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झारखंड में 16 दिसंबर को समाप्त हो रहा पंचायत राज, चुनाव के लिए अभी तक नहीं हुई है कोई घोषणा - खूंटी में पूरा होगा पंचायत चुनाव

झारखंड गांव की सरकार का कार्यकाल 16 दिसंबर को पूरा हो रहा. नियम के अनुसार छह माह पूर्व अधिसूचना जरूरी किया जाता है, लेकिन इस बार समय पर चुनाव होना संभावित नहीं लग रहा है, जिससे की विकास कार्य काफी प्रभावित होंगे.

tenure of panchayat election
पंचायत समिति सदस्यों का चुनाव
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Published : Nov 6, 2020, 9:25 AM IST

खूंटी: जिले में गांव की सरकार का कार्यकाल 16 दिसंबर 2020 को समाप्त हो जाएगा. वर्तमान हालात को देखकर लगता नहीं है कि समय पर पंचायत चुनाव हो पाएंगे. इसकी मुख्य वजह कोरोना काल को माना जा रहा है. 16 दिसंबर 2020 के बाद गांव की सरकार को भंग कर नई व्यवस्था के तहत विकास कार्यों को गांवों तक पहुंचाने का कार्य करना पड़ेगा. राज्य में पंचायत चुनाव के लिए अब तक घोषणा नहीं हुई है. चुनाव से छह महीने पहले अधिसूचना जारी की जाती है, जो अबतक नहीं हुआ है. ऐसे में जिले के मुखियागन क्षेत्र में बढ़ने वाली समस्याओं को लेकर अभी से परेशान हैं. हालांकि, मुखियाओं ने वैकल्पिक व्यवस्था लागू करने की मांग सरकार से की है.

देखें पूरी खबर

पंचायत समिति सदस्यों का चुनाव

मुखिया, जिला परिषद सदस्य, वार्ड पार्षद और पंचायत समिति सदस्यों का चुनाव होना है. जिले के पंचायती राज पदाधिकारी प्रेमतोष चौबे ने कहा कि चुनाव के पूर्व कई कार्य करना पड़ता है. दिसंबर में कार्यकाल समाप्त हो रहा है. ऐसे में समय पर चुनाव कराना अब संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि संवैधानिक संकट उत्पन्न न हो इसके लिए छह माह के अंदर चुनाव करा लेना है. दिसंबर जनवरी तक अधिसूचना जारी भी हुए तो चुनाव कराने में छह माह का समय लग जाएगा. उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य चुनाव आयुक्त का पद भी खाली पड़ा है. इस वजह से भी कोई कार्य आगे नहीं बढ़ पाया है. झारखंड में पहली बार पंचायत चुनाव 32 सालों बाद 2010 में हुए थे. इसके बाद 2015 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव चार चरणों मे 22 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच कराए गए थे. चुनाव 24 जिलों के 263 प्रखंडों में कराए गए थे. खूंटी जिले में 86 मुखिया, 100 पंचायत समिति सदस्य, 990 वार्ड पार्षद और 10 जिला परिषद सदस्य का चुनाव होना है.

इसे भी पढ़ें-बाबा नगरी में सड़कों की हालत जर्जर, आवागमन में लोगों को हो रही परेशानी

कराया जा सकता है पंचायत चुनाव

पंचायती राज पदाधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार अगर पंचायत चुनाव की इच्छा जाहिर करती है तो चुनाव आयोग पंचायत चुनाव करा सकती है. पंचायतों के माध्यम से ही सरकार गांव का विकास कराती है. गांव की सरकार ही गांव की जरूरतों को समझती है. गांव की सरकार का चुनाव अवधि पूर्ण होने के बावजूद न हो तो ग्रासरूट लेवल की विकासात्मक गतिविधियों में अवरोध पैदा होगा. पंचायत चुनाव की अवधि पूर्ण होने के बाद छह माह के अंदर पंचायत चुनाव कराने का प्रावधान है. अगर प्रावधानों के मुताबिक त्रि-स्तरीय पंचायत का चुनाव नहीं होता है तो पंचायत स्तरीय सरकार की शक्तियां समाप्त हो जाएंगी.

गांव का सिस्टम हो जाएगा पूरी तरह ठप

जिले में मुखिया संघ के अध्यक्ष सह झामुमो नेता ने सरकार से वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है, लेकिन भाजपा नेता ने समय पर चुनाव नहीं होने को लेकर सरकार पर तंज कसा है. मुखिया संघ के अध्यक्ष सुदीप गुड़िया समेत जिले के मुखियाओं ने भी सरकार से मांग की है कि महाराष्ट्र की तर्ज पर झारखंड में भी गांव की सरकार को बहाल रखे. जब तक चुनाव न हो जाए. मुखिया का कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो गांव का सिस्टम पूरी तरह ठप हो जाएगा.

खूंटी: जिले में गांव की सरकार का कार्यकाल 16 दिसंबर 2020 को समाप्त हो जाएगा. वर्तमान हालात को देखकर लगता नहीं है कि समय पर पंचायत चुनाव हो पाएंगे. इसकी मुख्य वजह कोरोना काल को माना जा रहा है. 16 दिसंबर 2020 के बाद गांव की सरकार को भंग कर नई व्यवस्था के तहत विकास कार्यों को गांवों तक पहुंचाने का कार्य करना पड़ेगा. राज्य में पंचायत चुनाव के लिए अब तक घोषणा नहीं हुई है. चुनाव से छह महीने पहले अधिसूचना जारी की जाती है, जो अबतक नहीं हुआ है. ऐसे में जिले के मुखियागन क्षेत्र में बढ़ने वाली समस्याओं को लेकर अभी से परेशान हैं. हालांकि, मुखियाओं ने वैकल्पिक व्यवस्था लागू करने की मांग सरकार से की है.

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पंचायत समिति सदस्यों का चुनाव

मुखिया, जिला परिषद सदस्य, वार्ड पार्षद और पंचायत समिति सदस्यों का चुनाव होना है. जिले के पंचायती राज पदाधिकारी प्रेमतोष चौबे ने कहा कि चुनाव के पूर्व कई कार्य करना पड़ता है. दिसंबर में कार्यकाल समाप्त हो रहा है. ऐसे में समय पर चुनाव कराना अब संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि संवैधानिक संकट उत्पन्न न हो इसके लिए छह माह के अंदर चुनाव करा लेना है. दिसंबर जनवरी तक अधिसूचना जारी भी हुए तो चुनाव कराने में छह माह का समय लग जाएगा. उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य चुनाव आयुक्त का पद भी खाली पड़ा है. इस वजह से भी कोई कार्य आगे नहीं बढ़ पाया है. झारखंड में पहली बार पंचायत चुनाव 32 सालों बाद 2010 में हुए थे. इसके बाद 2015 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव चार चरणों मे 22 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच कराए गए थे. चुनाव 24 जिलों के 263 प्रखंडों में कराए गए थे. खूंटी जिले में 86 मुखिया, 100 पंचायत समिति सदस्य, 990 वार्ड पार्षद और 10 जिला परिषद सदस्य का चुनाव होना है.

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कराया जा सकता है पंचायत चुनाव

पंचायती राज पदाधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार अगर पंचायत चुनाव की इच्छा जाहिर करती है तो चुनाव आयोग पंचायत चुनाव करा सकती है. पंचायतों के माध्यम से ही सरकार गांव का विकास कराती है. गांव की सरकार ही गांव की जरूरतों को समझती है. गांव की सरकार का चुनाव अवधि पूर्ण होने के बावजूद न हो तो ग्रासरूट लेवल की विकासात्मक गतिविधियों में अवरोध पैदा होगा. पंचायत चुनाव की अवधि पूर्ण होने के बाद छह माह के अंदर पंचायत चुनाव कराने का प्रावधान है. अगर प्रावधानों के मुताबिक त्रि-स्तरीय पंचायत का चुनाव नहीं होता है तो पंचायत स्तरीय सरकार की शक्तियां समाप्त हो जाएंगी.

गांव का सिस्टम हो जाएगा पूरी तरह ठप

जिले में मुखिया संघ के अध्यक्ष सह झामुमो नेता ने सरकार से वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है, लेकिन भाजपा नेता ने समय पर चुनाव नहीं होने को लेकर सरकार पर तंज कसा है. मुखिया संघ के अध्यक्ष सुदीप गुड़िया समेत जिले के मुखियाओं ने भी सरकार से मांग की है कि महाराष्ट्र की तर्ज पर झारखंड में भी गांव की सरकार को बहाल रखे. जब तक चुनाव न हो जाए. मुखिया का कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो गांव का सिस्टम पूरी तरह ठप हो जाएगा.

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