खूंटी: राजधानी रांची से महज 40 किलोमीटर दूर खूंटी जिले के कूदा गांव में दिलदहला देने वाली वारदात हुई है. यहां अंधविश्वास के नाम पर एक ही परिवार के 3 लोगों की गला काटकर हत्या कर दी गई. करीब दो दर्जन आरोपियों ने पति-पत्नी और बेटी को अपहरण के बाद दर्दनाक तरीके से मारकर शव को दफना दिया. पुलिस ने इस मामले में 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और बाकी आरोपियों की तलाश की जा रही है.
क्या है पूरा मामला
आठ अक्टूबर की रात दर्जनभर लोग बिरसा मुंडा के घर पहुंच थे. इन लोगों ने बिरसा मुंडा, उसकी पत्नी सुकरू पूर्ति और बेटी सोमवारी पूर्ति का अपहरण कर लिया. इसके बाद बिरसा मुंडा की विवाहिता बड़ी बेटी जब अपने ससुराल से मायके कूदा गांव पहुंची तो घर का दरवाजा खुला था, सामान बिखरा था और परिवार के लोग गायब थे. उसने 12 अक्टूबर को सायको थाना में परिजनों के लापता होने की एफआईआर दर्ज करवाई. बिरसा की बड़ी बेटी ने बताया कि गांव के ही रहने वाले सोमा मुंडा, विश्राम मुंडा और रघु मुंडा से जमीन विवाद चल रहा था. आरोपियों ने उसकी मां को डायन करार देते हुए विवाद खड़ा कर दिया था. पुलिस ने जांच शुरू की तो 28 अक्टूबर को बिरसा मुंडा, सुकरू पूर्ति और सोमवारी पूर्ति की लाश बरामद हुई.
ये भी पढ़ें-गिरिडीह के पुलिस लाइन में जवान ने की आत्महत्या, अफसरों ने ली घटना की जानकारी
कैसे हुआ हत्या का खुलासा
पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने ईटीवी भारत को बताया कि लापता बिरसा मुंडा, सुकरू पूर्ति और सोमवारी पूर्ति की तलाश के लिए विशेष टीम बनाई गई थी. पुलिस ने नामजद तीनों आरोपियों सोमा मुंडा, विश्राम मुंडा और रघु मुंडा को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उन्होंने हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. आरोपियों ने कहा कि मां, बेटी और उसके पिता डायन थे इसलिए सभी की गला काटकर हत्या कर दी. डीएसपी आशीष कुमार महली ने कहा कि आरोपियों ने पहचान छिपाने के लिए तीनों के सिर काट दिए और राबा नदी के झरने में गड्ढा कर शव छिपा दिया. इस अपराध में शामिल आरोपी ओझा और बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.
अंधविश्वास से जूझता झारखंड
झारखंड में डायन और जादू-टोना के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित करने का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा. झारखंड में अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहराई तक समा चुकी हैं कि लोग महिलाओं के साथ पूरे परिवार की हत्या करने से भी नहीं हिचकिचाते. अंधविश्वास के नाम पर मारपीट, धमकी और सामाजिक बहिष्कार तो आम बात है. साल 1990 से 2000 के दौरान झारखंड में डायन के नाम पर 522 महिलाओं की निर्मम हत्या की गई थी. झारखंड अलग राज्य बनने का बाद डायन के नाम पर होने वाली घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. साल 2000 से 2019 के आंकड़ों के अनुसार 1800 महिलाएं मार दी गई हैं. इसमें सबसे ज्यादा मामले चाईबासा और सरायकेला के हैं, जहां कुल 233 महिलाओं की हत्या कर दी गई. साल 2020 में 31 जुलाई तक झारखंड में डायन बिसाही के नाम पर प्रताड़ना के 18 मामले सामने आए हैं जबकि इन मामलों में 6 लोगों की हत्या कर दी गई है.
क्या कहता है कानून
झारखंड में अंधविश्वास के खात्मे के लिए 3 जुलाई 2001 को डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम लागू किया गया. इसके अनुसार किसी महिला को डायन कहने या समाज को उकसाने वाले को तीन महीने की जेल और एक हजार रुपए जुर्माने की सजा हो सकती है. इसी तरह महिला को डायन बताकर प्रताड़ित करने पर छह महीने की सजा और दो हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है. झाड़फूंक के नाम पर शारीरिक शोषण करने पर एक साल जेल और दो हजार रुपए जुर्माने की सजा हो सकती है. ये अजमानतीय और संज्ञेय अपराध है यानी पुलिस बिना वारंट आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है.
ये भी पढ़ें-बड़े शहरों की तरह हजारीबाग में भी बच्चे सिख रहे हैं स्केटिंग, अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान बनाने की कोशिश
डायन का मतलब क्या है
यह एक ऐसी कुरीति है, जिसकी शिकार सबसे ज्यादा महिलाएं हुई हैं. आमतौर पर अंधविश्वास या किसी लालच में ग्रामीण किसी महिला पर डायन होने का आरोप लगाते हैं. डायन कहने का मतलब वैसी महिला से है, जो जादू-टोना के जरिए किसी का नुकसान कर सकती है और जान तक ले सकती है. हद तो ये है कि इस अंधविश्वास के चक्कर में महिलाओं का सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है. उन्हें मैला खाने पर मजबूर किया जाता है. कई बार तो महिलाओं को नंगाकर गांवभर में घुमाया जाता है और उनकी हत्या तक कर दी जाती है.