खूंटीः आज आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि है. सूबे में कई माननीयों ने बिरसा मुंडा को श्रद्धा सुमन अर्पित किए लेकिन उनकी जन्मस्थली उलिहातू में सन्नाटा पंसरा रहा. यहां न कोई नेता, न मंत्री न विधायक, यहां तक कि खूंटी संसदीय क्षेत्र अंतर्गत आने वाले विधानसभा के भी कोई माननीय उलिहातू नहीं पहुंचे.
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जिले के वरीय अधिकारियों ने मुख्यालय में ही श्रद्धा सुमन अर्पित किए. सिर्फ अड़की प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी उलिहातू पहुंचे और वंशजों को धोती साड़ी देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली.
सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, राज्य की राजनीति बिरसा मुंडा के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है लेकिन पुण्यतिथि में किसी भी माननीय का न पहुंचना कई सवाल खड़े करता है. बिरसा मुंडा के वंशजों के नाम पर झारखंड बनने के बाद लगातार राजनीति होती रही है अब भी सड़क के सिवाय और कुछ नहीं बदला, गांव की तस्वीर बिल्कुल वैसी ही है जैसी कल थी.
बुनियादी सुविधाओं से वंचित उलिहातू
बुनियादी सुविधाओं से वंचित उलिहातू के ग्रामीण समेत वंशजों ने भी शासन प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाया है और कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर हर नेता मंत्री राजनीति करते हैं.
बड़े-बड़े आश्वासन देते हैं लेकिन धरातल पर कुछ भी दिखाई नहीं देता है. उलिहातू को आदर्श ग्राम और शहीद ग्राम विकास योजना का भी लाभ मिलना है लेकिन इसकी रफ्तार भी धीमी है. उलिहातू में 100 से ज्यादा पक्के मकान बनाने की स्वीकृति मिल गयी है लेकिन कुछ लोगों का ही मकान बनना प्रारंभ किया गया है.
भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली में कोई खास बदलाव नहीं
सरकार की उदासीनता से बिरसा के वंशज अब भी ठगे-ठगे से महसूस करते हैं. राज्य गठन के 21 साल बाद भी भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली और कर्मभूमि में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिलता.
इधर दूसरी तरफ अड़की के बीडीओ भी मानते है कि उलिहातू में पेयजल संकट वर्षों से चला आ रहा है लेकिन स्थायी समाधान नहीं हो रहा है. उलिहातू के लिए अब वृहत जलापूर्ति योजना ड्राफ्ट कर भेजी गई है.
जल्द ही स्वीकृति के पश्चात पेयजल संकट का समाधान संभव हो पाएगा. आदर्श ग्राम योजना के तहत भी उलिहातू में 100 से ज्यादा पक्के मकान बनाने की स्वीकृति मिल गई है कुछ लोगों ने मकान कार्य भी आरम्भ कर दिया है. उम्मीद है जल्द उलिहातू आदर्श ग्राम की बुनियादी जरूरतें पूरी होंगी.