कोडरमा: जिले में आवारा कुत्तों की तादाद लगातार बढ़ रही है. इस पर लगाम लगाने के लिए कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं. महानगरों में कुत्तों की बढ़ती तादाद पर लगाम लगाने के लिए कुत्तों का बंध्याकरण किया जाता है, लेकिन झारखंड में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.
इसे भी पढ़ें- हजारीबाग पुलिस की पहल 'हैलो पुलिसिंग', पुलिस पदाधिकारियों का पता चल रहा है व्यवहार
कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम
आमतौर पर एक आवारा कुत्ते की लाइफ 15 साल की होती है. पशु चिकित्सक के अनुसार बंध्याकरण कर कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाई जाती है, लेकिन फिलहाल ऐसी कोई योजना झारखंड में नहीं चल रही है. वहीं, दूसरी तरफ आवारा कुत्तों की बढ़ती तादाद को लेकर आम लोगों में डर है. आवारा कुत्तों के डर से लोगों का गली-मोहल्लों से भी निकलना मुश्किल हो गया है.
कुत्तों की संख्या रोकने के लिए योजना नहीं
दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में आवारा कुत्तों की बढ़ती तादाद पर लगाम लगाने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं, लेकिन कोडरमा में न तो आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई खास टीम है और न ही आवारा कुत्तों की संख्या पर रोक लगाने के लिए बंध्याकरण योजना है.