खूंटी: बीते शुक्रवार को पुलिस जवानों का रास्ता रोकने वाले डुमरदगा गांव के ग्रामीणों को लेकर प्रशिक्षु आईपीएस सह नामकुम थाना प्रभारी रित्विक श्रीवास्तव ने बयान जारी किया है. मामले में बताया कि 2017-18 में विवादित पत्थलगड़ी मूवमेंट का वहां वंश रखा हुआ था. कहा कि संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा हुआ कि भारत के किसी भी गांव या अन्य जगहों पर जाने के लिए आदेश लिया जाए.
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प्रशिक्षु आईपीएस ने क्या कहा: रित्विक श्रीवास्तव ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि डुमरदगा गांव में पुलिसवालों को बंधक नहीं बनाया गया था. कहा कि डुमरदगा गांव में दो अपराधियों के छुपे होने की सूचना मिली थी. इसी के कार्रवाई के संबंध में पुलिस के जवान गए थे. गांव में ग्रामीणों का त्योहार था, जिस कारण वे मादक प्रदार्थों का सेवन किए हुए थे. इस वजह से उन्होंने पुलिस वालों का घेराव किया और पूछ रहे थे कि आप किसके परमिशन से गांव में आए हैं. रित्विक श्रीवास्तव ने बताया कि बीडीओ, सीओ और पुलिस बल की मदद से मामले पर तुरंत काबू पा लिया गया. पुलिस को बंधक बनाने जैसी कोई बात नहीं हुई थी, ये वीडियो में भी स्पष्ट दिख रहा है.
गांव के लोगों ने क्या कहा: ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस सिविल ड्रेस में आई थी. एक घर में घुसकर महिला से मोबाइल छीनने लगी. इसके बाद हो-हल्ला हुआ. गांव में खान-पान का कार्यक्रम चल रहा था. लोगों की भीड़ थी. तभी वहां ग्रामीणों की भीड़ लग गई. इस बीच पुलिस वाले भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया. मामला गांव में आग की तरह फैल गई. जिसके बाद ग्रामीण इकट्ठे हो गए और पुलिस की टीम को घेर लिया. आरोप लगाया कि ग्रामसभा की इजाजत के बिना पुलिस कैसे गांव पहुंच गई? कहा कि ग्रामसभा के रजिस्टर में आने का कारण और हस्ताक्षर के बाद पुलिसवालों को जाने दिया गया.