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पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में की खूंटी की चर्चा, जल संरक्षण के लिए लोगों को दी बधाई - बोरी बांध

पीएम मोदी ने अपने कार्यक्रम मन की बात में खूंटी का जिक्र किया है. इसके साथ ही उन्होंने जल संरक्षण करने के लिए खूंटी के लोगों को बधाई भी दी है.

PM Modi discussed Khunti in Mann Ki Baat
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Published : May 28, 2023, 12:48 PM IST

मन की बात कार्यक्रम में खूंटी का जिक्र

खूंटी/रांची: पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम के 101वे संस्करण का प्रसारण किया गया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने जल के महत्व को बताया. इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि सरकार कैसे जल को संरक्षित करने की कोशिश कर रही है. पीएम मोदी ने अपने कार्यक्रम में खूंटी के लोगों का भी उदाहरण दिया कि कैसे वे बोरी बांध के जरिए जल को संरक्षित करते हैं. इसके बाद इसी पानी से किसान अपने खेतों की सिचाई करते हैं. जिससे उनके खेतों में काफी अच्छी सब्जियां उगाई जाती है.

ये भी पढ़ें: Koderma News: कोडरमा जिले को किया गया ड्राई जोन घोषित, नदी-तालाबों के साथ कुएं और नलकूप के सूखने का सिलसिला जारी

खूंटी में जल संरक्षण की दिशा में हुआ बेहरतरी काम: खूंटी जिले में जिला प्रशासन और सेवा वेलफेयर सोसाइटी के सहयोग से 44 गांव में करीब 110 बोरी बांध बनाए गए हैं. जबकि जल संरक्षण के इस तरीके को सीखकर अलग-अलग गांवों के लोगों ने 150 से ज्यादा बोरी बांध बनाने का काम किया है. बोरी बांध बनाने के लिए ग्रामीण श्रमदान करते हैं. इससे लगभग एक हजार एकड़ जमीन की सिंचाई हुई. मवेशियों को भी पीने का पानी मिला. इस मॉडल की बदौलत संबंधित इलाकों के भूगर्भीय जलस्तर में भी इजाफा हुआ है.

क्या है बोरी बांध मॉडल: अभियान की शुरुआत पांच दिसंबर 2018 को तोरपा प्रखंड के तपकरा इलाके से हुई. इसके लिए मुखिया सुदीप गुड़िया ने ग्रामीणों को प्रेरित करना शुरू किया. तपकरा अंबाटोली समेत कई गांवों में बोरी बांध बनाने के लिए सेवा वेलफेयर सोसाइटी ने ग्रामसभाओं को सीमेंट की खाली बोरियां उपलब्ध कराई, फिर श्रमदान का दौर शुरू हुआ. ग्रामसभा ने श्रमदान के जरिए बरदा नाला पर चार बोरी बांधों का निर्माण पूरा किया. बांध के पानी से किसानों ने खेती शुरू कर दी और वो काफी उत्साहित हुए. उसके बाद ही कुदलुम गांव में बोरी बांध का निर्माण हुआ.

पहले भी मिला है गोल्ड मेडल: खूंटी के बोरी बांध मॉडल को पूर्व में स्कॉच अवार्ड प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल मिल चुका है. दरअसल, आदिवासियों में समूह से बंधे रहने का गुण पारंपरिक है. इसके तहत काम के बाद सामूहिक भोज की परंपरा है. इसी परंपरा को बोरी बांध निर्माण में निभाया जा रहा है. बोरी बांध बनाने के दौरान गांव के पुरूष बंध बनाने में योगदान देते हैं तो घर की महिलाएं सबके लिए भोजन तैयार करती हैं.

मन की बात कार्यक्रम में खूंटी का जिक्र

खूंटी/रांची: पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम के 101वे संस्करण का प्रसारण किया गया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने जल के महत्व को बताया. इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि सरकार कैसे जल को संरक्षित करने की कोशिश कर रही है. पीएम मोदी ने अपने कार्यक्रम में खूंटी के लोगों का भी उदाहरण दिया कि कैसे वे बोरी बांध के जरिए जल को संरक्षित करते हैं. इसके बाद इसी पानी से किसान अपने खेतों की सिचाई करते हैं. जिससे उनके खेतों में काफी अच्छी सब्जियां उगाई जाती है.

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खूंटी में जल संरक्षण की दिशा में हुआ बेहरतरी काम: खूंटी जिले में जिला प्रशासन और सेवा वेलफेयर सोसाइटी के सहयोग से 44 गांव में करीब 110 बोरी बांध बनाए गए हैं. जबकि जल संरक्षण के इस तरीके को सीखकर अलग-अलग गांवों के लोगों ने 150 से ज्यादा बोरी बांध बनाने का काम किया है. बोरी बांध बनाने के लिए ग्रामीण श्रमदान करते हैं. इससे लगभग एक हजार एकड़ जमीन की सिंचाई हुई. मवेशियों को भी पीने का पानी मिला. इस मॉडल की बदौलत संबंधित इलाकों के भूगर्भीय जलस्तर में भी इजाफा हुआ है.

क्या है बोरी बांध मॉडल: अभियान की शुरुआत पांच दिसंबर 2018 को तोरपा प्रखंड के तपकरा इलाके से हुई. इसके लिए मुखिया सुदीप गुड़िया ने ग्रामीणों को प्रेरित करना शुरू किया. तपकरा अंबाटोली समेत कई गांवों में बोरी बांध बनाने के लिए सेवा वेलफेयर सोसाइटी ने ग्रामसभाओं को सीमेंट की खाली बोरियां उपलब्ध कराई, फिर श्रमदान का दौर शुरू हुआ. ग्रामसभा ने श्रमदान के जरिए बरदा नाला पर चार बोरी बांधों का निर्माण पूरा किया. बांध के पानी से किसानों ने खेती शुरू कर दी और वो काफी उत्साहित हुए. उसके बाद ही कुदलुम गांव में बोरी बांध का निर्माण हुआ.

पहले भी मिला है गोल्ड मेडल: खूंटी के बोरी बांध मॉडल को पूर्व में स्कॉच अवार्ड प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल मिल चुका है. दरअसल, आदिवासियों में समूह से बंधे रहने का गुण पारंपरिक है. इसके तहत काम के बाद सामूहिक भोज की परंपरा है. इसी परंपरा को बोरी बांध निर्माण में निभाया जा रहा है. बोरी बांध बनाने के दौरान गांव के पुरूष बंध बनाने में योगदान देते हैं तो घर की महिलाएं सबके लिए भोजन तैयार करती हैं.

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