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कोडरमाः आवारा कुत्तों के आतंक से लोग परेशान, प्रशासन के पास नहीं है कोई योजना - कोडरमा में आवारा कुत्तों से परेशान लोग

कोडरमा में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने के कारण लोगों में दहशत का माहौल है. दरअसल, जिले में कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने के लिए न तो कोई टीम है और न ही बंध्याकरण के लिए कोई योजना है. आवारा कुत्तों की वजह से लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है.

stray dogs in koderma
आवारा कुत्तों का आतंक
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Published : Sep 21, 2020, 8:52 AM IST

कोडरमा: जिले में आवारा कुत्तों की तादाद लगातार बढ़ रही है. इस पर लगाम लगाने के लिए कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं. महानगरों में कुत्तों की बढ़ती तादाद पर लगाम लगाने के लिए कुत्तों का बंध्याकरण किया जाता है, लेकिन झारखंड में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
कुत्तों को पकड़ने के लिए व्यवस्था नहींकुत्तों का बंध्याकरण सुनने में भले ही थोड़ा अजीब लग रहा है, लेकिन शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती तादाद पर लगाम लगाने के लिए यह एक कारगर उपाय है. वैक्सीनेशन के जरिए कुत्तों का बंध्याकरण किया जाता है, ताकि आवारा कुत्तों की संख्या पर रोक लगाई जा सके. फिलहाल कोडरमा में इसका कोई इंतजाम नहीं किया गया है. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी कौशलेश कुमार ने बताया कि न तो आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए उनके पास कोई व्यवस्था है और न ही आवारा कुत्तों के बंध्याकरण के लिए पशुपालन विभाग के साथ समन्वय स्थापित हो पाया है.

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग पुलिस की पहल 'हैलो पुलिसिंग', पुलिस पदाधिकारियों का पता चल रहा है व्यवहार

कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम
आमतौर पर एक आवारा कुत्ते की लाइफ 15 साल की होती है. पशु चिकित्सक के अनुसार बंध्याकरण कर कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाई जाती है, लेकिन फिलहाल ऐसी कोई योजना झारखंड में नहीं चल रही है. वहीं, दूसरी तरफ आवारा कुत्तों की बढ़ती तादाद को लेकर आम लोगों में डर है. आवारा कुत्तों के डर से लोगों का गली-मोहल्लों से भी निकलना मुश्किल हो गया है.

कुत्तों की संख्या रोकने के लिए योजना नहीं
दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में आवारा कुत्तों की बढ़ती तादाद पर लगाम लगाने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं, लेकिन कोडरमा में न तो आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई खास टीम है और न ही आवारा कुत्तों की संख्या पर रोक लगाने के लिए बंध्याकरण योजना है.

कोडरमा: जिले में आवारा कुत्तों की तादाद लगातार बढ़ रही है. इस पर लगाम लगाने के लिए कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं. महानगरों में कुत्तों की बढ़ती तादाद पर लगाम लगाने के लिए कुत्तों का बंध्याकरण किया जाता है, लेकिन झारखंड में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
कुत्तों को पकड़ने के लिए व्यवस्था नहींकुत्तों का बंध्याकरण सुनने में भले ही थोड़ा अजीब लग रहा है, लेकिन शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती तादाद पर लगाम लगाने के लिए यह एक कारगर उपाय है. वैक्सीनेशन के जरिए कुत्तों का बंध्याकरण किया जाता है, ताकि आवारा कुत्तों की संख्या पर रोक लगाई जा सके. फिलहाल कोडरमा में इसका कोई इंतजाम नहीं किया गया है. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी कौशलेश कुमार ने बताया कि न तो आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए उनके पास कोई व्यवस्था है और न ही आवारा कुत्तों के बंध्याकरण के लिए पशुपालन विभाग के साथ समन्वय स्थापित हो पाया है.

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कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम
आमतौर पर एक आवारा कुत्ते की लाइफ 15 साल की होती है. पशु चिकित्सक के अनुसार बंध्याकरण कर कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाई जाती है, लेकिन फिलहाल ऐसी कोई योजना झारखंड में नहीं चल रही है. वहीं, दूसरी तरफ आवारा कुत्तों की बढ़ती तादाद को लेकर आम लोगों में डर है. आवारा कुत्तों के डर से लोगों का गली-मोहल्लों से भी निकलना मुश्किल हो गया है.

कुत्तों की संख्या रोकने के लिए योजना नहीं
दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में आवारा कुत्तों की बढ़ती तादाद पर लगाम लगाने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं, लेकिन कोडरमा में न तो आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई खास टीम है और न ही आवारा कुत्तों की संख्या पर रोक लगाने के लिए बंध्याकरण योजना है.

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