ETV Bharat / state

मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की जयंतीः खूंटी में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने अर्पित किए श्रद्धा सुमन

खूंटी में जयपाल सिंह मुंडा की जयंती मनाई गयी (Jaipal Singh Munda Birth anniversary in Khunti). इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने जयपाल सिंह मुंडा के पैतृक गांव टकरा में मरांग गोमके की समाधि स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित की. इस मौके पर उन्होंने हॉकी खिलाड़ियों के बीच किट का भी वितरण किया.

Union Minister Arjun Munda paid tribute to Marang Gomke Jaipal Singh Munda in Khunti
खूंटी में मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की जयंती पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने श्रद्धांजलि दी
author img

By

Published : Jan 3, 2023, 4:47 PM IST

देखें वीडियो

खूंटीः भारत को ओलंपिक में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले हॉकी टीम के कप्तान, संविधान सभा के सदस्य, महान राजनीतिज्ञ, झारखंड राज्य के स्वप्नद्रष्टा, गुलाम भारत के पहले आदिवासी आईसीएस ऑफिसर, आदिवासी जन नायक मरांग गोमके के नाम से प्रसिद्ध जयपाल सिंह की जयंती मनाई जा रही है (Jaipal Singh Munda Birth anniversary in Khunti). इस मौके पर पूरा राज्य उन्हें याद कर रहा है.

Union Minister Arjun Munda paid tribute to Marang Gomke Jaipal Singh Munda in Khunti
मरांग गोमके की समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित करते अर्जुन मुंडा

इसे भी पढ़ें- जयपाल सिंह मुंडा की जयंती पर खूंटी आ रहे केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, हॉकी मैच का हो रहा आयोजन

जयपाल सिंह मुंडा की जयंती के इस पावन अवसर पर जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री सह खूंटी सांसद अर्जुन मुंडा ने उनके पैतृक गांव टकरा पहुंचे (Union Minister Arjun Munda in Khunti). केंद्रीय मंत्री मरांग गोमके की समाधि स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित की (Minister Arjun Munda paid tribute to Marang Gomke). इसी क्रम में उन्होंने मारंग गोमके की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया. साथ ही केंद्रीय मंत्री ने ग्रामीणों से मुलाकात करके वहां की वस्तुस्थिति से अवगत हुए. इसके बाद गांव में विभिन्न टीमों के बीच आयोजित हॉकी मैच का उद्घाटन किया.

Union Minister Arjun Munda paid tribute to Marang Gomke Jaipal Singh Munda in Khunti
हॉकी खिलाड़ियों को किट देते केंद्रीय मंत्री


खूंटी में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा इस सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हॉकी मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा का प्रिय खेल रहा है. जिन्होंने देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी को विदेश में पहचान दिलाई. उनकी याद में जनजातीय मंत्रालय के माध्यम से निर्माणाधीन सभी आवासीय विद्यालयों में चार-चार मैदान बनाने का योजना है, जिससे हॉकी, फुटबॉल, आर्चरी, एथलेटिक्स समेत अन्य खेलों को बढ़ावा दिया जाएगा. हॉकी में जिस तरह देश का नाम रोशन हुआ उसी तरह फुटबॉल, एथलेटिक्स और तीरंदाजी में भी यहां के खिलाड़ी अपना परचम लहरायेंगे.

जयपाल सिंह मुंडा से मरांग गोमके तक का सफरः आदिवासियों के सर्वोच्च नेता हैं जयपाल सिंह मुंडा. उनका वास्तविक नाम ईश्वर दास जयपाल सिंह है. उन्होंने आदिवासियों की हालत में सुधार के लिए काफी कुछ किया. उनके किए गए कार्यों की वजह से ही उन्हें मरांग गोमके कहा गया. जयपाल सिंह मुंडा का जन्म खूंटी के टकरा में 3 जनवरी 1903 को हुआ था. वो बहुमुल्य प्रतिभा के धनी थे. वो एक राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक, संपादक, शिक्षाविद और खिलाड़ी थे. उनकी कप्तानी में ही 1928 में भारत ने ओलंपिक में हॉकी का पहला गोल्ड मेडल जीता. ऑक्सफोर्ड ब्लू का खिताब पाने वाले वे हॉकी के एकमात्र खिलाड़ी थे, यह उपाधि उन्हें 1925 में मिली. जयपाल सिंह मुंडा का चयन आईसीएस में हुआ था. हालांकि उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी नहीं की. 1938 में वो आदिवासी महासभा के अध्यक्ष बने. वहीं से उन्होंने झारखंड अलग राज्य की मांग की. वो हर जगह आदिवासियों की आवाज बनकर सामने आये. आदिवासियों के हित में उन्होंने अपनी बातें सकारात्मक ढंग से सबके सामने रखी.

जयपाल सिंह मुंडा का सियासी सफरः 1952 में जयपाल सिंह मुंडा लोकसभा चुनाव जीतकर खूंटी से सांसद बने. उनकी पार्टी, झारखंड पार्टी ने बिहार विधानसभा में 34 सीट और लोकसभा में 5 सीट जीतकर बेहतर प्रदर्शन किया. जीवनभर उन्होंने आदिवासियों के उत्थान के लिए काम किया. उन्होंने 1938-39 में अखिल भारतीय आदिवासी महासभा का गठन कर आदिवासियों के हक की आवाज बुलंद की थी. 1950 में उन्होंने झारखंड पार्टी का गठन किया था तब एकीकृत बिहार हुआ करता था और उस वक्त झारखंड पार्टी से तीन सांसद और 34 विधायक जीते थे. खुद जयपाल सिंह मुंडा तीन बार लोकसभा का चुनाव जीते थे और 1963 में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करा दिया था.

संविधान सभा में यादगार भाषणः संविधान सभा में दिए गए जयपाल सिंह मुंडा के भाषण को हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि पिछले छह हजार साल से अगर इस देश में किसी का शोषण हुआ है तो वे आदिवासी ही हैं. उन्हें मैदानों से खदेड़कर जंगलों में धकेल दिया गया. हर तरह से प्रताड़ित किया गया, लेकिन अब जब भारत अपने इतिहास में एक नया अध्याय शुरू कर रहा है तो हमें अवसरों की समानता मिलनी चाहिए. जयपाल सिंह मुंडा की पहल पर ही संविधान सभा को आदिवासियों के बारे में सोचने पर मजबूर होना पड़ा. इसका नतीजा यह निकला कि 400 आदिवासी समूहों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला.

देखें वीडियो

खूंटीः भारत को ओलंपिक में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले हॉकी टीम के कप्तान, संविधान सभा के सदस्य, महान राजनीतिज्ञ, झारखंड राज्य के स्वप्नद्रष्टा, गुलाम भारत के पहले आदिवासी आईसीएस ऑफिसर, आदिवासी जन नायक मरांग गोमके के नाम से प्रसिद्ध जयपाल सिंह की जयंती मनाई जा रही है (Jaipal Singh Munda Birth anniversary in Khunti). इस मौके पर पूरा राज्य उन्हें याद कर रहा है.

Union Minister Arjun Munda paid tribute to Marang Gomke Jaipal Singh Munda in Khunti
मरांग गोमके की समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित करते अर्जुन मुंडा

इसे भी पढ़ें- जयपाल सिंह मुंडा की जयंती पर खूंटी आ रहे केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, हॉकी मैच का हो रहा आयोजन

जयपाल सिंह मुंडा की जयंती के इस पावन अवसर पर जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री सह खूंटी सांसद अर्जुन मुंडा ने उनके पैतृक गांव टकरा पहुंचे (Union Minister Arjun Munda in Khunti). केंद्रीय मंत्री मरांग गोमके की समाधि स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित की (Minister Arjun Munda paid tribute to Marang Gomke). इसी क्रम में उन्होंने मारंग गोमके की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया. साथ ही केंद्रीय मंत्री ने ग्रामीणों से मुलाकात करके वहां की वस्तुस्थिति से अवगत हुए. इसके बाद गांव में विभिन्न टीमों के बीच आयोजित हॉकी मैच का उद्घाटन किया.

Union Minister Arjun Munda paid tribute to Marang Gomke Jaipal Singh Munda in Khunti
हॉकी खिलाड़ियों को किट देते केंद्रीय मंत्री


खूंटी में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा इस सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हॉकी मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा का प्रिय खेल रहा है. जिन्होंने देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी को विदेश में पहचान दिलाई. उनकी याद में जनजातीय मंत्रालय के माध्यम से निर्माणाधीन सभी आवासीय विद्यालयों में चार-चार मैदान बनाने का योजना है, जिससे हॉकी, फुटबॉल, आर्चरी, एथलेटिक्स समेत अन्य खेलों को बढ़ावा दिया जाएगा. हॉकी में जिस तरह देश का नाम रोशन हुआ उसी तरह फुटबॉल, एथलेटिक्स और तीरंदाजी में भी यहां के खिलाड़ी अपना परचम लहरायेंगे.

जयपाल सिंह मुंडा से मरांग गोमके तक का सफरः आदिवासियों के सर्वोच्च नेता हैं जयपाल सिंह मुंडा. उनका वास्तविक नाम ईश्वर दास जयपाल सिंह है. उन्होंने आदिवासियों की हालत में सुधार के लिए काफी कुछ किया. उनके किए गए कार्यों की वजह से ही उन्हें मरांग गोमके कहा गया. जयपाल सिंह मुंडा का जन्म खूंटी के टकरा में 3 जनवरी 1903 को हुआ था. वो बहुमुल्य प्रतिभा के धनी थे. वो एक राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक, संपादक, शिक्षाविद और खिलाड़ी थे. उनकी कप्तानी में ही 1928 में भारत ने ओलंपिक में हॉकी का पहला गोल्ड मेडल जीता. ऑक्सफोर्ड ब्लू का खिताब पाने वाले वे हॉकी के एकमात्र खिलाड़ी थे, यह उपाधि उन्हें 1925 में मिली. जयपाल सिंह मुंडा का चयन आईसीएस में हुआ था. हालांकि उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी नहीं की. 1938 में वो आदिवासी महासभा के अध्यक्ष बने. वहीं से उन्होंने झारखंड अलग राज्य की मांग की. वो हर जगह आदिवासियों की आवाज बनकर सामने आये. आदिवासियों के हित में उन्होंने अपनी बातें सकारात्मक ढंग से सबके सामने रखी.

जयपाल सिंह मुंडा का सियासी सफरः 1952 में जयपाल सिंह मुंडा लोकसभा चुनाव जीतकर खूंटी से सांसद बने. उनकी पार्टी, झारखंड पार्टी ने बिहार विधानसभा में 34 सीट और लोकसभा में 5 सीट जीतकर बेहतर प्रदर्शन किया. जीवनभर उन्होंने आदिवासियों के उत्थान के लिए काम किया. उन्होंने 1938-39 में अखिल भारतीय आदिवासी महासभा का गठन कर आदिवासियों के हक की आवाज बुलंद की थी. 1950 में उन्होंने झारखंड पार्टी का गठन किया था तब एकीकृत बिहार हुआ करता था और उस वक्त झारखंड पार्टी से तीन सांसद और 34 विधायक जीते थे. खुद जयपाल सिंह मुंडा तीन बार लोकसभा का चुनाव जीते थे और 1963 में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करा दिया था.

संविधान सभा में यादगार भाषणः संविधान सभा में दिए गए जयपाल सिंह मुंडा के भाषण को हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि पिछले छह हजार साल से अगर इस देश में किसी का शोषण हुआ है तो वे आदिवासी ही हैं. उन्हें मैदानों से खदेड़कर जंगलों में धकेल दिया गया. हर तरह से प्रताड़ित किया गया, लेकिन अब जब भारत अपने इतिहास में एक नया अध्याय शुरू कर रहा है तो हमें अवसरों की समानता मिलनी चाहिए. जयपाल सिंह मुंडा की पहल पर ही संविधान सभा को आदिवासियों के बारे में सोचने पर मजबूर होना पड़ा. इसका नतीजा यह निकला कि 400 आदिवासी समूहों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला.

For All Latest Updates

TAGGED:

Khunti news
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.