खूंटी: आदिवासियों के पारंपरिक व्यंजनों में एक है पीठा रोटी. जिले की चार महिलाओं ने मिलकर पीठा रोटी का व्यापार शुरू किया और आज पीठा रोटी की डिमांड जिले में बढ़ गई है. शहर से लेकर गांव तक पीठा रोटी की डिमांड है. जिसके लिए इन महिलाओं ने आजीविका दीदी कैंटीन बनाया है. ऑर्डर के अनुसार ये दो दीदियां डिलीवरी का काम करती हैं, जबकि एक दीदी कैंटीन का काम संभालती है.
ये भी पढ़ें: कभी रेजा का काम करती थी शोभा, आज रोजगार दीदी से होती है पहचान
आजीविका दीदी कैंटीन में जेएसएलपीएस की तुलसी महिला मंडल से जुड़ी चार दीदियां झारखंड के पांरपरिक व्यंजन पीठा बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं. चावल, चना दाल, मूंग दाल, उरद दाल, खोवा का पीठा बनाकर अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने में जुटी हैं. इनका कहना है कि नाश्ते और भोजन का उत्तम प्रबंध होने के कारण अब 10 से 15 किलोमीटर दूरी से भी आर्डर आने लगे हैं. आजीविका दीदियों द्वारा चलाये जा रहे दीदी कैंटीन लोगों को खूब भा रहा है.
आजीविका दीदियों ने जब से झारखंड के पारंपरिक व्यंजन का व्यवसाय शुरु किया है इनकी पैसों की तंगी खत्म हो गई है. तुलसी महिला मंडल से जुड़ी सरिता देवी कहती हैं कि चावल दाल से बने पीठा का जायका लेना हो तो आप खूंटी बाजारटांड़ के पलाश मार्ट स्थित आजीविका दीदी कैंटीन आ सकते हैं. यहां मात्र 20 रुपये प्लेट में पीठा खाकर आपका मन तृप्त हो जाएगा. वे कहती हैं कि पीठा से लोगों की सेहत पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है. इसलिए ये लोगों को ये काफी पंसद आता है. इन महिलाओं का कहना है कि आलूचाप, पकौड़ी, कचरी, धुसका, समोसा तो हर जगह मिलता है, लेकिन बगैर तेल के भाप से पका पीठा खूंटी के बाजारटांड़ स्थित पलाश मार्ट के आजीविका दीदी कैंटीन में ही मिलेगा.