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भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर पीएम मोदी पहुंच रहे उलिहातू, आखिर क्या खासियत है इस गांव के नाम में, यहां जानिए

बिरसा मुंडा की जयंती पर पीएम मोदी खूंटी के उलिहातू दौरे पर रहेंगे. यहां वे बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देंगे. पहली बार देश के कोई प्रधानमंत्री उलिहातू दौरे पर पहुंच रहे हैं. इसलिए इस गांव की चर्चा पूरे देश में हो रही है. लेकिन इस गांव का नाम भी बेहद खास है. क्यों और कैसे पड़ा इस गांव का नाम जानिए इस रिपोर्ट में. What is the Meaning of name Ulihatu.

What is the Meaning of name Ulihatu
What is the Meaning of name Ulihatu
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 14, 2023, 1:08 PM IST

Updated : Nov 14, 2023, 1:30 PM IST

जानकारी देते संवाददाता सोनू अंसारी

खूंटी: भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली को झारखंडवासी उलिहातू के नाम से जानते हैं, लेकिन उलिहातू का क्या मतलब है शायद कम ही लोग जानते हैं. उलिहातू का नाम कैसे पड़ा इस विषय पर बिरसा मुंडा के वंशज समेत उलिहातू के स्थानीय निवासियों ने जानकारी दी जो काफी दिलचस्प है.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी रच रहे नया इतिहास, तीसरी बार रांची में करेंगे रात्रि विश्राम, क्यों यह राज्य कहलाता था मोदी का लांचिंग पैड

पीएम मोदी भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने के लिए उलिहातू आने वाले हैं. ऐसे में पूरे देश में इस गांव की चर्चा हो रही है. ईटीवी भारत से बात करते हुए बिरसा मुंडा के वंशज और स्थानीय निवासियों ने बताया कि मुंडारी में उली मतलब आम और हातू का मतलब गांव. इन दो मुंडारी शब्दों से मिलकर उलिहातू गांव का नाम रखा गया.

स्थानीय लोगों का मानना है कि जब पहली बार यहां जंगल पहाड़ों के बीच पूर्ति गोत्र के लोग रहने आए तो यहां विशाल आम के पेड़ थे. यहीं उनके पूर्वजों ने रात गुजारा था. आम पेड़ की छत्रछाया में पहली बार यहां के उनके पूर्वजों ने शरण ली थी. इसलिए गांव का नाम उलिहातू पड़ा. कुछ लोग मानते हैं कि इस क्षेत्र में विशाल आम के पेड़ हुआ करते थे. लेकिन समय के साथ वे पेड़ कटते चले गए. आसपास आज भी कुछ आम के वृक्ष और सखुआ के पेड़ बचे हैं.

मुंडारी खुटकट्टी इलाके में गांव टोलों के नाम पेड़-पौधे, फल-फूल और पशु-पक्षियों के नाम पर रखे जाते थे, उलिहातू के आसपास के गांव हैं कंटडापीड़ी यानी कटहल का क्षेत्र, जोजोहातू यानी इमली का गांव, रुगड़ी यानी कंकड़ से भरा क्षेत्र, किताहातू यानी खजूर के पेड़ों का गांव, जानुमपीड़ी यानी कांटों से भरा क्षेत्र. इस तरह जिले के कई ऐसे गांव है जो पेड़ पौधों के नाम पर हैं. उनकी पहचान पेड़ों के नाम पर ही है. इस तरह के गांव का नामकरण प्रकृति से जुड़ा होता था.

जानकारी देते संवाददाता सोनू अंसारी

खूंटी: भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली को झारखंडवासी उलिहातू के नाम से जानते हैं, लेकिन उलिहातू का क्या मतलब है शायद कम ही लोग जानते हैं. उलिहातू का नाम कैसे पड़ा इस विषय पर बिरसा मुंडा के वंशज समेत उलिहातू के स्थानीय निवासियों ने जानकारी दी जो काफी दिलचस्प है.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी रच रहे नया इतिहास, तीसरी बार रांची में करेंगे रात्रि विश्राम, क्यों यह राज्य कहलाता था मोदी का लांचिंग पैड

पीएम मोदी भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने के लिए उलिहातू आने वाले हैं. ऐसे में पूरे देश में इस गांव की चर्चा हो रही है. ईटीवी भारत से बात करते हुए बिरसा मुंडा के वंशज और स्थानीय निवासियों ने बताया कि मुंडारी में उली मतलब आम और हातू का मतलब गांव. इन दो मुंडारी शब्दों से मिलकर उलिहातू गांव का नाम रखा गया.

स्थानीय लोगों का मानना है कि जब पहली बार यहां जंगल पहाड़ों के बीच पूर्ति गोत्र के लोग रहने आए तो यहां विशाल आम के पेड़ थे. यहीं उनके पूर्वजों ने रात गुजारा था. आम पेड़ की छत्रछाया में पहली बार यहां के उनके पूर्वजों ने शरण ली थी. इसलिए गांव का नाम उलिहातू पड़ा. कुछ लोग मानते हैं कि इस क्षेत्र में विशाल आम के पेड़ हुआ करते थे. लेकिन समय के साथ वे पेड़ कटते चले गए. आसपास आज भी कुछ आम के वृक्ष और सखुआ के पेड़ बचे हैं.

मुंडारी खुटकट्टी इलाके में गांव टोलों के नाम पेड़-पौधे, फल-फूल और पशु-पक्षियों के नाम पर रखे जाते थे, उलिहातू के आसपास के गांव हैं कंटडापीड़ी यानी कटहल का क्षेत्र, जोजोहातू यानी इमली का गांव, रुगड़ी यानी कंकड़ से भरा क्षेत्र, किताहातू यानी खजूर के पेड़ों का गांव, जानुमपीड़ी यानी कांटों से भरा क्षेत्र. इस तरह जिले के कई ऐसे गांव है जो पेड़ पौधों के नाम पर हैं. उनकी पहचान पेड़ों के नाम पर ही है. इस तरह के गांव का नामकरण प्रकृति से जुड़ा होता था.

Last Updated : Nov 14, 2023, 1:30 PM IST
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