खूंटीः जिले के कर्रा स्थित सोनमेर माता मंदिर में दस भुजाधारी दुर्गा मां विराजमान हैं. इनकी प्रसिद्धि ऐसी है कि यहां मत्था टेकने कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं. आदिवासियों एवं गैर आदिवासियों के आस्था का केंद्र है कर्रा का सोनमेर माता का मंदिर. मान्यता है कि भक्तों की हर मनोकामना को पूरी करती है सोनमेर की भुजाधारी दुर्गा मां. वैसे तो हर दिन माता के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन मंगलवार को यहां भक्तों की विशेष भीड़ होती है.
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मंगलवार को बड़ी संख्या में भक्त माता की दर्शन के लिए सोनमेर मंदिर में एकत्रित होते हैं. नवरात्रि में सोनमेर मंदिर की पूजा का विशेष महत्व है. नवरात्रि समाप्ति के 5 दिन बाद अश्विन पूर्णिमा में बड़े पैमाने में मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें राज्य के बाहर से व्यापारी अपने सामानों की बिक्री के लिए पहुंचते हैं. पूर्व में नवरात्रि की पूजा बड़े धूमधाम से आयोजित होती थी. मान्यता है कि जरियागढ़ के राजा के आदेश के बाद नवरात्रि के 5 दिन बाद मेला लगा कर पूजा आयोजित होने लगी. मेले के बाद बलि देने की प्रथा है.
सोनमेर में माता का पिंड लगभग 200 साल पुराना है. 1981 में धल परिवार के सौजन्य से वर्तमान मंदिर की आधारशिला रखी गई. वर्तमान में ओडिशा के कारीगरों द्वारा भव्य 51 फीट ऊंचा गुंबज तैयार किया गया है. मंदिर में पाहन के द्वारा पूजा कराई जाती है. मंदिर समिति के अध्यक्ष किशोर बड़ाईक ने बताया कि झारखंड, ओडिशा, बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में भक्त माता से मनोकामना मांगने एवं मनोकामना की पूर्ति होने पर आभार जताने को आते हैं. सच्चे मन से मन्नत मांगने पर मां भक्तों की मन्नत अवश्य पूरी करती है.
सोनमेर गांव में दुर्गा पूजा के अवसर पर सैकड़ों साल से मेला लग रहा है. मान्यता है कि क्षेत्र के लोगों द्वारा जरियागढ़ के महाराज से माता के मंदिर के विषय में प्रार्थना की गई थी. राजा के आशीर्वाद से भुजाधारी माता की मूर्ति का प्रादुर्भाव हुआ.