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खूंटी में खनन माफिया का खौफ, डरे सहमे जिंदगी बसर कर रहे ग्रामीण - खनन विभाग और पुलिस विभाग

झारखंड के खूंटी जिले में बालू माफिया का खनन बेखौफ जारी है. माफिया के खौफ से ग्रामीण तक विरोध करने से डर रहे हैं. माफिया नदी से बालू का अवैध खनन कर सरकार के हर साल के करोड़ों के राजस्व पर डाका डाल रहे हैं, लेकिन सरकारी सिस्टम ने भी इस पर अभी तक कोई रुख नहीं लिया है.

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माफियाओं का खौफ
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Published : Jan 2, 2021, 11:54 AM IST

खूंटी: झारखंड में अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है और उन पर रोक लगाने वालों को मौत की सजा मुनासिब होती है. अवैध खनन के बदले मिलता है सजा-ए-मौत. मामला जिले के तोरपा प्रखंड अंतर्गत कारो नदी से जुड़ा है, जहां माफिया नदी से बालू का अवैध खनन कर करोड़ों रुपए के राजस्व पर डाका डाल रहे हैं. इस डाके में आधे से ज्यादा सरकार के ही सिस्टम का सहयोग है. पिछले एक दशक से माफिया बेखौफ होकर कारो नदी से अवैध खनन कर रहे है, लेकिन इस पर अंकुश लगाने को लेकर प्रशासन भी बेखबर है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- हजारीबाग में अवैध कोयला तस्करों के खिलाफ कार्रवाई, अवैध खदानों की हुई डोजरिंग

अवैध खनन से नदियों का हो रहा नुकसान

अवैध खनन के कारण क्षेत्र की नदियों का जलस्तर काफी गिर गया है. साथ ही नदियों पर बने पुल पुलिया अब टूटने के कगार पर हैं. अवैध खनन को रोकने की न किसी में हिम्मत है, और न ही किसी को परवाह. अगर किसी ने हिम्मत जुटाकर विरोध कर भी दिया तो उसे मौत मिलती है, जिसके कारण ग्रामीण माफियाओं के खौफ में जीते हैं.

ईटीवी भारत ने ग्रामीणों से की बात

ईटीवी भारत की टीम ने इस बारे में ग्रामीणों से बात की. उन्होंने बताया कि माफिया की वजह से लोग डरे हुए हैं. खूंटी से कर्रा तोरपा प्रखंड अंतर्गत लगभग दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां के ग्रामीण खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं. खौफ किसी भूत या नक्सली से बल्कि अवैध खनन करने वाले माफिया से हैं.

बेबस और लाचार सिस्टम पर भरोसा नहीं करते ग्रामीण

तोरपा प्रखंड क्षेत्र के उकड़ीमाड़ी, गीडुम, टाटी,एरेमेरे, सायसेरा, सोसो, जोगीसोसो, डोभीसोसो, निधिया सहित आसपास के गांव के सैकड़ों ग्रामीण अवैध खनन करने वालों से डरते हैं. वे किसी से अपने दर्द भी बयां नही कर सकते हैं, क्योंकि इन इलाकों में माफिया की हुकूमत चलती है. यही कारण है कि ग्रामीण सरकार के लाचार सिस्टम पर भरोसा नही करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि वो इस बेबस और लाचार सिस्टम पर भरोसा नहीं करते क्योंकि किसी ने उनकी परेशानियों पर कोई रुख नहीं लिया. उन्होंने बताया कि चाहे कुछ भी हो जाए पर हम अवैध खनन का विरोध नहीं करेंगें.

बालू ढुलाई के कारण सड़क हुए जर्जर

कर्रा से उकड़ीमाड़ी होते हुए गिडुम से कारो नदी की दूरी लगभग 30 किमी है. निधिया से गिडुम की दूरी लगभग 20 किमी है, लेकिन सफर जोखिमों से भरा है. सड़कें इतनी जर्जर हालात में हैं कि सफर करने वालों की जान पर बन आए. खनन माफिया दिन में नदी से अवैध बालू निकालते हैं और जंगलों के बीचोंबीच डंप करते हैं. देर रात इन्ही सड़कों से बालू निकालकर रांची सहित आसपास के जिलों में बेचने का धंधा करते हैं. इन सड़कों पर रात में चलना मानो मौत को दावत देना है. सड़कों पर अवैध बालू ढुलाई के कारण सड़क पूरी तरह जर्जर हो चुकी है.

विरोध करने पर मिलती है सजा-ए-मौत

जिले के खनन विभाग और पुलिस विभाग से शिकायत करने के बावजूद भी अधिकारियों के कानों में जू तक नही रेंगती. ग्रामीण खुल कर अवैध खनन माफिया का विरोध भी नहीं कर पाते है. 2013 में एक युवक का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी. वह युवक गिडुम गांव का रहने वाला था और उसने माफिया को खनन करने के लिए रोका था. आज भी उस युवक के माता पिता अपने बेटे को याद कर रो देते हैं और इस दंपती की पीड़ा देख ग्रामीण खामोश रहते हैं.

जनप्रतिनिधि से लगाई गुहार
जिला प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधि से भी अवैध खनन रोकने को लेकर गुहार लगाई है, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार की पहल की, लेकिन माफिया ने उसे भी ठुकरा दिया. अब न कोई ग्रामीण खुलकर बोल पाते हैं और न ही वहां के जनप्रतिनिधि. ग्रामीण जर्जर सड़क पर चलने को मजबूर हैं और जिला प्रशासन को कोसते रहते हैं. पर अब लोगों को सरकार और सिस्टम से कोई आस नहीं रही.

खूंटी: झारखंड में अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है और उन पर रोक लगाने वालों को मौत की सजा मुनासिब होती है. अवैध खनन के बदले मिलता है सजा-ए-मौत. मामला जिले के तोरपा प्रखंड अंतर्गत कारो नदी से जुड़ा है, जहां माफिया नदी से बालू का अवैध खनन कर करोड़ों रुपए के राजस्व पर डाका डाल रहे हैं. इस डाके में आधे से ज्यादा सरकार के ही सिस्टम का सहयोग है. पिछले एक दशक से माफिया बेखौफ होकर कारो नदी से अवैध खनन कर रहे है, लेकिन इस पर अंकुश लगाने को लेकर प्रशासन भी बेखबर है.

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अवैध खनन से नदियों का हो रहा नुकसान

अवैध खनन के कारण क्षेत्र की नदियों का जलस्तर काफी गिर गया है. साथ ही नदियों पर बने पुल पुलिया अब टूटने के कगार पर हैं. अवैध खनन को रोकने की न किसी में हिम्मत है, और न ही किसी को परवाह. अगर किसी ने हिम्मत जुटाकर विरोध कर भी दिया तो उसे मौत मिलती है, जिसके कारण ग्रामीण माफियाओं के खौफ में जीते हैं.

ईटीवी भारत ने ग्रामीणों से की बात

ईटीवी भारत की टीम ने इस बारे में ग्रामीणों से बात की. उन्होंने बताया कि माफिया की वजह से लोग डरे हुए हैं. खूंटी से कर्रा तोरपा प्रखंड अंतर्गत लगभग दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां के ग्रामीण खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं. खौफ किसी भूत या नक्सली से बल्कि अवैध खनन करने वाले माफिया से हैं.

बेबस और लाचार सिस्टम पर भरोसा नहीं करते ग्रामीण

तोरपा प्रखंड क्षेत्र के उकड़ीमाड़ी, गीडुम, टाटी,एरेमेरे, सायसेरा, सोसो, जोगीसोसो, डोभीसोसो, निधिया सहित आसपास के गांव के सैकड़ों ग्रामीण अवैध खनन करने वालों से डरते हैं. वे किसी से अपने दर्द भी बयां नही कर सकते हैं, क्योंकि इन इलाकों में माफिया की हुकूमत चलती है. यही कारण है कि ग्रामीण सरकार के लाचार सिस्टम पर भरोसा नही करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि वो इस बेबस और लाचार सिस्टम पर भरोसा नहीं करते क्योंकि किसी ने उनकी परेशानियों पर कोई रुख नहीं लिया. उन्होंने बताया कि चाहे कुछ भी हो जाए पर हम अवैध खनन का विरोध नहीं करेंगें.

बालू ढुलाई के कारण सड़क हुए जर्जर

कर्रा से उकड़ीमाड़ी होते हुए गिडुम से कारो नदी की दूरी लगभग 30 किमी है. निधिया से गिडुम की दूरी लगभग 20 किमी है, लेकिन सफर जोखिमों से भरा है. सड़कें इतनी जर्जर हालात में हैं कि सफर करने वालों की जान पर बन आए. खनन माफिया दिन में नदी से अवैध बालू निकालते हैं और जंगलों के बीचोंबीच डंप करते हैं. देर रात इन्ही सड़कों से बालू निकालकर रांची सहित आसपास के जिलों में बेचने का धंधा करते हैं. इन सड़कों पर रात में चलना मानो मौत को दावत देना है. सड़कों पर अवैध बालू ढुलाई के कारण सड़क पूरी तरह जर्जर हो चुकी है.

विरोध करने पर मिलती है सजा-ए-मौत

जिले के खनन विभाग और पुलिस विभाग से शिकायत करने के बावजूद भी अधिकारियों के कानों में जू तक नही रेंगती. ग्रामीण खुल कर अवैध खनन माफिया का विरोध भी नहीं कर पाते है. 2013 में एक युवक का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी. वह युवक गिडुम गांव का रहने वाला था और उसने माफिया को खनन करने के लिए रोका था. आज भी उस युवक के माता पिता अपने बेटे को याद कर रो देते हैं और इस दंपती की पीड़ा देख ग्रामीण खामोश रहते हैं.

जनप्रतिनिधि से लगाई गुहार
जिला प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधि से भी अवैध खनन रोकने को लेकर गुहार लगाई है, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार की पहल की, लेकिन माफिया ने उसे भी ठुकरा दिया. अब न कोई ग्रामीण खुलकर बोल पाते हैं और न ही वहां के जनप्रतिनिधि. ग्रामीण जर्जर सड़क पर चलने को मजबूर हैं और जिला प्रशासन को कोसते रहते हैं. पर अब लोगों को सरकार और सिस्टम से कोई आस नहीं रही.

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