कोडरमा: भारत भले ही पुरुष प्रधान देश है, लेकिन आज महिलाएं भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं. महिलाएं पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चल रही हैं. कोडरमा में रविवार को ऐसा ही मार्मिक मामला सामने आया है. जहां एक बेटी ने बेटे का फर्ज निभाया हैं.
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दरअसल हुआ यूं कि कोडरमा के जेजे कॉलेज के शिक्षकेतर कर्मचारी शैलेंद्र श्रीवास्तव को कोई बेटा नहीं है. उनकी तीन बेटियां ही हैं. बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है और वह महाराष्ट में बैंक पीओ हैं जबकि उनकी दो बेटियां पिता के साथ ही रहती हैं. शैलेंद्र श्रीवास्तव कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और लंबी बीमारी के कारण शैलेंद्र श्रीवास्तव का निधन हो गया. जिसके बाद मानो उस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. उसके बाद सारी कुरीतियों और पुरानी रूढ़िवादियों को आइना दिखाते हुए, उनकी छोटी बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी.
बेटी होकर बेटे का निभाई फर्ज
शैलेंद्र श्रीवास्तव झुमरी तिलैया के बिशुनपुर के रहने वाले थे और उनकी छोटी बेटी ने जिन्होंने उन्हें मुखाग्नि दी है, उस बेटी का नाम समृद्धि है. वहीं पूरे कोडरमा में घटी इस घटना से लोग बेटी की खूब प्रशंसा कर रहे हैं. निश्चित तौर पर जिस तरह से समृद्धि ने एक बेटी होकर बेटे का फर्ज निभाया है. साथ ही समाज को एक संदेश देने का भी काम किया है कि आज बेटियां बोझ नहीं हैं बेटी हर वो काम कर सकती हैं जो बेटे करते हैं, इसलिए समाज में बेटा और बेटी में फर्क नहीं समझना चाहिए.