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बिहार-झारखंड की सीमा पर बने समेकित चेकपोस्ट बेकार, सरकार के करोड़ों रुपये हुए बर्बाद - koderma news

बिहार- झारखंड की सीमा पर बनाया गया चेकनाका, देख- रेख की अभाव में जर्जर हो रहा है (Bihar-Jharkhand border check post become Useless). गौरतलब है कि इस चेकनाका के आधारभूत संरचना को बनाने में करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे. बिहार- झारखंड चेकनाका जर्जर हो गया.

Bihar Jharkhand border checkpost become Useless
Bihar Jharkhand border checkpost become Useless
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Published : Nov 17, 2022, 2:19 PM IST

कोडरमा: जिले के मेघातरी में बिहार- झारखंड की सीमा पर समेकित चेकनाका के लिए बनाए गए आधारभूत संरचना देखरेख के अभाव में बेकार पड़ रहे हैं (Bihar-Jharkhand border checkpost become Useless). वहीं चेकनाका के लिए बनाए गए रेस्ट रूम, अधिकारियों के बैठने की जगह और कार्यालय पर स्थानीय लोगों ने कब्जा जमाना भी शुरू कर दिया है.

यह भी पढ़ें: सरायकेला में एंट्री के 13 सीमा पर चेकनाका, ई-पास के साथ पहचान पत्र अनिवार्य

चेकपोस्ट खंडहर में तब्दील: आपको बता दें कि साल 2016 में समेकित चेकनाका के लिए यह इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया था और उसमें करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे. लेकिन साल 2017 में जीएसटी के लागू होने के बाद समेकित चेकनाका के लिए बनाया गया आधारभूत संरचना कभी अस्तित्व में आ ही नहीं सका और तो और तैयार हो जाने के 6 साल के बाद चेकनाका के लिए बनाया गया. यह इंफ्रास्ट्रक्चर अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. करोड़ों रुपए की लागत से उस समय चेकनाका का निर्माण किया गया था और यहां खनन विभाग, वन विभाग, उत्पाद विभाग, वाणिज्य कर विभाग समेत अन्य विभागों के लिए अलग-अलग कार्यालय और रेस्ट रूम के साथ कांटा घर का भी निर्माण किया गया था. लेकिन अब यह पूरी तरह से बेकार हो चुका है और इसका कोई औचित्य भी नहीं रह गया.

देखें वीडियो

कोडरमा उपायुक्त आदित्य रंजन ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद तकरीबन सभी जिलों में समेकित चेकनाका का यही हाल है. लेकिन यहां पर समेकित चेकनाका के इंफ्रास्ट्रक्चर में लोगों के रोजगार के लिए इंतजाम करने पर जिला प्रशासन विचार कर रही है ताकि इस आधारभूत संरचना का इस्तेमाल किया जा सके.

कोडरमा: जिले के मेघातरी में बिहार- झारखंड की सीमा पर समेकित चेकनाका के लिए बनाए गए आधारभूत संरचना देखरेख के अभाव में बेकार पड़ रहे हैं (Bihar-Jharkhand border checkpost become Useless). वहीं चेकनाका के लिए बनाए गए रेस्ट रूम, अधिकारियों के बैठने की जगह और कार्यालय पर स्थानीय लोगों ने कब्जा जमाना भी शुरू कर दिया है.

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चेकपोस्ट खंडहर में तब्दील: आपको बता दें कि साल 2016 में समेकित चेकनाका के लिए यह इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया था और उसमें करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे. लेकिन साल 2017 में जीएसटी के लागू होने के बाद समेकित चेकनाका के लिए बनाया गया आधारभूत संरचना कभी अस्तित्व में आ ही नहीं सका और तो और तैयार हो जाने के 6 साल के बाद चेकनाका के लिए बनाया गया. यह इंफ्रास्ट्रक्चर अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. करोड़ों रुपए की लागत से उस समय चेकनाका का निर्माण किया गया था और यहां खनन विभाग, वन विभाग, उत्पाद विभाग, वाणिज्य कर विभाग समेत अन्य विभागों के लिए अलग-अलग कार्यालय और रेस्ट रूम के साथ कांटा घर का भी निर्माण किया गया था. लेकिन अब यह पूरी तरह से बेकार हो चुका है और इसका कोई औचित्य भी नहीं रह गया.

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कोडरमा उपायुक्त आदित्य रंजन ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद तकरीबन सभी जिलों में समेकित चेकनाका का यही हाल है. लेकिन यहां पर समेकित चेकनाका के इंफ्रास्ट्रक्चर में लोगों के रोजगार के लिए इंतजाम करने पर जिला प्रशासन विचार कर रही है ताकि इस आधारभूत संरचना का इस्तेमाल किया जा सके.

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