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कोडरमा में नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे, जान का बना रहता है खतरा

कोडरमा के सतगावां प्रखंड में बच्चे जान जोखिम में डाल कर स्कूल जाने को मजबूर हैं. यही नहीं पुल नहीं होने के कारण कई बार बच्चे स्कूल जाना भी छोड़ देते हैं.

Children forced to go to school by crossing river
Children forced to go to school by crossing river
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Published : Jul 22, 2023, 10:32 PM IST

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कोडरमा: बच्चों की स्कूल जाती तस्वीरें काफी मनमोहक लगती हैं, आपने कई बार ऐसी देखी होंगी, लेकिन कोडरमा के सतगावां प्रखंड में बच्चे जान जोखिम में डालकर सकरी नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं. स्कूल से बच्चों को जोड़े रखने के लिए ड्रॉपआउट बच्चों का फिर से नामांकन किया जा रहा है, लेकिन कोडरमा के सतगावां प्रखंड स्तिथ मीरगंज पंचायत के कनीकेंद के इन बच्चों को ड्रॉपआउट से कैसे रोका जाए, इसका हल शायद किसी के पास नहीं है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब सकरी नदी में पानी ज्यादा होता है तो इन बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है. हर साल तकरीबन 2 से 3 महीने इस गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. फिलहाल बारिश की स्थिति अच्छी नही होने के कारण इस सकरी नदी में घुटने तक ही पानी है. ऐसे में पानी के बीच बच्चे अपने हाथों में जूता चप्पल लेकर पीठ पर स्कूल बैग टांग कर इस नदी को पार कर पोखरडीहा मिडिल स्कूल जाते हैं.

ये भी पढ़ें: जोखिम उठाकर स्कूल जाने को मजबूर हैं बच्चे, देखिए वीडियो

बिहार-झारखंड की सीमा से सटा कोडरमा का सतगावां प्रखंड जो कभी नक्सलियों की शरण स्थली हुआ करती थी, आज भी सुदूरवर्ती होने के कारण प्रखंड के कई गांवों में बुनियादी सुविधाएं बहाल नहीं हो पाई हैं. इसके अलावा प्रखंड के जो भी गांव बिहार की सीमा से सटे हैं उनकी स्थिति और भी खराब है. ग्रामीणों की मजबूरी है कि वे अपने बच्चों की जान जोखिम में डालकर स्कूल भेजने को मजबूर हैं.

दरअसल, सतगावां प्रखंड के मीरगंज पंचायत में भी एक स्कूल है, लेकिन उसकी दूरी ज्यादा और रास्ता खराब होने के कारण, कानीकेंद गांव के बच्चों का नामांकन पोखरडीहा हाई स्कूल में है, जो उनके पोषक क्षेत्र में भी आता है. पोखरडीहा मिडिल स्कूल के प्रिंसिपल संजय पांडे भी बताते हैं कि कानीकेंद और पोखरडीहा गांव के बीच एकमात्र सकरी नदी का ही फासला है. ऐसे में बच्चे इस नदी को पार करते हुए स्कूल पहुंचते हैं, बाकी मौसम में स्थिति तो ठीक रहती है, लेकिन बारिश में इन बच्चों के लिए स्कूल आना जाना चुनौती हो जाती है.

प्रखंड प्रशासन भी मानता है कि इस नदी पर पुल जरूरी है, न सिर्फ बच्चों के स्कूल आने जाने के लिए बल्कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी पुल बन जाने से लोगों को सहूलियत होगी. प्रखंड विकास पदाधिकारी वैद्यनाथ उरांव ने कहा कि पुल निर्माण के लिए कार्रवाई शुरू हो गई है. नदी पार कर बच्चों के स्कूल जाती ये तस्वीरें पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करतीं हैं. बारिश के मौसम में बच्चों के स्कूल जाते समय अगर नदी की धारा तेज़ हो जाए या तो इन बच्चों के साथ कोई हादसा भी हो सकता है.

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कोडरमा: बच्चों की स्कूल जाती तस्वीरें काफी मनमोहक लगती हैं, आपने कई बार ऐसी देखी होंगी, लेकिन कोडरमा के सतगावां प्रखंड में बच्चे जान जोखिम में डालकर सकरी नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं. स्कूल से बच्चों को जोड़े रखने के लिए ड्रॉपआउट बच्चों का फिर से नामांकन किया जा रहा है, लेकिन कोडरमा के सतगावां प्रखंड स्तिथ मीरगंज पंचायत के कनीकेंद के इन बच्चों को ड्रॉपआउट से कैसे रोका जाए, इसका हल शायद किसी के पास नहीं है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब सकरी नदी में पानी ज्यादा होता है तो इन बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है. हर साल तकरीबन 2 से 3 महीने इस गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. फिलहाल बारिश की स्थिति अच्छी नही होने के कारण इस सकरी नदी में घुटने तक ही पानी है. ऐसे में पानी के बीच बच्चे अपने हाथों में जूता चप्पल लेकर पीठ पर स्कूल बैग टांग कर इस नदी को पार कर पोखरडीहा मिडिल स्कूल जाते हैं.

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बिहार-झारखंड की सीमा से सटा कोडरमा का सतगावां प्रखंड जो कभी नक्सलियों की शरण स्थली हुआ करती थी, आज भी सुदूरवर्ती होने के कारण प्रखंड के कई गांवों में बुनियादी सुविधाएं बहाल नहीं हो पाई हैं. इसके अलावा प्रखंड के जो भी गांव बिहार की सीमा से सटे हैं उनकी स्थिति और भी खराब है. ग्रामीणों की मजबूरी है कि वे अपने बच्चों की जान जोखिम में डालकर स्कूल भेजने को मजबूर हैं.

दरअसल, सतगावां प्रखंड के मीरगंज पंचायत में भी एक स्कूल है, लेकिन उसकी दूरी ज्यादा और रास्ता खराब होने के कारण, कानीकेंद गांव के बच्चों का नामांकन पोखरडीहा हाई स्कूल में है, जो उनके पोषक क्षेत्र में भी आता है. पोखरडीहा मिडिल स्कूल के प्रिंसिपल संजय पांडे भी बताते हैं कि कानीकेंद और पोखरडीहा गांव के बीच एकमात्र सकरी नदी का ही फासला है. ऐसे में बच्चे इस नदी को पार करते हुए स्कूल पहुंचते हैं, बाकी मौसम में स्थिति तो ठीक रहती है, लेकिन बारिश में इन बच्चों के लिए स्कूल आना जाना चुनौती हो जाती है.

प्रखंड प्रशासन भी मानता है कि इस नदी पर पुल जरूरी है, न सिर्फ बच्चों के स्कूल आने जाने के लिए बल्कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी पुल बन जाने से लोगों को सहूलियत होगी. प्रखंड विकास पदाधिकारी वैद्यनाथ उरांव ने कहा कि पुल निर्माण के लिए कार्रवाई शुरू हो गई है. नदी पार कर बच्चों के स्कूल जाती ये तस्वीरें पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करतीं हैं. बारिश के मौसम में बच्चों के स्कूल जाते समय अगर नदी की धारा तेज़ हो जाए या तो इन बच्चों के साथ कोई हादसा भी हो सकता है.

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