खूंटी: राजधानी रांची से 70 किमी और खूंटी मुख्यालय से 60 किमी दूर बिरहोर कॉलोनी है. अड़की प्रखंड क्षेत्र के सोसोकुटी पंचायत में तेलंगाडीह गांव है यहां बिरहोर समुदाय की आबादी मात्र 64 है. गांव तक पहुंचने के लिए टूटी फूटी कच्ची सड़क है, जो नहर के किनारे से होकर जाती है. बिजली, पानी की सुविधा तो है लेकिन गांव वाले आज भी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं. आबादी कम होने के बावजूद गांव के युवा पढ़े लिखे तो हैं लेकिन इन्हें रोजगार नहीं मिला है. इन्हें उम्मीद है कि 15 जनवरी को प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद इनके गांव की तस्वीर और बिरहोरों की तकदीर बदलेगी.
झारखंड के खूंटी जिले के सीमावर्ती इलाके में आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों की कॉलोनी है, यहां दो टोलों को मिलाकर कुल 64 बिरहोर रहते हैं. इनमें महिला, पुरुष, युवा और बच्चे शामिल हैं. प्रधानमंत्री के पीवीजीटी महाअभियान की शुरुआत के साथ ही बिरहोर कॉलोनी तेलंगाडीह में केंद्र प्रायोजित बुनियादी योजनाओं का लाभ दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है.
तेलंगाडीह में खूंटी सदर अस्पताल के माध्यम से बिरहोरों के स्वास्थ्य की जांच कराई गई. जिसमें विभिन्न तरह की बीमारियों के साथ सिकल सेल एनीमिया जांच के लिए ब्लड सैंपल लिए गए और उपचार भी शुरू कर दिया गया. बच्चों के लंबित आधार कार्ड निर्माण की प्रक्रिया भी पूर्ण कर दी गयी है. इस गांव में शत प्रतिशत राशन कार्ड और आयुष्मान कार्ड का लाभ दिया जा रहा है. बिजली, पेयजल की व्यवस्था का कार्य भी किया गया है. हालांकि भूगर्भीय जलस्तर बेहतर न होने की वजह से गर्मी में पेयजल संकट उत्पन्न होता है. स्वच्छता, सफाई और पोषण का कार्य करने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों को दी गयी है.
तेलंगाडीह के आदिम जनजाति के लोगों ने शिक्षा, रोजगार और आवास को लेकर प्रधानमंत्री से उम्मीद लगाई है. इन्हें उम्मीद है कि 15 जनवरी को जब पीएम बिरहोरों से संवाद करेंगे तो शायद उनकी मांगें भी पूर्ण होंगी. स्थानीय लीगों ने कहा कि हमें बहुत खुशी है कि पीएम हमारे जैसे पिछड़े इलाके के लोगों से बातचीत करेंगे. उन्होंने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री आदिम जनजातियों के उत्थान और कल्याण के लिए कार्य करेंगे और बुनियादी सुविधाओं के साथ शिक्षा और रोजगार की दिशा में भी नए कदम उठाएंगे. गांव को बेहतर सड़क से जोड़ने और कलवट निर्माण की उम्मीद भी ग्रामीणों ने लगाई है. उन्होंने कहा कि पहली बार देश के कोई प्रधानमंत्री आदिम जनजातियों के विकास को लेकर सीधा संवाद करेंगे. इसका वे बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
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