खूंटी: नक्सल के बाद अफीम के नाम से बदनाम इस जिले में यहां के आदिवासी और ग्रामीण नशे के दलदल में गिरते जा रहे हैं. यहां लगातार बढ़ती अफीम की खेती से सिर्फ आम लोग नहीं बल्कि पुलिस भी परेशान हैं.
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आसान नहीं है अफीम के खेत को नष्ट करना
खूंटी में नशे के कारोबार पर पुलिस लगाार अभियान चला रही है. सूचना मिलने के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए अफीम के खेतों को नष्ट किया जा रहा है. लेकिन पुलिस के इस अभियान से तस्करों के साथ साथ पुलिस जवानों को भी नुकसान हो रहा है. खबर के मुताबिक खेतों से निकलने वाली गंध से जवान की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है. अभियान में लगे जवानों के मुताबिक जब वे खेतों में डंडा बरसा रहे होंते हैं तब उससे निकलने वाली दुर्गंध से उन्हें नशे का एहसास होता है. उन्हें पता नहीं चलता है कि वे कहां हैं और क्या कर रहे हैं. खेतों से लौटने के बाद जवान जब घर वापस लौटतें हैं तो उनके पास सोने के अलावा और कोई दूसरा चारा नहीं होता है.
शरीर के लिए हानिकारक है अफीम की गंध
मुरहू थानेदार की माने तो अफीम से निकलने वाला दुर्गंध शरीर के लिए हानिकारक है. मुरहू थाना प्रभारी विक्रांत कुमार कहते है कि हुक्मरानों का हुक्म का पालन करना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि पुलिस अभियान से कहीं ज्यादा सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस नशे को समाप्त करने की दिशा में पहल करनी चाहिए ताकि समय रहते इससे छुटकारा मिल सके. उन्होंने कहा कि जबतक जनप्रतिनिधि सामने नही आएंगे तबतक इससे मुक्ति नही मिल सकता.
अफीम तस्करों के खिलाफ कार्रवाई
खूंटी में अफीम विनष्टीकरण अभियान की बात करें तो साल 2020 में 674.30 एकड़ 2021 में 977 एकड़ में लगी खूंटी में अवैध अफीम की फसल को नष्ट किया गया था. वहीं 020 में 87.260 किलोग्राम एवं वर्ष 2021 में 88.915 किलोग्राम अवैध अफीम बरामद किया गया. जबकि साल 2021 में 91 लोगों को अफीम के कारोबार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.