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कोडरमा में 28 फरवरी से जारी है ढीबरा मजदूरों का आंदोलन, अवैध माइका खनन के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई से हैं नाराज - illegal mica mining

कोडरमा में अवैध माइका उत्खनन के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई का ढीबरा मजदूर विरोध कर रहे हैं. मजदूरों ने प्रशासन पर रोजगार छिनने का आरोप लगाया है. मजदूरों ने मांग नहीं माने जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

movement of the slow labourers on movement
ढीबरा मजदूरों का आंदोलन
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Published : Mar 4, 2022, 7:05 AM IST

Updated : Mar 4, 2022, 8:04 AM IST

कोडरमा: जिला मुख्यालय के समक्ष ढिबरा मजदूरों का अनिश्चितकालीन धरना 28 फरवरी से लगातार जारी हैं. ढिबरा स्क्रैप संघ के बैनर तले सैकड़ो की संख्या में ढिबरा मजदूर दिन-रात धरना स्थल पर जमे हैं. मजदूरों की मांग हैं कि जब तक ढिबरा उत्खनन पर कोई ठोस पॉलिसी नहीं बनती हैं तब तक इन ढिबरा मजदूरों को जंगल से ढिबरा चुनने और ढिबरा निकालने में राहत दिया जाए.


ये भी पढे़ं- कोडरमा में गैंगरेपः दुष्कर्म के बाद युवकों ने लड़की को कुएं में फेंका

कोडरमा में ढीबरा मजदूरों का आदोलन: कोडरमा जिला प्रशासन अवैध उत्खनन के खिलाफ लगातार अभियान चला रही हैं. कभी खनन विभाग तो कभी वन विभाग और कभी कोडरमा पुलिस अभियान चलाकर अवैध खनिज उत्खनन पर नकेल कसने को लेकर कारवाई कर रही हैं जिसके कारण जंगल मे रहने वाले लोगों पर रोजी रोटी की आफत आ पड़ी हैं. प्रशासन के सघन अभियान से परेशान ढिबरा मजदूर सरकार से रोजगार मुहैया कराने की मांग कर रहे हैं. मजदूरों ने आरोप लगाया है कि सरकार उनके रोजगार के एकमात्र साधन को बंद करने की कोशिश कर रही है. इधर ढिबरा मजदूरों के समर्थन में कोडरमा विधायक नीरा यादव ने विधानसभा में भी ढिबरा उत्खनन को लेकर पॉलिसी बनाने की मांग राज्य सरकार से की हैं.

देखें वीडियो

ढिबरा व्यवसाय से चलता है घर: कोडरमा के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हजारों की संख्या में ढिबरा व्यवसाय से जुड़े हैं और इसी ढिबरा व्यवसाय से ये अपने और अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं और हाल के दिनों में जिला प्रशासन ने ढिबरा उत्खनन को लेकर जो सख्ती बरती हैं इसका सीधा असर इन ढिबरा मजदूरों पर देखने को मिल रहा हैं. मजदूर नेता कृष्णा सिंह घटवार ने बताया कि वर्षो पहले यहां माईका खदानों का लीज था और उस समय यहां से बड़े पैमाने पर माईका का उत्खनन हुआ करता था. लेकिन आज उन सारे माईका खदानों का लीज खत्म हो चुका हैं और उसी माईका खदानों के बाहर माईका का स्क्रैप चुन कर ढिबरा मजदूर अपना जीवन-यापन करते हैं. लेकिन लगातार प्रशासन की कार्रवाई से उनका रोजगार छिन रहा है.

पुलिस बेवजह कर रही है परेशान: जिसको लेकर जिला प्रशासन लगातार कारवाई कर रही हैं. वहीं ढिबरा मजदूरों ने बताया कि कोडरमा पुलिस बेवजह उन्हें परेशान कर रही हैं और ढिबरा मजदूरों पर झूठा मुकदमा कर उन्हें जेल भेज रही हैं. वे लोग कोई अवैध उत्खनन नहीं कर रहें हैं बल्कि खदानों के ऊपर माईका का स्क्रैप चुनते हैं तो किसी तरह अपने और अपने परिवार के लिए रोजी रोटी का इंतजाम कर पाते हैं. ढिबरा मजदूर लगातार 28 फरवरी से सरकार की ओर टकटकी लगाए धरना पर बैठे हैं. सरकार का कोई नुमाईंदा उनकी सुध लेने पहुंचेगा लेकिन बिडंबना ये हैं कि आज तक सरकार का कोई भी नुमाईंदा इन तक वार्ता के लिए नहीं पहुंचा हैं. मजदूरों ने कहा कि जब तक उनकी मांगे नही मानी जायेगी उनका आंदोलन निरंतर जारी रहेगा.

कोडरमा: जिला मुख्यालय के समक्ष ढिबरा मजदूरों का अनिश्चितकालीन धरना 28 फरवरी से लगातार जारी हैं. ढिबरा स्क्रैप संघ के बैनर तले सैकड़ो की संख्या में ढिबरा मजदूर दिन-रात धरना स्थल पर जमे हैं. मजदूरों की मांग हैं कि जब तक ढिबरा उत्खनन पर कोई ठोस पॉलिसी नहीं बनती हैं तब तक इन ढिबरा मजदूरों को जंगल से ढिबरा चुनने और ढिबरा निकालने में राहत दिया जाए.


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कोडरमा में ढीबरा मजदूरों का आदोलन: कोडरमा जिला प्रशासन अवैध उत्खनन के खिलाफ लगातार अभियान चला रही हैं. कभी खनन विभाग तो कभी वन विभाग और कभी कोडरमा पुलिस अभियान चलाकर अवैध खनिज उत्खनन पर नकेल कसने को लेकर कारवाई कर रही हैं जिसके कारण जंगल मे रहने वाले लोगों पर रोजी रोटी की आफत आ पड़ी हैं. प्रशासन के सघन अभियान से परेशान ढिबरा मजदूर सरकार से रोजगार मुहैया कराने की मांग कर रहे हैं. मजदूरों ने आरोप लगाया है कि सरकार उनके रोजगार के एकमात्र साधन को बंद करने की कोशिश कर रही है. इधर ढिबरा मजदूरों के समर्थन में कोडरमा विधायक नीरा यादव ने विधानसभा में भी ढिबरा उत्खनन को लेकर पॉलिसी बनाने की मांग राज्य सरकार से की हैं.

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ढिबरा व्यवसाय से चलता है घर: कोडरमा के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हजारों की संख्या में ढिबरा व्यवसाय से जुड़े हैं और इसी ढिबरा व्यवसाय से ये अपने और अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं और हाल के दिनों में जिला प्रशासन ने ढिबरा उत्खनन को लेकर जो सख्ती बरती हैं इसका सीधा असर इन ढिबरा मजदूरों पर देखने को मिल रहा हैं. मजदूर नेता कृष्णा सिंह घटवार ने बताया कि वर्षो पहले यहां माईका खदानों का लीज था और उस समय यहां से बड़े पैमाने पर माईका का उत्खनन हुआ करता था. लेकिन आज उन सारे माईका खदानों का लीज खत्म हो चुका हैं और उसी माईका खदानों के बाहर माईका का स्क्रैप चुन कर ढिबरा मजदूर अपना जीवन-यापन करते हैं. लेकिन लगातार प्रशासन की कार्रवाई से उनका रोजगार छिन रहा है.

पुलिस बेवजह कर रही है परेशान: जिसको लेकर जिला प्रशासन लगातार कारवाई कर रही हैं. वहीं ढिबरा मजदूरों ने बताया कि कोडरमा पुलिस बेवजह उन्हें परेशान कर रही हैं और ढिबरा मजदूरों पर झूठा मुकदमा कर उन्हें जेल भेज रही हैं. वे लोग कोई अवैध उत्खनन नहीं कर रहें हैं बल्कि खदानों के ऊपर माईका का स्क्रैप चुनते हैं तो किसी तरह अपने और अपने परिवार के लिए रोजी रोटी का इंतजाम कर पाते हैं. ढिबरा मजदूर लगातार 28 फरवरी से सरकार की ओर टकटकी लगाए धरना पर बैठे हैं. सरकार का कोई नुमाईंदा उनकी सुध लेने पहुंचेगा लेकिन बिडंबना ये हैं कि आज तक सरकार का कोई भी नुमाईंदा इन तक वार्ता के लिए नहीं पहुंचा हैं. मजदूरों ने कहा कि जब तक उनकी मांगे नही मानी जायेगी उनका आंदोलन निरंतर जारी रहेगा.

Last Updated : Mar 4, 2022, 8:04 AM IST
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