खूंटी: एक सामान्य सा परिवार. पिता बैंक मैनेजर और मां गृहणी. लेकिन इस साधारण से परिवार का भविष्य काफी सुनहरा था. माता-पिता के मार्गदर्शन में उनके चारों बच्चों ने कुछ ऐसा कर डाला, जिसकी कल्पना शायद उनके परिवार ने भी नहीं की होगी. लेकिन अनोखी प्रतिभा के धनी इस परिवार के बच्चों ने अपने माता-पिता के साथ ही पूरे इलाके का नाम रोशन कर दिया. चारों के चारों बच्चों पर सरस्वती की ऐसी कृपा रही कि देश के सबसे मुश्किल परीक्षा में शामिल होकर चारों ने ही सफलता हासिल की. यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा पास कर कोई आईएएस बना तो कोई आईपीएस बना.
ये कहानी है खूंटी जिले के नए डीसी लोकेश मिश्र के परिवार की. उपायुक्त लोकेश मिश्र चार भाई बहन हैं. जिसमें एक भाई और दो बहन आईएएस हैं, वहीं एक बहन आईपीएस हैं. बतौर खूंटी डीसी लोकेश मिश्र ने ईटीवी भारत से बातचीत की और अपने पारिवारिक जीवन के बार में जानकारी दी.
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खूंटी के नवनियुक्त उपायुक्त लोकेश मिश्र लोअर मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं. दो भाई और दो बहनों के परिवार में सभी भाई बहन आईएएस और आईपीएस हैं. डीसी लोकेश मिश्र ने बताया कि सभी भाई बहनों का सिविल सेवा से जुड़ने के पीछे गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व्यवस्था का बड़ा योगदान रहा है. इसके साथ ही माता-पिता के सही मार्गदर्शन ने इसकी ओर सभी भाई बहनों का मार्ग प्रशस्त कर गया. सभी भाई बहन सरकारी शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई कर यहां तक पहुंचे हैं. पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के लिए सभी ने महानगरों में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई किया है. माता पिता ने बच्चों की पढ़ाई को आगे बढ़ाने में पूरी मदद की है.
आईएएस लोकेश मिश्र के पिता अनिल कुमार मिश्र उत्तर प्रदेश के ग्रामीण बैंक में कार्यरत थे. 2019 में वे रिटायर्ड हो गए हैं. वहीं उनकी कृष्णा मिश्र गृहणी हैं. छोटे से घर में रहकर सभी भाई बहनों ने पढ़ाई की. सबसे पहले बड़े भाई योगेश मिश्रा 2014 में आईएएस बने. वे आज रक्षा मंत्रालय भारत सरकार में अपनी सेवा दे रहे हैं. उसके बाद उनकी बड़ी बहन छमा मिश्र 2016 बैच की आईपीएस हैं और कर्नाटक में स्टेट रिजर्व फोर्स में बतौर कमांडेंट हैं. छोटी बहन माधवी मिश्र 2015 बैच की झारखंड कैडर की आईएएस हैं. इसके अलावा परिवार के सबसे छोटे भाई लोकेश मिश्र वर्तमान में खूंटी के डीसी बने हैं.
लोकेश मिश्र बिहार में भी सेवा दे चुके हैं. सबसे पहले बिहार के बेतिया में प्रोबेशनल आईएएस रहें. उसके बाद छपरा में एसडीएम रहें. 2019 में वे झारखंड आये और झारखंड में एसडीओ रांची, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर रांची रहें. इसके बाद कोडरमा के डीडीसी रहने के बाद वे आदिवासी कल्याण विभाग में आयुक्त रहें और बाद में खूंटी डीसी बन गए. डीसी लोकेश मिश्र की पत्नी भी झारखंड कैडर की आईएएस हैं और अभी कोडरमा डीसी बनी हैं.
आदिवासी बहुल खूंटी जिला में बतौर डीसी की जिम्मेदारी: उन्होंने बताया कि बतौर डीसी जिले में चल रहे विकास कार्यों को और आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. आदिवासियों के उत्थान और विकास को लेकर कार्य करने की उत्सुकता जिले को बेहतर दिशा देगी. पूर्व में मिले आदिवासी कल्याण आयुक्त का दायित्व खूंटी जैसे आदिवासी बहुल इलाके के विकास कार्यों में मददगार साबित होगा. साथ ही खूंटी जिले के सामाजिक सांस्कृतिक पहलुओं को भी जानने समझने का मौका मिलेगा. उन्होंने कहा कि राजधानी से सटा जिला होने के बावजूद शिक्षा का स्तर ऊंचा नहीं हुआ है. इसपर काम करने की जरूरत है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से ही बड़े लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है.
डीसी लोकेश मिश्र ने बताया कि यहां के बच्चों को भी उनके अनुभव का पूरा लाभ मिलेगा. यहां के आदिवासी बच्चे और बच्चियों को बेहतर शिक्षा मिले, इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि राजधानी से सटा जिला होने के बावजूद भी खूंटी जिले की शिक्षा व्यवस्था बेहतर नहीं है. लेकिन इसे जल्द ही सुधार कर शिक्षा का एक बेहतर माहौल दिया जाएगा.