाते. इस संबंध में बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता हलधर प्रसाद बरनवाल ने कहा कि गांव में बिजली पहुंचाई जा चुकी है, लेकिन अगर किसी वजह बिजली नहीं पहुंच रही है, तो ग्रामीणों को इसकी सूचना देनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि जल्द ही बिजली व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाएगी.
प्रशासन की पहली प्राथमिकता
हालांकि, उपायुक्त अबु इमरान ने कहा कि जिले के सभी गांवों में बिजली सेवा बहाल करना सरकार के साथ-साथ प्रशासन की भी पहली प्राथमिकता है. अगर किसी गांव में बिजली नहीं है तो वहां जल्द ही बहाल होगी. लातेहार जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नैना गांव विकास से पूरी तरह वंचित है.
दिखाने के लिए तो कागज में गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है, लेकिन सच्चाई यह है कि पूरे गांव में किसी भी ग्रामीण के घर में सरकारी स्तर पर शौचालय नहीं बनाया गया. आज भी लोग खुले में शौच जाने को विवश हैं. यहीं नहीं नेतरहाट से 10 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए ग्रामीणों को पैदल या साइकिल से जाना पड़ता है. गांव तक पहुंचने के लिए आज तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है.