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गौ-पालन के जरिए कोडरमा की महिलाओं को बनाया जा रहा आत्मनिर्भर, 200 लाभुकों को मिला अनुदान - महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौ-पालन एक बेहतर जरिया बन रहा है. गुरुवार को कोडरमा बिरसा सांस्कृतिक भवन में जिला गव्य विकास विभाग की ओर से 200 महिलाओं को गौ-पालन के लिए 90 प्रतिशत अनुदान पर 1.16 लाख रुपए दिए गए.

Women get grant for cow rearing in koderma
महिलाओं को चेक देते डीसी
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Published : Jun 18, 2020, 6:15 PM IST

कोडरमा: वैश्विक महामारी कोरोना के बीच महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास शुरू हो गया है. गुरुवार को जिला गव्य विकास विभाग ने 90 प्रतिशत अनुदान पर 200 महिलाओं को गौ-पालन के लिए राशि वितरित की.

देखें पूरी खबर
अनलॉक वन और कोरोना संक्रमण के बीच लोगों की जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. कोडरमा में गौ-पालन के साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जिले के बिरसा सांस्कृतिक सभागार में गुरुवार को 200 महिलाओं के बीच 90 प्रतिशत अनुदान पर गौ-पालन के लिए 1.16 लाख रुपए वितरित की गई. पहली किस्त के तौर पर 8 हजार रुपए का चेक महिलाओं को सौंपा गया. इस योजना के तहत महिलाओं को मात्र 11 हजार रुपए खुद से लगाने हैं, जबकि बाकी बची राशि का वहन गव्य विकास विभाग करेगा. उपायुक्त रमेश घोलप ने बताया कि दुग्ध उत्पादन के जरिए महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जा रहा है. साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- देवघरः सात साइबर अपराधी गिरफ्तार, गुप्त सूचना पर पुलिस की कार्रवाई

इससे पहले इस योजना के तहत 896 महिलाएं गौ-पालन को रोजगार का जरिया बना कर आत्मनिर्भर बन चुकी है. गव्य विकास विभाग की ओर से गांव-गांव में गाय की खरीदारी, शेड निर्माण और पशु बीमा के लिए राशि दी जा रही है. कई महिलाएं इस योजना के तहत गौ-पालन कर रोजगार से जुड़ चुकी है और आमदनी भी कर रही हैं. गौ-पालन से जुड़ी महिलाओं की माने तो लॉकडाउन में भले ही उनकी आमदनी थोड़ी कम हुई है, लेकिन इस योजना से जुड़कर उन्हें लाभ मिला है. इस योजना के लिए महिलाओं ने सरकार के प्रति आभार जताया है. ऐसे में एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से लोगों की जिंदगी ठहर सी गई है, लोगों की आमदनी का जरिया बंद हो गया है. वहीं, गौ-पालन के जरिए कोडरमा की ग्रामीण महिलाएं गौ-पालन करके आत्मनिर्भर बन रही हैं.

कोडरमा: वैश्विक महामारी कोरोना के बीच महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास शुरू हो गया है. गुरुवार को जिला गव्य विकास विभाग ने 90 प्रतिशत अनुदान पर 200 महिलाओं को गौ-पालन के लिए राशि वितरित की.

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अनलॉक वन और कोरोना संक्रमण के बीच लोगों की जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. कोडरमा में गौ-पालन के साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जिले के बिरसा सांस्कृतिक सभागार में गुरुवार को 200 महिलाओं के बीच 90 प्रतिशत अनुदान पर गौ-पालन के लिए 1.16 लाख रुपए वितरित की गई. पहली किस्त के तौर पर 8 हजार रुपए का चेक महिलाओं को सौंपा गया. इस योजना के तहत महिलाओं को मात्र 11 हजार रुपए खुद से लगाने हैं, जबकि बाकी बची राशि का वहन गव्य विकास विभाग करेगा. उपायुक्त रमेश घोलप ने बताया कि दुग्ध उत्पादन के जरिए महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जा रहा है. साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है.

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इससे पहले इस योजना के तहत 896 महिलाएं गौ-पालन को रोजगार का जरिया बना कर आत्मनिर्भर बन चुकी है. गव्य विकास विभाग की ओर से गांव-गांव में गाय की खरीदारी, शेड निर्माण और पशु बीमा के लिए राशि दी जा रही है. कई महिलाएं इस योजना के तहत गौ-पालन कर रोजगार से जुड़ चुकी है और आमदनी भी कर रही हैं. गौ-पालन से जुड़ी महिलाओं की माने तो लॉकडाउन में भले ही उनकी आमदनी थोड़ी कम हुई है, लेकिन इस योजना से जुड़कर उन्हें लाभ मिला है. इस योजना के लिए महिलाओं ने सरकार के प्रति आभार जताया है. ऐसे में एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से लोगों की जिंदगी ठहर सी गई है, लोगों की आमदनी का जरिया बंद हो गया है. वहीं, गौ-पालन के जरिए कोडरमा की ग्रामीण महिलाएं गौ-पालन करके आत्मनिर्भर बन रही हैं.

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