खूंटीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 सितंबर को मन की बात करेंगे. खूंटी जिला में रनिया प्रखंड के केलो गांव की चर्चा करेंगे. इस गांव के लोग बांस से खिलौने, शृंगार और घर की सजावट का सामान बनाते हैं. पीएम मन की बात में यहां के कारीगरों की चर्चा भी करेंगे. केलो गांव की महिलाएं महिला समूह से जुड़कर बांस निर्मित सामग्री बनाकर स्वावलंबी बन रहीं हैं.
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जिला के नक्सल प्रभावित रनिया प्रखंड क्षेत्र के जयपुर पंचायत के केलो गांव में बांस से विभिन्न प्रकार की आकर्षक सजावट सामग्री बनाकर अपना और परिवार का उज्जवल भविष्य संवार रहा है. मीरा देवी 12 महिलाओं की टीम साथ बांस से आकर्षक सजावट की सामग्री बनाकर ना सिर्फ आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन रही हैं, बल्कि कई महिलाओं को भी रोजगार मुहैया कराकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बना रही हैं.
पीएम मोदी को मीरा के हौसला और जज्बा की जानकारी मिली. इन से प्रभावित होकर आगामी 26 सितंबर को मीरा देवी तथा अन्य महिला सहयोगियों के साथ प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम में उनसे बात करेंगे. इसको लेकर मीरा देवी के साथ आने महिलाओं में अभी से ही काफी उत्साह देखा जा रहा है. गांव में यह चर्चा का विषय बन गया है. गांव को केलो गांव को इससे पहले कोई नहीं जानता था. लेकिन मीरा देवी के माध्यम से पूरा देश 26 सितंबर को केलो गांव को जानेंगे.
मीरा देवी पहले घर की दहलीज के अंदर टोकरी, झोड़ी, सूप, श्रृंगार सहित कई सामग्री बनाकर स्थानीय बाजार में बेचकर अपना और परिवार का पेट पाल रही थी. लेकिन वर्तमान में आधुनिक तरीके से बांस के लालटेन, लैंप, लैंप ब्लॉक, पेंसिल बॉक्स, पेन स्टैंड सहित कई आकर्षक सजावट सामग्री बनाकर बेचती हैं. इससे पहले मीरा देवी के पास अनुभव की कमी थी, जिसके कारण अधिक मेहनत के बावजूद भी उसे कम मुनाफा होता था.
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प्रशिक्षण से हुनर में आई धार
जेएसएलपीएस और महिला विकास केंद्र तोरपा के सहयोग से मीरा के हाथ मजबूत हुई. मीरा देवी महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनने के साथ महिला विकास केंद्र से महिला समूह बनाकर संस्था से जुड़ी. इसके बाद महिला विकास केंद्र के मरिया लीना के संपर्क में आने के बाद रांची बरियातू में बांस से सजावट वस्तु से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त की. हालांकि पहले से ही मीरा देवी को बांस से सामग्री बनाने की अनुभव प्राप्त था.
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मीरा बांस से मॉडर्न लालटेन लैंप, लैंप ब्लॉक, पेंसिल बॉक्स, पेन स्टैंड सहित कई तरह की आकर्षक सजावट सामान बनाने में जुट गई. इसके बाद गांव में 12 अन्य महिलाओं को भी आर्थिक रूप से जोड़कर बांस से निर्मित सामग्री बनाने लगी. शुरुआती दिनों में मीरा को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. स्वावलंबी बनने के लिए घर के बाहर उसने संभावनाएं तलाशने लगीं. नामकुम स्थित भारतीय प्राकृतिक रॉल एवं गोंद संस्थान में मीरा देवी ने प्रदर्शनी स्टॉल लगाया, जिसमें उसकी सामग्री की खुब बिक्री हुई.
2019 में दुमका जिला में बांस कारीगर मेला में उन्होंने प्रदर्शनी भी लगाई और हर वर्ष जनवरी में तोरपा के पेरवा घाघ में बांस से निर्मित आकर्षक सामग्री का स्टॉल लगाकर उनकी बिक्री करती हैं. मीरा देवी दूसरे जिला में भी महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षण दिया करती हैं. उन्होंने चक्रधरपुर में लॉकडाउन के दौरान 20 महिलाओं को वहां से सजावट के सामान बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया और सामग्री बनाने के लिए प्रेरित किया.
बाजार ना मिलने से मायूसी
वहीं गुमला के पालकोट में 6 महिलाओं को भी प्रशिक्षण दिया. लेकिन सामान निर्माण कर रही महिलाओं को उचित बाजार नहीं मिलने के कारण उन्हें मायूसी का सामना करना पड़ा. मीरा देवी के साथ जुड़ी अन्य महिलाओं का निर्मित सामान बाजार में नहीं बिकता है. मीरा देवी के अनुसार सामान का उत्पादन काफी हो रहा है लेकिन बाजार नहीं होने के चलते इसकी खपत कम होती है.
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खूंटी उपायुक्त शशि रंजन ने रनिया लूगाम चाची मेला तथा तसर उत्पादन मेला में मीरा का स्टॉल का निरीक्षण करते हुए बांस से बनी सामान को देख खूब सराहा था. दोनों स्टॉल में मीरा देवी की बनाई गई सामग्री का खूब मांग होने लगी थी. इसके साथ ही मीरा का रोजगार परवान चढ़ने लगा. जेएसएलपीएस के बीपीएम सुषमा वीरवार के सहयोग से मीरा के लिए खूंटी में पलाश मार्ट दुकान खुलवाया गया, यहां पर मीरा देवी के द्वारा निर्मित बांस से संबंधित कई आकर्षक सजावट सामान लोग खरीदते हैं.
मीरा देवी ने गांव की 12 महिलाओं को आर्थिक रूप से बांस के माध्यम से रोजगार मुहैया कराने में जुटी हैं, उससे प्रेरित होकर गांव की अन्य महिलाएं भी इस काम में जुट गई है. प्रतिमाह इस कार्य से 10 से 15 हजार तक की कमाई महिलाओं को हो रही है. मीरा कहती हैं कि गांव की अन्य महिला इस कार्य से अपना भाग्य संवार रही है. मीरा ने कहा आसपास गांव में घूम-घूमकर महिलाओं को जागरूक करने का भी काम करती हैं.