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Protest In Khunti: समान नागरिक संहिता के खिलाफ खूंटी में आदिवासी संगठनों ने किया विरोध-प्रदर्शन, केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी - खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा

वन नेशन-वन लॉ के खिलाफ आदिवासी संगठनों ने खूंटी में प्रदर्शन का बिगुल फूंक दिया है. आदिवासियों का कहना है कि आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति अलग है. ऐसे में समान नागरिक संहिता आदिवासियों पर लागू करना गलत है. आदिवासियों ने केंद्र सरकार से समान नागरिक संहिता को वापस लेने की मांग की है.

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Tribal Protested Against Uniform Civil Code
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Published : Jul 11, 2023, 8:41 PM IST

खूंटीः समान नागरिक संहिता के विरोध में खूंटी में आदिवासी संगठनों ने खूंटी में प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में शामिल लोगों ने यूसीसी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके पूर्व आदिवासी समुदाय के लोगों ने पतरा मैदान में सभा की. सभा करने के बाद डीएवी स्कूल होते हुए रांची-खूंटी मुख्य मार्ग पर रैली निकाली. जिसमें केंद्रीय सरना संगोम समिति की दुर्गावती ओड़ेया, सनिका टूटी, मुंशी मुंडा, जयलाल मुंडा, बुधराम मुंडा और उदय मुंडा शामिल थे.

ये भी पढ़ें-खूंटी में डायन-बिसाही के मामले में आठ वर्षों में 43 लोगों की हत्या, पुलिस अंधविश्वास के खिलाफ चला रही जागरुकता अभियान

पेशाब कांड पर आदिवासी मंत्रियों और नेताओं के चुप्पी साधने पर जताई नाराजगीः समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहे आदिवासी नेताओं ने पेशाब कांड मामले को लेकर भी केंद्र सरकार और केंद्र में आदिवासी मंत्री अर्जुन मुंडा, खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भी मोदी सरकार का हितैशी बताया. आदिवासी नेताओं ने कहा केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा एमपी में एक आदिवासी युवक पर हुए पेशाब कांड में भी चुप्पी साधे बैठे हैं. आदिवासी सांसद सह मंत्री होने के नाते उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. यह उनके आदिवासी होने पर सवाल पैदा करता है.

केंद्र सरकार से समान नागरिक संहिता वापस लेने की मांगः वहीं दयामनी बारला ने यूसीसी मामले पर आदिवासी विधायकों, सांसदों और भाजपा के नए प्रदेश अध्य्क्ष बाबूलाल मरांडी पर भी यूसीसी मामले पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया और कहा कि जब तक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार समान नागरिक संहिता को वापस नहीं ले लेती है, तब तक आदिवासी संगठन चुप नहीं बैठेंगे. विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा. भगवान बिरसा मुंडा की धरती से यूसीसी के विरुद्ध बिगुल फूंका गया है. यह विरोध-प्रदर्शन पूरे राज्य और देश में जारी रहेगा.

यूसीसी के खिलाफ आदिवासी हुए गोलबंदः विरोध-प्रदर्शन की अगुवाई कर रही खूंटी की दुर्गावती ओड़ेया और प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि केंद्र सरकार को समझना होगा कि ये भगवान बिरसा मुंडा की पावन धरती है और यहां से यूसीसी के खिलाफ आदिवासी गोलबंद होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. यह आवाज बेकार नहीं जाएगी. आदिवासी यूसीसी को देश में लागू होने नहीं देंगे. केंद्र सरकार को हर हाल में समान नागरिक संहिता वापस लेना ही होगा. वहीं रैली के दौरान आदिवासियों ने केंद्र सरकार होश में आओ, अत्याचारी बीजेपी हाय-हाय, आदिवासियों की इज्जत करो, यूसीसी आदिवासियों में नहीं चलेगा, समान नागरिक संहिता आदिवासियों में नहीं चलेगा, अर्जुन मुंडा चुप्पी तोड़ो, नीलकंठ सिंह मुंडा चुप्पी तोड़ो, एक तीर एक कमान सभी आदिवासी एक समान ..आदि नारे लगाए.

आदिवासियों की अलग परंपरा और संस्कृतिः वहीं सामाजिक संगठनों से जुड़ी दयामनी बारला ने कहा कि देश के संविधान में सभी धर्म और मजहब को समान अधिकार दिया गया है. आदिवासियों का जंगल, जमीन पर सामूहिक अधिकार होता है. आदिवासी समाज की अपनी सामुदायिक परंपरा और संस्कृति है जिसे "वन नेशन-वन लॉ " के दायरे में रखना अनुचित है. आदिवासी संगठन यूसीसी का पुरजोर विरोध करता है. उन्होंने कहा कि देश के सभी शीर्ष पदों पर आदिवासी पदस्थापित हैं. देश की राष्ट्रपति आदिवासी हैं, जनजातीय मामलों के केंद्रीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा और स्थानीय विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा भी आदिवासी हैं, लेकिन इन्हें आदिवासी मसलों से कोई लेना-देना नहीं है.

ये भी पढ़ें-Khunti News: मानव तस्करी की शिकार बच्ची का 19 साल बाद रेस्क्यू, नोएडा से करायी गयी मुक्त

देशभर में जारी रहेगा यूसीसी के खिलाफ आदिवासियों का आंदोलनः वहीं दयामनी बारला ने यूसीसी मामले पर आदिवासी विधायकों, सांसदों और भाजपा के नए प्रदेश अध्य्क्ष बाबूलाल मरांडी पर भी यूसीसी मामले पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया है. कहा कि जब तक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार समान नागरिक संहिता को वापस नहीं लेती है, तब तक आदिवासी संगठन चुप नहीं बैठेंगे. विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा. भगवान बिरसा मुंडा की धरती से यूसीसी के विरुद्ध बिगुल फूंका गया है, यह पूरे राज्य और देश में जारी रहेगा.

खूंटीः समान नागरिक संहिता के विरोध में खूंटी में आदिवासी संगठनों ने खूंटी में प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में शामिल लोगों ने यूसीसी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके पूर्व आदिवासी समुदाय के लोगों ने पतरा मैदान में सभा की. सभा करने के बाद डीएवी स्कूल होते हुए रांची-खूंटी मुख्य मार्ग पर रैली निकाली. जिसमें केंद्रीय सरना संगोम समिति की दुर्गावती ओड़ेया, सनिका टूटी, मुंशी मुंडा, जयलाल मुंडा, बुधराम मुंडा और उदय मुंडा शामिल थे.

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पेशाब कांड पर आदिवासी मंत्रियों और नेताओं के चुप्पी साधने पर जताई नाराजगीः समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहे आदिवासी नेताओं ने पेशाब कांड मामले को लेकर भी केंद्र सरकार और केंद्र में आदिवासी मंत्री अर्जुन मुंडा, खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भी मोदी सरकार का हितैशी बताया. आदिवासी नेताओं ने कहा केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा एमपी में एक आदिवासी युवक पर हुए पेशाब कांड में भी चुप्पी साधे बैठे हैं. आदिवासी सांसद सह मंत्री होने के नाते उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. यह उनके आदिवासी होने पर सवाल पैदा करता है.

केंद्र सरकार से समान नागरिक संहिता वापस लेने की मांगः वहीं दयामनी बारला ने यूसीसी मामले पर आदिवासी विधायकों, सांसदों और भाजपा के नए प्रदेश अध्य्क्ष बाबूलाल मरांडी पर भी यूसीसी मामले पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया और कहा कि जब तक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार समान नागरिक संहिता को वापस नहीं ले लेती है, तब तक आदिवासी संगठन चुप नहीं बैठेंगे. विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा. भगवान बिरसा मुंडा की धरती से यूसीसी के विरुद्ध बिगुल फूंका गया है. यह विरोध-प्रदर्शन पूरे राज्य और देश में जारी रहेगा.

यूसीसी के खिलाफ आदिवासी हुए गोलबंदः विरोध-प्रदर्शन की अगुवाई कर रही खूंटी की दुर्गावती ओड़ेया और प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि केंद्र सरकार को समझना होगा कि ये भगवान बिरसा मुंडा की पावन धरती है और यहां से यूसीसी के खिलाफ आदिवासी गोलबंद होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. यह आवाज बेकार नहीं जाएगी. आदिवासी यूसीसी को देश में लागू होने नहीं देंगे. केंद्र सरकार को हर हाल में समान नागरिक संहिता वापस लेना ही होगा. वहीं रैली के दौरान आदिवासियों ने केंद्र सरकार होश में आओ, अत्याचारी बीजेपी हाय-हाय, आदिवासियों की इज्जत करो, यूसीसी आदिवासियों में नहीं चलेगा, समान नागरिक संहिता आदिवासियों में नहीं चलेगा, अर्जुन मुंडा चुप्पी तोड़ो, नीलकंठ सिंह मुंडा चुप्पी तोड़ो, एक तीर एक कमान सभी आदिवासी एक समान ..आदि नारे लगाए.

आदिवासियों की अलग परंपरा और संस्कृतिः वहीं सामाजिक संगठनों से जुड़ी दयामनी बारला ने कहा कि देश के संविधान में सभी धर्म और मजहब को समान अधिकार दिया गया है. आदिवासियों का जंगल, जमीन पर सामूहिक अधिकार होता है. आदिवासी समाज की अपनी सामुदायिक परंपरा और संस्कृति है जिसे "वन नेशन-वन लॉ " के दायरे में रखना अनुचित है. आदिवासी संगठन यूसीसी का पुरजोर विरोध करता है. उन्होंने कहा कि देश के सभी शीर्ष पदों पर आदिवासी पदस्थापित हैं. देश की राष्ट्रपति आदिवासी हैं, जनजातीय मामलों के केंद्रीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा और स्थानीय विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा भी आदिवासी हैं, लेकिन इन्हें आदिवासी मसलों से कोई लेना-देना नहीं है.

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