खूंटीः हाथियों के उत्पात ने खूंटी वन-प्रमंडल क्षेत्र के ग्रामीणों का जीना मुहाल कर दिया है. घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद ग्रामीण इन दिनों यहां नक्सलियों से अधिक जंगली हाथियों से खौफ खा रहे हैं. हाथियों का खौफ इतना है कि तीन वषों के भीतर हाथियों ने 35 ग्रामीणों को कुचल कर मार डाला है, जबकि 60 ग्रामीण घायल हुए इसके अलावा 1502 ग्रामीणों की फसलों को हाथियों ने बर्बाद कर दिया. इस वर्ष की बात करें तो हाथियों ने अब तक 11 लोगों की मौत के घाट उतारा है, जबकि 12 की संख्या में ग्रामीण घायल हुए है जिसमें 466 ग्रामीणों की फसलों को हाथियों ने नुकसान पहुंचाया है.
हाथियों का झुंड वन प्रमंडल के बुंडू, तमाड़, खूंटी और अड़की इलाके को अपना ठिकाना बनाए हुए है और लगातार हाथी जान-माल का नुकसान पहुंचा रहे है. हाथियों के खौफ से ग्रामीण रतजग्गा कर अपनी जानमाल की रक्षा कर रहे हैं. हाथी ग्रामीण किसानों के घरों को तोड़ कर घर में रखे अनाज खाते हैं, साथ ही खेत में लगे गेहूं, मटर, राहर समेत अन्य फसलों को भी रौंद कर नुकसान पहुंचा रहे हैं. हाथियों के आतंक ने अड़की प्रखंड क्षेत्र के सिरकाडीह में दस से अधिक घरों को तहस-नहस कर दिया है, जिससे कई ग्रामीण बेघर हो गए हैं.
हाथी के सूचना पर वन विभाग के सदस्य जरुर पहुंचते हैं लेकिन ग्रामीणों को मुआवजा दे कर अपना पल्ला झाड़ निकल देते हैं. हाथियों को भगाने में वन विभाग को कोई दिलचस्पी नहीं है.
तमाड़ में वृद्ध महिला को कुचला
जंगली हाथी ने गुरुवार रात एक महिला को कुचल दिया जिससे घटनास्थल पर ही महिला पानो देवी की मौत हो गयी. तमाड़ थाना क्षेत्र के गांगो गांव की ये घटना है, जहां 60 वर्षीय पानो देवी अपने घर मे सोयी हुई थी और देर रात लगभग साढ़े ग्यारह-बारह बजे के करीब महिला के घर की दीवार और दरवाजे को तोड़ने जैसी आहट हुई. आहट के कारण महिला जाग गयी और अपनी जान बचाने के लिए बाहर निकल कर भागने लगी. तब हाथी ने महिला को घर के बाहर ही कुचल दिया जिससे मौके पर ही महिला की मौत हो गयी. महिला की मौत की खबर पाकर ग्रामीण जुटने लगे और वन विभाग के प्रति आक्रोश व्यक्त किया.
बता दें, कि तमाड़ थाना क्षेत्र का यह इलाका जंगलों से आच्छादित है साथ ही नक्सलियों का भी यह सेफ-जोन बन गया है. ग्रामीणों के मुताबिक लगातार हाथियों का दल इस इलाके में भ्रमणशील है, रात में हुई घटना के बाद ग्रामीणों में दहशत का माहौल बन गया है. हाथियों का आतंक इलाके में लगातार बढ़ता ही जा रहा है लेकिन वन विभाग हाथियों को भगाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे जिससे नुकसान ग्रामीणों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही. यही कारण है कि तीन वर्षों के भीतर हाथियों ने 35 ग्रामीणों को मौत के घात उतार दिया और 1502 ग्रामीणों की फसलों को रौंद डाला जबकि कई गरीब बेघर हो गए.