कोडरमा: जिले में पहले काम और बाद में टेंडर किए जाने का मामला लगातार प्रकाश में आ रहा है(Tender was taken out after completion of work). ताजा मामला भवन प्रमंडल विभाग का है, जहां 3 योजनाओं का काम पहले कर लिया गया और उसके बाद उसका टेंडर निकाला गया. आपको बता दें कि इससे पहले झुमरी तिलैया नगर परिषद के 3 सरकारी योजनाओं के अलावे भवन प्रमंडल और पथ निर्माण विभाग के 1-1 योजना पर पहले काम करा लिया गया और उसके बाद में उस योजना के लिए निविदा निकाली गई है.
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पहले काम फिर टेंडरः झुमरी तिलैया नगर परिषद क्षेत्र में बना यह है कोडरमा प्रखंड का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जिसे रंग रोगन और मरम्मती के बाद आयुष्मान वार्ड का नाम दिया गया है और इस भवन के बाहर चहारदीवारी का भी निर्माण किया गया है. इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के दूसरे भवन में भी रंग रोगन और मरम्मती का कार्य किया गया है, लेकिन टेंडर की प्रक्रिया बाद में अपनाई गई है. इन दोनों भवनों के रंग रोगन और मरम्मतीकरण पर तकरीबन 10-10 लाख रुपए का टेंडर निकाला गया. नगर परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष प्रकाश राम के अनुसार यह योजना लूट की योजना है और ठेकेदार के जरिए अधिकारी लाभान्वित हो रहे हैं. इस बाबत उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा है.
भ्रष्टाचार का आरोपः इधर झलपो में बने क्षतिग्रस्त आंगनबाड़ी केंद्र का भी मरम्मतीकरण कर दिया गया और बाद में इसके मरम्मतीकरण के लिए भी 6 लाख रुपये के टेंडर निकाले गए. हालांकि टेंडर निकालने से पहले ही मरम्मती का कार्य तकरीबन 80 फीसदी पूरा कर लिया गया है. इस पूरे मामले पर कांग्रेस नेता सईद नसीम का मानना है कि पहले काम और बाद में टेंडर के मामले में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को पार कर ली है. उन्होंने इस बाबत सरकार से कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के इस खेल से सरकार को राजस्व की भी क्षति हो रही है.
तत्काल कार्य जरूरी थाः नगर परिषद की इन 3 योजनाओं के अलावे कोडरमा से लोकाई तकरीबन 3 किलोमीटर सड़क की मरम्मती भी 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री के कोडरमा पहुंचने के पहले ही कर दी गई और अब पथ निर्माण विभाग के द्वारा उस योजना के लिए 25 लाख रुपए का टेंडर निकाला गया है. इसके अलावा कोडरमा कोर्ट परिसर और जज आवास में भी मरम्मती और निर्माण कार्य को लेकर टेंडर निकाला जाना है, जबकि इन योजनाओं पर पहले ही कार्य पूरा कर लिया गया है. उपायुक्त आदित्य रंजन का कहना है कि जो काम कराए गए उन पर तत्काल कार्य किया जाना जरूरी था, उन्होंने ऐसे मामले की जांच की बात कही है. वहीं दूसरी तरफ नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी विनीत कुमार का कहना है कि जिन योजनाओं पर कार्य किया गया है उसके लिए योजना चयन समिति से स्वीकृति दी गई थी और कुछ योजनाओं पर संवेदक द्वारा कार्य किए जाने की मामले की जांच की जा रही है.
एक ही ठेकेदार को मिला कामः गौर करने वाली बात यह भी है कि 5 योजनाओं पर जो कार्य किया गया है वह भी एक ही संवेदक के द्वारा किया गया है. ऐसे में पहले काम और बाद में टेंडर के सवाल पर अधिकारियों के द्वारा कार्रवाई और जांच की बात कितना मायने रखती है, यह सोचना लाजिमी है.