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महापर्व छठः कोडरमा में बांस के सूप-दउरा बनाने वाले हैं उत्साहित, बाजारों में खरीदारों की उमड़ रही भीड़ - कोडरमा में महापर्व छठ

भले ही सरकार की ओर से कोरोना के मद्देनजर नदी, तालाब और डैम में सार्वजनिक तौर पर छठ करने पर पाबंदी लगा दी गई है, लेकिन इसके बावजूद तुरी समुदाय के लोग काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. सूप-दउरा का छठ महापर्व में विशेष महत्व होता है.

Turi community in koderma
सूप-दउरा की बिक्री
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Published : Nov 17, 2020, 1:35 PM IST

कोडरमा: लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर तैयारियां शुरू हो गयी हैं, हालांकि राज्य सरकार ने नदी, तालाब और डैम में सार्वजनिक तौर पर छठ मनाने पर पाबंदी लगा दी है लेकिन छठ पर्व में खास तौर पर बांस के सूप-दउरा बनाने वाले लोग उत्साहित नजर आ रहे हैं.

कोडरमा के असनाबाद तुरी टोला के रहने वाले तकरीबन 40 परिवार जोर-शोर से बांस के सूप-दउरा बनाने में दिन-रात लगे हुए हैं ताकि इस बार छठ में लोगों की डिमांड को पूरी की जा सके. इस इलाके में बांस का सूप और दउरा बनाने में परिवार के सभी सदस्य लगे हुए हैं.

देखें पूरी खबर

सभी लोग इसमें अलग-अलग भूमिका निभा रहे हैं. कोई जंगल से बांस लाने में लगा हैं तो कोई उसकी कटाई और छंटाई में लगा है. वहीं, परिवार की महिला सदस्य बांस के सूप और दउरा को अंतिम रूप देने में जुटी हैं. महिलाओं ने कहा कि प्लास्टिक और पीतल के सूप बाजार में आने से उनकी डिमांड थोड़ी कम जरूर हुई हैं लेकिन फिर भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ है.

ये भी पढ़ें-नक्सलियों की धमक तोड़ने की पूरी तैयारी, अब होगा प्रहार जोरदार

तुरी समुदाय के लोग सालों भर बांस के सूप और दउरा बनाने के साथ-साथ बांस के बने अलग-अलग समान बनाते हैं जिनका छठ में विशेष महत्व होता है. वहीं, दूसरी तरफ छठ का बाजार भी सज गया है. बांस के बनाये सूप और दउरा बाजार में बिकने लगे हैं और इन दुकानें में खरीदारों की भीड़ भी उमड़ने लगी हैं.

छठ पर्व में बांस के बने सूप-दउरा, डलिया, पंखा का विशेष महत्व होता है और इसे शुद्ध भी माना जाता है. बहरहाल, तुरी समुदाय के लोग यह भी मानते हैं कि बाजार में भले ही प्लास्टिक और पीतल के सूप आ जाएं लेकिन बांस के बने सूप और दउरा की शुद्धता और प्रमाणिकता में कभी कमी नहीं आएगी.

कोडरमा: लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर तैयारियां शुरू हो गयी हैं, हालांकि राज्य सरकार ने नदी, तालाब और डैम में सार्वजनिक तौर पर छठ मनाने पर पाबंदी लगा दी है लेकिन छठ पर्व में खास तौर पर बांस के सूप-दउरा बनाने वाले लोग उत्साहित नजर आ रहे हैं.

कोडरमा के असनाबाद तुरी टोला के रहने वाले तकरीबन 40 परिवार जोर-शोर से बांस के सूप-दउरा बनाने में दिन-रात लगे हुए हैं ताकि इस बार छठ में लोगों की डिमांड को पूरी की जा सके. इस इलाके में बांस का सूप और दउरा बनाने में परिवार के सभी सदस्य लगे हुए हैं.

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सभी लोग इसमें अलग-अलग भूमिका निभा रहे हैं. कोई जंगल से बांस लाने में लगा हैं तो कोई उसकी कटाई और छंटाई में लगा है. वहीं, परिवार की महिला सदस्य बांस के सूप और दउरा को अंतिम रूप देने में जुटी हैं. महिलाओं ने कहा कि प्लास्टिक और पीतल के सूप बाजार में आने से उनकी डिमांड थोड़ी कम जरूर हुई हैं लेकिन फिर भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ है.

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तुरी समुदाय के लोग सालों भर बांस के सूप और दउरा बनाने के साथ-साथ बांस के बने अलग-अलग समान बनाते हैं जिनका छठ में विशेष महत्व होता है. वहीं, दूसरी तरफ छठ का बाजार भी सज गया है. बांस के बनाये सूप और दउरा बाजार में बिकने लगे हैं और इन दुकानें में खरीदारों की भीड़ भी उमड़ने लगी हैं.

छठ पर्व में बांस के बने सूप-दउरा, डलिया, पंखा का विशेष महत्व होता है और इसे शुद्ध भी माना जाता है. बहरहाल, तुरी समुदाय के लोग यह भी मानते हैं कि बाजार में भले ही प्लास्टिक और पीतल के सूप आ जाएं लेकिन बांस के बने सूप और दउरा की शुद्धता और प्रमाणिकता में कभी कमी नहीं आएगी.

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