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Koderma News: कंचन दे रही रुई से खिलौना बनाने की ट्रेनिंग, 100 से अधिक महिलाओं को बना चुकी हैं आत्मनिर्भर

कंचन भदानी ने समाज में मिसाल पेश की है. अपने आस-पास की महिलाओं को ऊन और रुई से खिलौना बनाने का गुर सिखा रहीं हैं. इन खिलौनों की बाजार में काफी डिमांड है. अब तक इनकी बिक्री कर लाखों रुपये की आमदनी कर चुकी हैं.

Kanchan is giving training on making toys
कंचन महिलाओं को ऊन और रुई से खिलौना बनाने का गुर सिखा रही
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 15, 2023, 3:54 PM IST

Updated : Sep 15, 2023, 4:36 PM IST

देखें पूरी खबर

कोडरमा: शौक और पैशन को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती है. शौक के जरिए खुद को आत्मनिर्भर बना लिया जाए तो, इससे बेहतर और क्या हो सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया कोडरमा की कंचन भदानी ने. कंचन ने न सिर्फ अपने पैशन को फॉलो किया बल्कि खुद के साथ अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया. क्रोशिया वर्क के जरिए खिलौने बनाकर सपने को पूरा कर रही हैं.

ये भी पढ़ें: अगरबत्ती, पापड़, अचार बनाने की ट्रेंनिंग देकर महिलाओं को बनाया जा रहा आत्मनिर्भर, बाजार भी कराया जाएगा उपलब्ध

रिटायरमेंट की उम्र में खुद को बनाय आत्मनिर्भर: कोडरमा के झुमरी तिलैया की रहने वाली कंचन भदानी ने अपने कार्य से समाज में मिसाल पेश की है. उम्र के जिस पड़ाव में लोग रिटायर हो जाते हैं और काम धंधों से मुक्त हो जाते हैं, कंचन ने खुद के साथ दूसरों को आत्मनिर्भर बनाया. अमूमन लोग रिटायर्मेंट की उम्र में आराम की जिंदगी बिताना शुरू कर देते हैं. कंचन ने उम्र के इस पड़ाव में अपने शौक और पैशन को जिंदा रखा है. कंचन ने क्रोशिया वर्क बचपन में अपनी दादी, नानी और मां से सीखा था.

100 से ज्यादा महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर: कंचन अब तक 100 से ज्यादा महिलाओं और युवतियों को क्रोशिया के जरिए खिलौने बनाने की ट्रेनिंग दे चुकी है. यह सिलसिला अनवरत जारी है. ऊन और रुई को औजारों की मदद से क्रोशिया द्वारा आकर्षक खिलौने में तब्दील किया जाता है. जो महिलाएं और युवतियां खिलौने बनाना सिखाती है, उन्हें ट्रेनिंग के बाद कंचन खिलौने बनाने का ऑर्डर देती है और उसके एवज में इन्हें आमदनी भी हो जाती है.

खिलौने की बाजार में डिमांड: ऊन और रुई के बने इन खिलौने की बाजार में काफी डिमांड भी है. सॉफ्ट होने के कारण छोटे बच्चों के लिए यह अच्छा भी है. अब तक कंचन और उसकी साथी महिलाएं लगभग 5000 से ज्यादा खिलौने का निर्माण कर लाखों रुपये की आमदनी कर चुकी है.

कोलकाता में बीता है कंचन का बचपन: कोलकाता में ही कंचन का बचपन बीता है. कंचन ने 1982 में माइका व्यवसाई गोपाल भदानी से शादी होने के बाद कोडरमा आ गई. परिवार और बच्चों के पालन पोषण के कारण अपने इस शौक को पूरा करने के लिए कंचन को कई सालों तक इंतजार करना पड़ा. जब बच्चे सेटल हो गए तब उन्होंने अपने इस पैशन को फिर से शुरू किया और परिवार और समाज के लिए खुद को और कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाली महिलाओं और युवतियों को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया.

ऑनलाइन बाजार में ये खिलौने उपलब्ध: कंचन भदानी के द्वारा तैयार इन खिलौनों की मार्केटिंग सोशल मीडिया के जरिए होती है. ऑनलाइन बाजार में ये खिलौने उपलब्ध हैं. कंचन ने बताया कि एक खिलौने को पूरी तरह से तैयार करने में एक से दो दिन का समय लगता है और यह पूरी तरह हाथों के हुनर से तैयार किया जाता है.

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कोडरमा: शौक और पैशन को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती है. शौक के जरिए खुद को आत्मनिर्भर बना लिया जाए तो, इससे बेहतर और क्या हो सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया कोडरमा की कंचन भदानी ने. कंचन ने न सिर्फ अपने पैशन को फॉलो किया बल्कि खुद के साथ अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया. क्रोशिया वर्क के जरिए खिलौने बनाकर सपने को पूरा कर रही हैं.

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रिटायरमेंट की उम्र में खुद को बनाय आत्मनिर्भर: कोडरमा के झुमरी तिलैया की रहने वाली कंचन भदानी ने अपने कार्य से समाज में मिसाल पेश की है. उम्र के जिस पड़ाव में लोग रिटायर हो जाते हैं और काम धंधों से मुक्त हो जाते हैं, कंचन ने खुद के साथ दूसरों को आत्मनिर्भर बनाया. अमूमन लोग रिटायर्मेंट की उम्र में आराम की जिंदगी बिताना शुरू कर देते हैं. कंचन ने उम्र के इस पड़ाव में अपने शौक और पैशन को जिंदा रखा है. कंचन ने क्रोशिया वर्क बचपन में अपनी दादी, नानी और मां से सीखा था.

100 से ज्यादा महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर: कंचन अब तक 100 से ज्यादा महिलाओं और युवतियों को क्रोशिया के जरिए खिलौने बनाने की ट्रेनिंग दे चुकी है. यह सिलसिला अनवरत जारी है. ऊन और रुई को औजारों की मदद से क्रोशिया द्वारा आकर्षक खिलौने में तब्दील किया जाता है. जो महिलाएं और युवतियां खिलौने बनाना सिखाती है, उन्हें ट्रेनिंग के बाद कंचन खिलौने बनाने का ऑर्डर देती है और उसके एवज में इन्हें आमदनी भी हो जाती है.

खिलौने की बाजार में डिमांड: ऊन और रुई के बने इन खिलौने की बाजार में काफी डिमांड भी है. सॉफ्ट होने के कारण छोटे बच्चों के लिए यह अच्छा भी है. अब तक कंचन और उसकी साथी महिलाएं लगभग 5000 से ज्यादा खिलौने का निर्माण कर लाखों रुपये की आमदनी कर चुकी है.

कोलकाता में बीता है कंचन का बचपन: कोलकाता में ही कंचन का बचपन बीता है. कंचन ने 1982 में माइका व्यवसाई गोपाल भदानी से शादी होने के बाद कोडरमा आ गई. परिवार और बच्चों के पालन पोषण के कारण अपने इस शौक को पूरा करने के लिए कंचन को कई सालों तक इंतजार करना पड़ा. जब बच्चे सेटल हो गए तब उन्होंने अपने इस पैशन को फिर से शुरू किया और परिवार और समाज के लिए खुद को और कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाली महिलाओं और युवतियों को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया.

ऑनलाइन बाजार में ये खिलौने उपलब्ध: कंचन भदानी के द्वारा तैयार इन खिलौनों की मार्केटिंग सोशल मीडिया के जरिए होती है. ऑनलाइन बाजार में ये खिलौने उपलब्ध हैं. कंचन ने बताया कि एक खिलौने को पूरी तरह से तैयार करने में एक से दो दिन का समय लगता है और यह पूरी तरह हाथों के हुनर से तैयार किया जाता है.

Last Updated : Sep 15, 2023, 4:36 PM IST
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