खूंटी: रंगों के त्योहार के बाद प्रकृति का पर्व सरहुल का त्योहार आता है. सरहुल झारखंड का प्रमुख त्योहार है. झारखंड के वृक्षों, विशेषकर साल के वृक्ष में जब नए नए फूल खिलते हैं तो सरहुल का त्योहार प्रकृति के फूलों के साथ मनाया जाता है. खूंटी में सरहुल में पूजा पाठ के बाद ही यहां के स्थानीय लोग नया अनाज और साग-सब्जियां खाते हैं.
ये भी पढें: Joy of Sarhul: गांव-गांव में सरहुल की धूम, प्रकृति की पूजा में जुटे हैं आदिवासी
मनाया गया सरहुल मिलन समारोह: सरहुल के आगमन के साथ ही होली मिलन समारोह की तरह गोविंदपुर में सरहुल मिलन समारोह मनाया गया. इस अवसर पर पारंपरिक नृत्य के साथ मुख्य अतिथि तोरपा विधायक कोचे मुंडा, जिला परिषद अध्यक्ष मसीह गुड़िया समेत अन्य आगंतुकों का स्वागत किया गया. स्वागत के साथ ही सरहुल के नए फूल की फूलखोंसी की गई. एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर प्रकृति के पर्व सरहुल की शुभकामनाएं दी गयी. स्थानीय विधायक कोचे मुंडा भी स्वयं मांदर बजाकर सरहुल मिलन समारोह को खास बनाने में जुटे थे.
परंपरा और संस्कृति के साथ हो एकजुटता: इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कोचे मुंडा ने उपस्थित आमजनों को संबोधित करते हुए कहा कि सरना पर विश्वास रखनेवालों को अपनी परंपरा और संस्कृति के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करें. सभी पर्व में एक साथ जुटकर त्योहारों की महत्ता को समझें और अपनी परंपरा को जानें. एकजुटता नहीं होने के कारण और पर्व त्योहारों की संस्कृति को नहीं समझने के कारण हम दिग्भ्रमित होते हैं. हमें धार्मिक एकता दिखाने की आवश्यकता है, साथ ही सांस्कृतिक एकता भी बनाये रखें. हमेशा जहां कहीं भी इस तरह के कार्यक्रम होते हैं, अपनी एकजुटता बनाए रखना चाहिए. सरहुल मिलन समारोह में जिला परिषद अध्यक्ष मसीह गुड़िया, स्थानीय मुखिया, मुंडा, पहान, पनभरवा समेत अन्य पंचायत प्रतिनिधि उपस्थित रहे.