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बंजर भूमि पर फूलों की खेती शुरू की तो लोगों ने उड़ाया मजाक, अब लाखों में हो रही कमाई

Flowers cultivation in Koderma. कोडरमा के किसान पप्पू ने बंजर और पथरीली जमीन पर फूलों की खेती कर अपनी अलग मिसाल पेश की है. आज पप्पू फूलों की खेती से अच्छी आमदनी पा रहे हैं. साथ ही गांव के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 23, 2023, 8:15 PM IST

Flowers cultivation in Koderma
Flowers cultivation in Koderma
बंजर जमीन पर फूलों की खेती

कोडरमा: आज राष्ट्रीय किसान दिवस है और आज हम आपको कोडरमा के एक ऐसे किसान से के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसने पत्थर का सीना चीर कर फूलों की खेती शुरू की. इस किसान ने फूलों की खेती से न सिर्फ आर्थिक आय का जरिया तैयार किया है, बल्कि अपने गांव के 50 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. कोडरमा का डोमचांच जो बिहार झारखंड की सबसे बड़ी पत्थर मंडी के रूप में जाना जाता है, उस डोमचांच में पत्थरों के बीच फूलों की खेती के बारे में सोचना भी बेतुका होगा, लेकिन इसे सच कर दिखाया है डोमचांच के फुलवरिया में रहने वाले किसानों पप्पू कुमार ने.

3500 रुपए में शुरू की खेती: पप्पू ने तीन साल पहले महज 3500 रुपये से 5 कट्ठा जमीन में फूलों की खेती शुरू की और आज करीब दो एकड़ जमीन पर गेंदा और चंद्रमणि फूलों की खेती कर पप्पू लाखों रुपये कमा रहे हैं. जब पप्पू ने फूलों की खेती शुरू की तो उनके परिवार और गांव के लोगों ने उनका मजाक उड़ाया, लेकिन आज उनकी प्रगति और कड़ी मेहनत को देखकर परिवार के सभी लोग इस काम में उनकी मदद कर रहे हैं.

फूलों की खेती के माध्यम से पप्पू फुलवारिया के 50 से अधिक लोगों को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं. पप्पू द्वारा खेतों में उगाए गए फूल बिहार और झारखंड के कुछ शहरों में सप्लाई किए जाते हैं और ये फूल भगवान के चरणों में भी पहुंचते हैं. साथ ही नेताओं के गले की शोभा भी बढ़ाते हैं.

बंजर जमीन पर खिल रहा फूल: पप्पू की पत्नी सुमित्रा बताती हैं कि जब उनके पति पथरीली जमीन पर फूलों की खेती करने लगे तो उन्हें भी थोड़ा अजीब लगा. लेकिन अपने पति की मेहनत और लगन से आज बंजर जमीन पर फूल खिल रहे हैं. फूलों की खुशबू से पूरा फुलवरिया महक रहा है. इसे देखकर सुमित्रा भी अपने पति का बखूबी साथ दे रही हैं.

पप्पू इन फूलों के पौधों को मध्य प्रदेश से मंगाते हैं. 60 दिनों के बाद पौधे से फूल निकलना शुरू हो जाते हैं. गांव की महिलाएं फूल तोड़ने से लेकर उन्हें बुनने तक हर काम में पप्पू की मदद करती हैं. इसके बदले में महिलाओं को अच्छी आमदनी भी हो जाती है. महिलाएं बताती हैं कि ये फूल सुख-दुख हर काम में काम आते हैं.

कोडरमा के डोमचांच में जगह-जगह पत्थर ही पत्थर हैं. ऐसे में पथरीली और बंजर जमीन पर फूल उगाकर पप्पू ने न सिर्फ अपनी इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प की मिसाल कायम की है, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन गए हैं.

यह भी पढ़ें: ताइवान का अमरूद पलामू के किसानों को कर रहा मालामाल, कई इलाकों में हुई है खेती

यह भी पढ़ें: सीएम हेमंत सोरेन ने काजू की खेती को बढ़ावा देने का दिया भरोसा, कहा- नई तकनीक से काजू उत्पादन में किसानों को सहयोग करेगी सरकार

यह भी पढ़ें: अब झारखंडी चाय की चुस्की से होगी सुबह की शुरुआत, चाय की खेती के लिए हजारीबाग में चल रहा पायलट प्रोजेक्ट

बंजर जमीन पर फूलों की खेती

कोडरमा: आज राष्ट्रीय किसान दिवस है और आज हम आपको कोडरमा के एक ऐसे किसान से के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसने पत्थर का सीना चीर कर फूलों की खेती शुरू की. इस किसान ने फूलों की खेती से न सिर्फ आर्थिक आय का जरिया तैयार किया है, बल्कि अपने गांव के 50 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. कोडरमा का डोमचांच जो बिहार झारखंड की सबसे बड़ी पत्थर मंडी के रूप में जाना जाता है, उस डोमचांच में पत्थरों के बीच फूलों की खेती के बारे में सोचना भी बेतुका होगा, लेकिन इसे सच कर दिखाया है डोमचांच के फुलवरिया में रहने वाले किसानों पप्पू कुमार ने.

3500 रुपए में शुरू की खेती: पप्पू ने तीन साल पहले महज 3500 रुपये से 5 कट्ठा जमीन में फूलों की खेती शुरू की और आज करीब दो एकड़ जमीन पर गेंदा और चंद्रमणि फूलों की खेती कर पप्पू लाखों रुपये कमा रहे हैं. जब पप्पू ने फूलों की खेती शुरू की तो उनके परिवार और गांव के लोगों ने उनका मजाक उड़ाया, लेकिन आज उनकी प्रगति और कड़ी मेहनत को देखकर परिवार के सभी लोग इस काम में उनकी मदद कर रहे हैं.

फूलों की खेती के माध्यम से पप्पू फुलवारिया के 50 से अधिक लोगों को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं. पप्पू द्वारा खेतों में उगाए गए फूल बिहार और झारखंड के कुछ शहरों में सप्लाई किए जाते हैं और ये फूल भगवान के चरणों में भी पहुंचते हैं. साथ ही नेताओं के गले की शोभा भी बढ़ाते हैं.

बंजर जमीन पर खिल रहा फूल: पप्पू की पत्नी सुमित्रा बताती हैं कि जब उनके पति पथरीली जमीन पर फूलों की खेती करने लगे तो उन्हें भी थोड़ा अजीब लगा. लेकिन अपने पति की मेहनत और लगन से आज बंजर जमीन पर फूल खिल रहे हैं. फूलों की खुशबू से पूरा फुलवरिया महक रहा है. इसे देखकर सुमित्रा भी अपने पति का बखूबी साथ दे रही हैं.

पप्पू इन फूलों के पौधों को मध्य प्रदेश से मंगाते हैं. 60 दिनों के बाद पौधे से फूल निकलना शुरू हो जाते हैं. गांव की महिलाएं फूल तोड़ने से लेकर उन्हें बुनने तक हर काम में पप्पू की मदद करती हैं. इसके बदले में महिलाओं को अच्छी आमदनी भी हो जाती है. महिलाएं बताती हैं कि ये फूल सुख-दुख हर काम में काम आते हैं.

कोडरमा के डोमचांच में जगह-जगह पत्थर ही पत्थर हैं. ऐसे में पथरीली और बंजर जमीन पर फूल उगाकर पप्पू ने न सिर्फ अपनी इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प की मिसाल कायम की है, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन गए हैं.

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