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पानी की समस्या से परेशान थे ग्रामीण, प्रकृति ने ऐसे की मदद - पानी समस्या समाप्त

लातेहार के आरागुंडी पंचायत में धरती के नीचे कोयले की अकूत भंडार है. पिछले साल सरकार के निर्देश पर जब कोयले के सर्वे के लिए बोरिंग किया जा रहा था तो खुद-ब-खुद पानी का फव्वारा फूट पड़ा. यह पानी का फव्वारा अब इलाके के लोगों की प्यास बुझा रहा है.

धरती से खुद-ब-खुद फुटा पानी का फव्वारा
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Published : May 26, 2019, 7:15 PM IST

लातेहार: जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट की बात कोई नई नहीं है. सदर प्रखंड के आरागुंडी में तो गर्मी आते हैं पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है. गांव के तालाब सूख जाते हैं और नदियों में भी सिर्फ बालू रह जाते हैं. ऐसे में पानी के लिए आम लोगों के साथ-साथ जानवर भी भटकते रहते है. लेकिन प्रकृति ने इस गांव में ऐसी कृपा बरसाई कि पानी की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो गई.

ग्रामीनों का बयान

दरअसल, लातेहार के आरागुंडी पंचायत में धरती के नीचे कोयले की अकूत भंडार है. पिछले साल सरकार के निर्देश पर धरती के गर्भ में छिपे कोयले के सर्वे के लिए बोरिंग किया जा रहा था. बोरिंग की गहराई जैसे ही 300 फीट से पार हुआ कि वहां से खुद-ब-खुद पानी का फव्वारा फूट पड़ा. पहले तो लोगों को लगा कि एक-दो दिनों के अंदर पानी निकलना बंद हो जाएगा. परंतु समय बीतता गया और पानी का फव्वारा लगातार निकलता रहा.

बता दें कि इस गर्मी में सभी नदी नाले सूख गए हैं, इसके बावजूद यहां से लगातार पानी निकल रहा है. जिस कारण हमेशा यहां आम लोगों की भीड़ लगी रहती है. ग्रामीण मनोज उरांव ने कहा कि कोयला का पता लगाने आए लोगों के द्वारा बोरिंग किए जाने के बाद लगातार पानी का फवारा निकलने लगा है. इससे ग्रामीण लोगों के साथ-साथ मवेशियों को काफी राहत हुई है. वहीं, ग्रामीण सुदर्शन उरांव ने कहा कि यह जल स्रोत गांव के लिए वरदान हो गया है.

आरागुंडी में जिस प्रकार बोरिंग करने के बाद पानी का फव्वारा खुद-ब-खुद निकलने लगा है. उससे यह बात तो तय हो गई है कि लातेहार में भूगर्भ जलस्तर की कमी नहीं है. यदि पानी का प्रबंधन अच्छे ढंग से किए जाए तो जिले में पेयजल संकट पूरी तरह से समाप्त हो सकता हैं.

लातेहार: जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट की बात कोई नई नहीं है. सदर प्रखंड के आरागुंडी में तो गर्मी आते हैं पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है. गांव के तालाब सूख जाते हैं और नदियों में भी सिर्फ बालू रह जाते हैं. ऐसे में पानी के लिए आम लोगों के साथ-साथ जानवर भी भटकते रहते है. लेकिन प्रकृति ने इस गांव में ऐसी कृपा बरसाई कि पानी की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो गई.

ग्रामीनों का बयान

दरअसल, लातेहार के आरागुंडी पंचायत में धरती के नीचे कोयले की अकूत भंडार है. पिछले साल सरकार के निर्देश पर धरती के गर्भ में छिपे कोयले के सर्वे के लिए बोरिंग किया जा रहा था. बोरिंग की गहराई जैसे ही 300 फीट से पार हुआ कि वहां से खुद-ब-खुद पानी का फव्वारा फूट पड़ा. पहले तो लोगों को लगा कि एक-दो दिनों के अंदर पानी निकलना बंद हो जाएगा. परंतु समय बीतता गया और पानी का फव्वारा लगातार निकलता रहा.

बता दें कि इस गर्मी में सभी नदी नाले सूख गए हैं, इसके बावजूद यहां से लगातार पानी निकल रहा है. जिस कारण हमेशा यहां आम लोगों की भीड़ लगी रहती है. ग्रामीण मनोज उरांव ने कहा कि कोयला का पता लगाने आए लोगों के द्वारा बोरिंग किए जाने के बाद लगातार पानी का फवारा निकलने लगा है. इससे ग्रामीण लोगों के साथ-साथ मवेशियों को काफी राहत हुई है. वहीं, ग्रामीण सुदर्शन उरांव ने कहा कि यह जल स्रोत गांव के लिए वरदान हो गया है.

आरागुंडी में जिस प्रकार बोरिंग करने के बाद पानी का फव्वारा खुद-ब-खुद निकलने लगा है. उससे यह बात तो तय हो गई है कि लातेहार में भूगर्भ जलस्तर की कमी नहीं है. यदि पानी का प्रबंधन अच्छे ढंग से किए जाए तो जिले में पेयजल संकट पूरी तरह से समाप्त हो सकता हैं.

Intro:गर्मी आते हैं बूंद बूंद पानी के लिए तरसते थे ग्रामीण-- प्रकृति हुए मेहरबान तो खत्म हो गई समस्या----

लातेहार. लातेहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट की बात कोई नई नहीं है. सदर प्रखंड के आरागुंडी में तो गर्मी आते हैं पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है. गांव के तालाब सूख जाते हैं, वहीं नदियों में भी सिर्फ बालू रह जाते हैं. ऐसे में पानी के लिए आम लोगों के साथ-साथ जानवर भी भटकते रहते थे. परंतु प्रकृति ने आरागुंडी पर अपनी कृपा बरसाई जिससे इस गांव में पानी की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो गया.


Body:दरअसल आरागुंडी पंचायत में धरती के नीचे कोयले की अकूत भंडार है. गत वर्ष सरकार के निर्देश पर धरती के गर्भ में छुपे कोयले के सर्वे के लिए बोरिंग किया जा रहा था. बोरिंग की गहराई जैसे ही 300 फीट से पार हुआ कि वहां से खुद-ब-खुद पानी का फव्वारा फूट पड़ा. पहले तो लोगों को लगा कि एक-दो दिनों के अंदर पानी निकलना खत्म हो जाएगा. परंतु समय बीतता गया और पानी का फव्वारा लगातार निकलता रहा. इस गर्मी में जब नदी नाले सूख गए हैं इसके बावजूद यहां से लगातार पानी निकल रहा है. जिस कारण हमेशा यहां आम लोगों की भीड़ लगी रहती है. ग्रामीण मनोज उरांव ने कहा कि कोयला का पता लगाने आए लोगों के द्वारा बोरिंग किए जाने के बाद लगातार पानी का फवारा निकलने लगा है इससे ग्रामीणों के साथ साथ मवेशियों को काफी राहत हुई है. वही ग्रामीण सुदर्शन उरांव ने कहा कि यह जल स्रोत गांव के लिए वरदान हो गया है.
vo-jh-lat- water itself turns out-jh 10010
byte- मनोज उरांव----- पगड़ी पहने हुए हैं---
byte- सुदर्शन उरांव


Conclusion:आरागुंडी में जिस प्रकार बोरिंग करने के बाद पानी का फव्वारा खुद-ब-खुद निकलने लगा है. उससे यह बात तो तय हो गई है कि लातेहार में भूगर्भ जलस्तर की कमी नहीं है. यदि पानी का प्रबंधन अच्छे ढंग से किए जाए तो जिले में पेयजल संकट पूरी तरह से समाप्त हो सकते हैं.
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