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लातेहार फर्जी मुठभेड़ पर गरमाई सियासत, जानिए बीजेपी एसटी मोर्चा ने क्या लगाए आरोप?

लातेहार में जगुआर जवानों के फर्जी मुठभेड़ में जनजाति समुदाय के ब्रह्मदेव सिंह की मौत के बाद सियासत शुरू हो गई है. घटना के बाद बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा (BJP ST Morcha) ने पूरी घटना की स्वयं जांच की और घटना की निंदा करते हुए राज्य सरकार से मृतक के परिजनों को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग की.

Politics over encounter in Latehar
लातेहार में मुठभेड़ पर सियासत
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Published : Jun 20, 2021, 4:15 PM IST

Updated : Jun 20, 2021, 5:18 PM IST

रांची: लातेहार में फर्जी मुठभेड़ में मारे गए जनजाति समुदाय के ब्रह्मदेव सिंह की मौत के बाद बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने पूरी घटना की जांच की है. जिसके बाद मोर्चा के सदस्यों ने राज्य सरकार से मृतक परिवार को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग की है. साथ ही दोषी जवानों पर कड़ी कार्रवाई की भी मांग की है.

ये भी पढ़ें- लातेहार के पीरी जंगल में मुठभेड़ पर कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने उठाए सवाल, जांच की मांग

बीजेपी प्रतिनिधिमंडल का आरोप

बीजेपी के अनुसूचित जनजाति मोर्च के 8 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने घटनास्थल जाकर इसकी जांच की है. मोर्चा अध्यक्ष शिवशंकर उरांव ने रविवार को बीजेपी स्टेट हेड क्वार्टर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जांच नतीजों की जानकारी दी, उनके मुताबिक जिस गांव में घटना हुई, वहां सरहुल पर्व मनाया जा रहा था.

फर्जी मुठभेड़ पर बीजेपी का आरोप, देखिए पूरी खबर

शिकार पर निकले ग्रामीणों पर फायरिंग

आदिवासी परंपरा के अनुसार इस पर्व में शिकार खेलने, मछली पकड़ने लोग जाते हैं. उसी दौरान 12 जून की सुबह 5 से 6 लोग अपने पारंपरिक आत्मरक्षक हथियार के साथ शिकार खेलने जा रहे थे. सभी जब अपने घर से 100 फीट दूर ही गए थे कि अचानक झारखंड जगुआर की गश्ती टीम की ओर से अंधाधुंध गोली चलाने की आवाज आने लगी.

महिलाओं ने गोली ना चलाने की लगाई थी गुहार

शिवशंकर उरांव ने बताया की फायरिंग की आवाज सुन कुछ ग्रामीण भाग कर घर में घुस गए जबकि जबकि ब्रह्मदेव सिंह और एक व्यक्ति ने जवानों को ग्रामीण होने का परिचय दिया, इसके बावजूद उन पर गोलियां चलाई गईं, जिसमें दोनों घायल हो गए. उसके बाद घटनास्थल पर पहुंची कुछ महिलाओं ने उनसे गोली ना चलाने की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें धमकी देकर भगा दिया गया. उसके बाद घायल ब्रह्मदेव सिंह को जंगल की ओर ले जाकर गोली मार दी गई, जिसमें उनकी मौत हो गई.

मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग

बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने राज्य सरकार से पीड़ित परिवार के लिए 20 लाख रुपये की मुआवजा राशि और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग की है. ताकि वह अपना जीवन यापन कर सके. मांग नहीं माने जाने पर बीजेपी ने आंदोलन की चेतावनी दी है.

ये भी पढ़ें- लातेहार में पुलिस-माओवादियों में मुठभेड़, एनकाउंटर में उग्रवादी मरा या ग्रामीण जांच जारी

कब हुई थी मुठभेड़?

लातेहार के गारु थाना क्षेत्र के पीरी जंगल में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच 12 जून को मुठभेड़ की खबर सामने आई थी. जिसमें एक संदिग्ध की मौत हुई थी और मौके से कई हथियार भी बरामद किए गए थे, लेकिन घटना के तुरंत बाद मुठभेड़ में नक्सली की मौत पर सवाल उठाए जाने लगे और एक ग्रामीण की मौत का आरोप लगाया जाने लगा. जिसके बाद पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने जांच के बाद सच सामने आने की बात कही थी. इसी मुठभेड़ को रविवार को बीजेपी ने फर्जी बताया है और मृतक के परिवार के लिए मुआवजे की मांग की है.

कहां हुई थी मुठभेड़ ?

12 जून को पुलिस को सूचना मिली थी कि लातेहार के गारु थाना क्षेत्र के पीरी जंगल में माओवादी कमांडर छोटू खेरवार के नेतृत्व में माओवादियों का दस्ता जमा हुआ है. झारखंड जगुआर पुलिस की टीम छापामारी करने जंगल में गई. इसी बीच पुलिस पर माओवादियों ने अचानक फायरिंग कर दिया. जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की. पुलिस को भारी पड़ता देख माओवादी भागने लगे. इसी दौरान फायरिंग में एक माओवादी मारा गया. अब उसी माओवादी की पहचान ब्रह्मदेव सिंह के रूप में हुई, जिसके बाद सूबे में सियासत तेज हो गई है.

रांची: लातेहार में फर्जी मुठभेड़ में मारे गए जनजाति समुदाय के ब्रह्मदेव सिंह की मौत के बाद बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने पूरी घटना की जांच की है. जिसके बाद मोर्चा के सदस्यों ने राज्य सरकार से मृतक परिवार को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग की है. साथ ही दोषी जवानों पर कड़ी कार्रवाई की भी मांग की है.

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बीजेपी प्रतिनिधिमंडल का आरोप

बीजेपी के अनुसूचित जनजाति मोर्च के 8 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने घटनास्थल जाकर इसकी जांच की है. मोर्चा अध्यक्ष शिवशंकर उरांव ने रविवार को बीजेपी स्टेट हेड क्वार्टर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जांच नतीजों की जानकारी दी, उनके मुताबिक जिस गांव में घटना हुई, वहां सरहुल पर्व मनाया जा रहा था.

फर्जी मुठभेड़ पर बीजेपी का आरोप, देखिए पूरी खबर

शिकार पर निकले ग्रामीणों पर फायरिंग

आदिवासी परंपरा के अनुसार इस पर्व में शिकार खेलने, मछली पकड़ने लोग जाते हैं. उसी दौरान 12 जून की सुबह 5 से 6 लोग अपने पारंपरिक आत्मरक्षक हथियार के साथ शिकार खेलने जा रहे थे. सभी जब अपने घर से 100 फीट दूर ही गए थे कि अचानक झारखंड जगुआर की गश्ती टीम की ओर से अंधाधुंध गोली चलाने की आवाज आने लगी.

महिलाओं ने गोली ना चलाने की लगाई थी गुहार

शिवशंकर उरांव ने बताया की फायरिंग की आवाज सुन कुछ ग्रामीण भाग कर घर में घुस गए जबकि जबकि ब्रह्मदेव सिंह और एक व्यक्ति ने जवानों को ग्रामीण होने का परिचय दिया, इसके बावजूद उन पर गोलियां चलाई गईं, जिसमें दोनों घायल हो गए. उसके बाद घटनास्थल पर पहुंची कुछ महिलाओं ने उनसे गोली ना चलाने की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें धमकी देकर भगा दिया गया. उसके बाद घायल ब्रह्मदेव सिंह को जंगल की ओर ले जाकर गोली मार दी गई, जिसमें उनकी मौत हो गई.

मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग

बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने राज्य सरकार से पीड़ित परिवार के लिए 20 लाख रुपये की मुआवजा राशि और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग की है. ताकि वह अपना जीवन यापन कर सके. मांग नहीं माने जाने पर बीजेपी ने आंदोलन की चेतावनी दी है.

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कब हुई थी मुठभेड़?

लातेहार के गारु थाना क्षेत्र के पीरी जंगल में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच 12 जून को मुठभेड़ की खबर सामने आई थी. जिसमें एक संदिग्ध की मौत हुई थी और मौके से कई हथियार भी बरामद किए गए थे, लेकिन घटना के तुरंत बाद मुठभेड़ में नक्सली की मौत पर सवाल उठाए जाने लगे और एक ग्रामीण की मौत का आरोप लगाया जाने लगा. जिसके बाद पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने जांच के बाद सच सामने आने की बात कही थी. इसी मुठभेड़ को रविवार को बीजेपी ने फर्जी बताया है और मृतक के परिवार के लिए मुआवजे की मांग की है.

कहां हुई थी मुठभेड़ ?

12 जून को पुलिस को सूचना मिली थी कि लातेहार के गारु थाना क्षेत्र के पीरी जंगल में माओवादी कमांडर छोटू खेरवार के नेतृत्व में माओवादियों का दस्ता जमा हुआ है. झारखंड जगुआर पुलिस की टीम छापामारी करने जंगल में गई. इसी बीच पुलिस पर माओवादियों ने अचानक फायरिंग कर दिया. जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की. पुलिस को भारी पड़ता देख माओवादी भागने लगे. इसी दौरान फायरिंग में एक माओवादी मारा गया. अब उसी माओवादी की पहचान ब्रह्मदेव सिंह के रूप में हुई, जिसके बाद सूबे में सियासत तेज हो गई है.

Last Updated : Jun 20, 2021, 5:18 PM IST
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