कोडरमा: अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के नाम पर कोडरमा में घोटाला सामने आया है. 1433 अल्पसंख्यक छात्रों के नाम पर तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए की राशि गबन कर ली गई. हालांकि मामला उजागर होने के बाद कल्याण पदाधिकारी ने विभाग के तीन कर्मी समेत 10 स्कूलों के खिलाफ थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई (FIR on minority scholarship scam in Koderma) है.
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अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति के नाम पर दिए जाने वाली राशि में बड़ी गड़बड़ी सामने आई (minority scholarship scam in Koderma) है. कोडरमा जिला में एक दो नहीं, बल्कि तीन-तीन वित्तीय वर्ष में 10 स्कूलों में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के नाम पर दी जाने वाली राशि का गबन किया गया है. इसमें सिर्फ स्कूलों की भूमिका संदिग्ध नहीं है बल्कि विभाग के तीन कर्मियों की मिलीभगत भी सामने आई है. इस मामले में जिला कल्याण पदाधिकारी नीली सरोज कुजूर ने कोडरमा थाना में 10 स्कूल के प्राचार्य और विभाग के तीन कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है.
अपर समाहर्ता से मामले की जांचः कोडरमा में छात्रवृत्ति के नाम पर अनियमितता की बात जब उपायुक्त को पता चली तो उन्होंने अपर समाहर्ता से इस पूरे मामले की जांच करवाई. जिसमें यह बात सामने आया कि फर्जी स्कूल और फर्जी छात्रों के नाम पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के नाम पर मिलने वाली राशि का गबन किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में 10 स्कूलों के 1433 छात्रों के नाम पर तकरीबन डेढ़ करोड़ की राशि विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से गबन कर ली गई है.
कौन-कौन स्कूल आरोपीः 10 स्कूलों में ब्राइट हाप पब्लिक स्कूल, उर्दू मिडिल स्कूल दरीकला, उर्दू मिडिल स्कूल हरिना, उर्दू मिडिल स्कूल पेलावल, चाइल्ड प्रोग्रेसिव स्कूल, किड्स स्कूल बेहरवाटांड़, स्वामी विवेकानंद विद्या सागर स्कूल, मदरसा रशीदिया करमा, एनपीएस फुटलहिया और उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय चंदवारा के नाम शामिल हैं. इनमें से एक चाइल्ड प्रोग्रेसिव स्कूल जिस पर 144 छात्रों के नाम पर तकरीबन 15 लाख रुपये गबन का मामला दर्ज किया गया है.
इसको लेकर चाइल्ड प्रोग्रेसिव स्कूल के प्रबंधन का कहना है कि जिन 144 बच्चों की सूची उन्हें सौंपी गई है उनमें से एक भी बच्चा उनके स्कूल में नहीं पढ़ता है. उन्होंने बताया कि जब उन्हें इस बात की सूचना मिली तो उन्होंने स्कूल के फर्जी स्टांप और हस्ताक्षर इस्तेमाल कर गड़बड़ी करने का मामला भी थाना में दर्ज कराया था और इसकी लिखित शिकायत भी अधिकारियों से की थी. चाइल्ड प्रोग्रेसिव स्कूल के संचालक तौफिक हुसैन ने कहा कि इस पूरे घोटाले में कल्याण विभाग के कर्मी जिम्मेदार है और स्कूलों के नाम पर फर्जी छात्रों का नाम देकर राशि का गबन किया गया है.
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क्या है छात्रवृत्ति की प्रक्रियाः छात्रवृत्ति से पहले एक प्रक्रिया अपनाई जाती है. इसके लिए पहले स्कूलों की ओर से आवेदन आता है और उस पर स्वीकृति मिलने के बाद स्कूलों के तरफ से बच्चों की सूची विभाग को ऑनलाइन भेजी जाती है. जिसके बाद कल्याण विभाग तमाम कागजातों की जांच कर उन नामों की सूची मुख्यालय भेजता है और मुख्यालय से ही राशि बच्चों के नाम पर ट्रांसफर की जाती है. जिन 1433 बच्चों की सूची मिली है उनमें से एक भी बच्चे के खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं किये गए हैं. जबकि इनमें से कई बच्चों के नाम और पते भी फर्जी पाए गए हैं. ऐसे में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जब कार्रवाई होगी तो इस फर्जीवाड़े की परत दर परत खुलती जाएगी.